Avtar bani

मंगलाचरण

हे समरथ परमात्मा, हे निर्गुण निरंकार|
तू करता है जगत का तू सब का आधार||
कण-कण में है बस रहा तेरा रूप अपार|
तीन काल है सत्य तू मिथ्या है संसार||
घट-घट वासी है प्रभु अविनाशी करतार|
दया से तेरी हो सभी भव-सागर से पार||
निराकार साकार तू जग के पालनहार|
हे बेअंत महिमा तेरी दाता अपरम्पार||
परम पिता परमात्मा सब तेरी संतान|
भला करो सभ का प्रभु सब का हो कल्याण|| 
इक तू ही निरंकार-धन धन सतगुरु`
परम पिता परमात्मा, कण कण तेरा वास|
करण करावंहार तू, सब कुझ तेरे पास|
अंग-संग तैनूं वेख के अवतार करे अरदास|
तूं शाहाँ दा शहेनशाह, मैं दासा दा दास|


इक तू ही निरंकार (१)
रूप रंग ते रेखों न्यारे तैनूं लख परनाम करां|
मन बुद्धि ते अक्लों बाहरे तैनूं लख परनाम करां|
अनहद ते असगाह स्वामी तैनूं लख परनाम करां|
शाहाँ दे हे शाह स्वामी तैनूं लख परनाम करां|
आद अनादी सर्वव्यापी तैनूं लख परनाम करां|
युग युग अन्दर तारे पापी तैनूं लख परनाम करां|
सगल घटा दे अंतर्यामी तैनूं लख परनाम करां|
आपे नाम ते आपे नामी तैनूं लख परनाम करां|
जीव जंत दे पालनहारे तैनूं लख परनाम करां|
कहे अवतार हे प्राण-आधारे तैनूं लख परनाम करां|

तेरी ओट सहारा तेरा तन मन घोल घुमावान|
कहे अवतार तेरे ही दाता दिन रातीं गुण गावां|
तेरे हुक्मों बाहिरा चल न सके कोए|
अवतार कुझ न कर सके जो चाहें तूं होए|

इक तू ही निरंकार (२)
हर जर्रे विच सूरत तेरी हर पत्ते ते तेरा नां|
ऐधर ओधर चार चुफेरे तेरी सूरत तकदा हाँ|
चन्दन दे विच खुशबू तूं ऐ गंगा दे विच निर्मलता|
तूं ही तेज हैं सूरज अन्दर चंदा दे विच शीतलता|
फुल्लां विच सुहाप्पन तूं ऐ, कलियाँ दे विच कोमलता|
सूझा दे विच सोझी तूं ऐ तूं कला तूं कौशलता|
सतगुर सच्चा बूटा तूहियू दसवां द्वारा तेरा देस|
कहे अवतार गुरु ने बख्शी अपनी बोली अपना वेस|

इक तू ही निरंकार (३)
सच है तेरी आरती पूजा सचे दी है सच विचार|
सच ही वर्ता, सच ही वंडा सच है मेरा कारोबार|
सच्चे मैनूं सच विखाया बद्धी सच नाळ जीवन तार|
सच्ची नीहं ते सच उसारी सच दा करदा हाँ परचार|
लूं लूं अन्दर सच समाये सच्चा प्राण अधार|
सच समुंदर सच ने लहरां सच है बेडी सच पतवार|
सच्ची राह ते पूंजी सच दी सच्ची हट्टी सच वापार|
एह सच्चा है इक्को सच्चा घट घट रमिया जो निरंकार|
बूटा सिंह ने सच एह दसया करके किरपा मेहर अपार|
अवतार गुरु दे चरना उत्तों वारे जां बलिहार|

इक तू ही निरंकार (४)
अकलां सोचां पहुँच न सकां मेहरां दी बेहद्दी ते|
मेहर करे जे आप स्वामी रंक बहाले गद्दी ते|
मेहर करे जे आप ही दाता नौकर कुल जहाँ करे|
मेहर जे एह निरंकार करे ते अनपढ़ नूं विद्वान करे|
तुट्ठ पए जे सतगुर पूरा मान दे वदिई दे|
तुट्ठ पए जे सतगुर पूरा दुनिया दी अगवाई दे
तुट्ठ पए जे सतगुर पूरा जग नूं पिच्छे ला सकदे|
तुट्ठ पए जे सतगुर पूरा जो चाहे करवा सकदे|
मैं की हाँ की हस्ती मेरी आप करे ते मेरा नां|
अवतार मेरे ते सतगुरु तुट्ठे सुन ले बेशक कुल जहाँ|

इक तू ही निरंकार (५)
मैं बन्दा हां बन्दे वरगा हस्ती नहीं कोई वक्ख मिली|
सतगुर बख्शी ज्ञान सिलाई वेखन वाली अख मिली|
जो कुझ बोलां मेहर गुरु दी इस दे लेख उलेख रिहां|
अपने गुर की बख्शिश सदका निरंकार नूं वेख रिहां|
मैं होया हां जद तों इहदा होया ऐ निरंकार मेरा|
इहो वर्ता वंडा इहो कार विहार मेरा|
इह निरंकार आ मन विच मेरे गुर किरपा नाल वास गयाए|
प्यार प्रीतम बेरंगे डा लूं लूं मेरे धस गयाए|
मैं टुरदा हां ओसे राह ते जेह्डे राह इस पा दीताए|
कहे अवतार ओह कार कमाना जिहदे कम इस ला दीताए|

इक तू ही निरंकार (६)
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं अख तों पर्दा लाहने दा|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं भुल्ले नूं समझाने दा|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं प्रगट मै निरंकार करां|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं सोखे दुनियादार करां|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं एके दे परचार लई|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं एके दे वापार लई|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं कुल हनेरे चाक करां|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं जो दर आवे पाक करां|
दुनिया लाख डरावे मैनू एह काम सकदा छोड़ नहीं|
जान अवतार रहे जां जावे मुहं नूं सकदा मोड़ नहीं|

इक तू ही निरंकार (७)
एह तन मेरा खाक दी ढेरी जांदी इय तन जावे पई|
कुल माया ते दौलत मेरी जांदे इय तन जावे पई|
सच दा वैरी दुनिया भावें लाख लाख गल बनांदी रहे|
सच दा वैरी दुनिया भावें सच आखन तों डरदी रहे|
सच दा वैरी दुनिया भावें रज रज निदया करदी रहे|
गुटबंदी ते फिरकादारी जी भर रौला पावे पई|
खसमों घुथी अन्ही दुनिया रोवे ते कुरलावे पई|
लागू हो जाए भावे दुनिया राह तों सकदा हट नहीं|
कहे अवतार गुरु दी गल नूं कोई वी सकदा कट नहीं|

इक तू ही निरंकार (८)
जिन्हा सच दा बीड़ा चुकया दुनिया कीती घट नहीं|
संतजना हर औकड़ झल्ली मत्थे पाया वट नहीं|
संतजना नूं मनमुख हर दम बौरा झल्ला कहंदे रहे|
अपने निज स्वार्थ खातर सन्ता दे नाल खैहदे रहे|
रहबर नूं वी राहों भुल्ले लोक कुराहिया कहंदे रहे|
बे-परवाह एह संत हरि दे ताहने मेहने सहंदे रहे|
शरह दे कायल जाबर हाकम रज्ज रज्ज वैर कमंदाए रहे|
काजी पंडित अन्ने आगू रज्ज रज्ज फ़तवे लांदे रहे|
आये दी ते कदर न जानन दीवे बालन मधियन ते|
कहे अवतार अड़े ने मूर्ख अ़ज वी ओहनां आडीँ ते|

इक तू ही निरंकार (९)
दारू पूरा बाझ परहेजों असर जिवें नहीं कर सकदा|
अमल न हत्थों करिए जेकर कम नहीं कोई सर सकदा|
धूड नहीं मिलदी संतजना दी जेकर मन सत्कार नहीं|
ज्ञान कदी नहीं दिल विच टिकदा जे गुर ते इतबार नहीं|
गुर बिन होंदा ज्ञान कदी नहीं मन बिन ज्ञान खलोंदा नहीं|
अवतार जे पंज प्रण ना मन्निए शब्द बोध वी होंदा नहीं|

इक तू ही निरंकार (९-१)
सब तो वड्डी दात एह तैनू बख्शी सुन्दर काया ऐय|
पर इह समझ अमानत एहदी सारा माल पराया ऐय|
मन हे जिसदे आखे लग के हर वेले तूं होनै खुवार|
सारी दुनिया अपनी समझें करना इय झूठा हंकार|
महल माडिया कुटुंब-कबीला जिंनी तेरी माया ऐय|
जो कुछ दिसदै सब कुछ झूठे चलदी फिरदी छाया एह|
वरतदे होयां इन्हां नूं जे हुकम रब का जानेगा|
होमैं रोग ना लग्गे तैनूं बन्दे मौजां मानेंगा|
जिस दी वस्तु ओहदी समझे कम की तकरार दा ऐय|
कहे अवतार इह पहला प्रण ऐय तन मन धन निरंकार दा ऐय |

इक तू ही निरंकार (९-२)
इक्को नूर है सभ दे अन्दर नर है चाहे नारी ए|
ब्राह्मण खतरी वैश हरिजन इक दी खलकत सारी ए|
देह सभनां दी इक्को जेही इक्को रब्ब संवारी ए|
जात पात दे झगडे काहदे काहदी लोकाचारी ए|
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई इक्को रब्ब दे बन्दे ने|
बन्दे समझ के प्यार है करना चंगे भावें मन्दे ने|
जे सभनां विच इक्को रब्ब ए कौण बुरा ते कौण ए चंगा|
जिवे गंदगी मिल गंगा विच हो जांदी ए आप वी गंगा|
सभ नूं इक्को जिहा जाण के मन दी आकड़ भनणी तूं|
कहे अवतार एह दूजा प्रण ए वर्ण जात नहीं मनणी तूं|

इक तू ही निरंकार (९-३)
धरती उत्ते हर मौसम दा वखरा ताणा बाणा ए |
वक्खो वख पहरावा सभ दा वखरा पीणा खाणा ए |
रब्ब ने कुझ नहीं खाण नूं दसया रब्ब वल्लों कुझ बंद नहीं |
खाण पीण है तन दी खातर रूह दा कोई सम्बन्ध नहीं |
कदी बैठ के ठंडे दिल नाल बन्दे एह गल सोच विचार |
तेरा की नुकसान ने करदे धोती कच्छा ते सलवार |
तैनूं जेह्ड़ा चंगा लग्गे खा पी ते वस्तर पा |
दुनियां दा उपदेशक बण के होर ना झगडे पया वधा |
कहे अवतार रब्ब है मिलदा सारा माण गंवावन ते |
तीजा प्रण नफरत नहीं करनी पहनण पीवण खावण ते |

इक तू ही निरंकार (९-४)
अपणा इक ठिकाणा छड के दर दर धक्के खाणे नहीं |
रहणा सदा गृहस्थी बण के भगवे कपड़े पाणे नहीं |
भिख मंग के भेस वटा के होणां नहीं तूं बन्दे ख्वार |
दसां नवां दी किरत कमाणी नहीं बणना दूजे ते भार |
भाणे विच खुश रहणा हर दम भरमां विच ना जनम गवा |
गृहस्थी रहणै चौथा प्रण ए कहे अवतार ना भेख बणा |

इक तू ही निरंकार (९-५)
इक दिन हट्टी बैठ सराफी गहणे नहीं बणा सकदा|
मुंडा जे हो जाए मनीटर मास्टर नहीं अखवा सकदा |
आप जो अज स्कूले बैठे उसने सकणै की सीखा|
अपणा सबक जां पक्का हो जाए फेर किसे नूं लै पढ़ा|
भेद प्रभु दा खोल रिहां जो इस तों कदी वी डोलीं नां|
कहे अवतार एह पंजवां प्रण है हुकम बिना एह खोलीं नां |

इक तू ही निरंकार (१०)
बन्दे उप्पर वेख ज़रा एह सूरज चन्द सितारे नें |
चमक इनहां दी मुकणी इक दिन मिट जाणे एह सारे नें |
हेठां वेख ज़मीं अग्ग पाणी तिन्नां दा विस्तार बड़ा |
इक दिन एहने वी नहीं रहणा दिस्दै जो संसार खड़ा |
वायु जीव आकाश विचाले सूक्षम रूप है जिन्हां दा |
सदा लई एह मिट जाणा ए जोड़ जो जुङयै तिन्हां डा |
एह नौ चीजां दृष्ट्मान ने जिसनूं कहंदे माया ए |
दसवां ब्रहम एहना तों न्यारा एहना विच समाया ए |
एह सभो कुझ मिट जाणाए बाकी कुझ नहीं रहणा यार |
कहे अवतार है एहो सब कुझ इस नूं ही कहंदे निरंकार |

इक तू ही निरंकार (११)
भरपूर खलावां अन्दर वेखो पसरी बैठा जो दातार|
वक़्त दे हाकम ने है रखया नां एसे दा ही निरंकार|
जो कुझ दिसदै आउंदे एसे दा है सगल पसार|
दीन दुखी भगतां दा रक्षक एहो सृष्टि सिरजनहार|
इहो बेड़ी चप्पू एहो आप समुन्दर खेवनहार|
वेद किताबां दे नहीं वस दा बेअंत इह बे-शुमार|
जाप ताप तों वस न होवे घालां दी न जकडे तार|
कहे अवतार मिले जे सतगुर लाहे परदा छिन विचकार|

इक तू ही निरंकार (१२)
निरंकार है इक्को जिस दा कोई आकार नहीं |
जिस दा उरला कंडा कोई नहीं जिस दा परला पार नहीं |
लक्खां वेद किताबां मिल के सिफ्त जीदी नहीं गा सक्के |
लक्खां तपी तापिशवर मिल के भेद न इस दा पा सक्के |
छड स्यानप अपणी बंदा जां गुर शरणी जांदा ए |
कहे अवतार करे गुर किरपा तां एह समझीं आंदा ए |


इक तू ही निरंकार (१३)
निरंकार ए सभ दा सांझा एह वक्खो वख नहीं |
तपी तपीश्वर वेख न सक्के जोगी सक्के चख नहीं |
कण कण अन्दर हाज़िर वस्से वेखण वाली अख नहीं |
पूरे गुर दी बख्शिश बाझों हो सकदा परतख नहीं |
इक्को इक ए बागीं बूटीं फुल कलियां विच हस रिहाए |
निरंकार एह जल थल महियल कण कण अंदर वस रिहाए |
निरंकार एह जंगल बेले आप नज़ारे दस रिहाए |
शीतल चाणक ठंडक बण के हर रस अंदर वस रिहाए |
जतन हज़ारां लक्खां करमां तों एह काबू आउंदा नहीं |
अवतार गुरु जां आके एहदे मुंह तों घुंघट लाउंदा नहीं | 
इक तू ही निरंकार (१४)
एह निरंकार प्रभु है इक्को सच्चा केवल जिसदा नां |
करता धरता जो हर शै दा जिसने रचया कुल जहां |
मौत दा हाकम पाक जनम तों कायम है जो आपे आप |
पूरे गुरु तों रहमत मंग के एसे दा तूं कर लै जाप |
सच्चा सुच्चा धुर तों जेह्ड़ा कायम आखिर अव्वल ए |
कहे अवतार एह इक्को सच्चा है वी होसी कल वी ए | 
इक तू ही निरंकार (१५)
अंत नहीं एहदी कुदरत दा विस्तार दा एहदे अंत नहीं |
पर दा एहदे अंत कोई नहीं आर दा एहदे अंत नहीं |
संख करोडां नाम ने एहदे संखां ही अस्थान वी ने |
अकलां जित्थे पहुँच न सक्कन संखां होर जहान वी ने |
इस धरती तों थल्ले धरती इस तों अग्गे होर जहां |
कहे अवतार सुणो रे लोगो पूरे गुर तों समझो नां | 
इक तू ही निरंकार (१६)
एह निरंकार ए सच्चा हर दम नां एह्दा सचियाई ए |
है सी है वी होवे गा वी रचना खूब बणाई ए |
उच्चा उच्चा उच्चा सभ तों उच्चा पाक मुकाम तेरा |
सच्चा सुच्चा बिलकुल सुच्चा सुच्चा ए इक नाम तेरा |
नीवां वी ओह उच्चा हो जाए जो एह उच्चा जाण लए |
कहे अवतार गुरु दी बख्शिश जो इसनू पह्चाण लए | 
इक तू ही निरंकार (१७)
लख लख बंदा ज़ोर लगाए लेखा ना पर ला सक्के |
ख़ालिक दी रचनावां दा कुझ भेद ना समझीं आ सक्के |
कौण भला लिख सकदा ए अनगिणते नूं विच गिणती दे |
किंवे भला कोई मिण सकदा ए अनमिणते नूं विच मिणती दे |
कलम न एहनूं लिख सक्के ते जीभ ना एहनूं बोल सके |
कहे अवतार गुरु दे बाझों भेद ना कोई खोल सके | 
इक तू ही निरंकार (१८)
आप ही अपणी जाणे दाता सभ नूं देंदा रहंदा ए |
एह गल अपणे मुंह तो लेकिन विरला ही कोई कहंदा ए |
ओही ओही मिलदा सभनूं जो जो वी एह कहंदा ए |
मिलदाए जो कहन्दा एह जो कहन्दा एह मिल रहंदा ए |
ज़ात इलाही कायम दायम भगत ऐनूं निरंकार कहे |
एहो जाणे एहो समझे भाई रे अवतार कहे | 
इक तू ही निरंकार (१९)
किस घडी ए घाडत एहदी कौण बणावण वाला ए |
आपे आप ए सभ कुझ आपे हर इक शै तों बाला ए |
कद ते बुत नहीं एह्दा कोई ना गोरा ना कला ए |
निरा नशा ए ज़ात खुदा दी अजली मय दा प्याला ए |
कहे अवतार गुरु हत्थ कुंजी एसे दित्ता ताला ए |
लै कुंजी जो ताला खोले विरला किस्मत वाला ए | 
इक तू ही निरंकार (२०)
सच पुच्छो ते सारी दुनियां इस दी शह ते चलदी ए |
खलकत सारी कुल दुनियां दी एसे दर ते पलदी ए |
पातालां विच रोज़ी देणा एहदी जिम्मेवारी ए |
अम्बरां तों वि परे परेरे एसे दी सिकदारी ए |
बाझ हुकम दे राई पर्वत थां तो सकदा चल नहीं |
अवतार गुरु दे बाझों मसला होंदा हरगिज़ हल नहीं | 
इक तू ही निरंकार (२१)
तेरा इक इशारा पा के बण गए आलम सारे नें |
तेरा इक इशारा पा के फुट्टे जल दे धारे नें |
मेरी तां एह हिम्मत नहीं ए तेरी सोच विचार करां |
दिल विच ऐनी ताक़त नहीं ए तैथों जान निसार करां |
ओहो कम सुच्चजा ए जो समझें चंगी कार तूं ही |
अव्वल आख़र कायम दायम इक तूं ही निरंकार तूं ही | 
इक तू ही निरंकार (२२)
लक्खां लोकी तप ने करदे लक्खां प्यार मुहब्बत वी |
लक्खां तेरी पूजा करदे लक्खां लोक इबादत वी |
लक्खां लोकी वेद ग्रंथा दा पए पाठ सुणांदे नें |
लक्खां लोकी बण उदासी बण विच जोग कमांदे नें |
लक्खां ला चुपचाप समाधी तेरा पए ध्यान धरन |
लक्खां माया दौलत वाले लक्खां ही पुन-दान करन |
पर मेरी तां हिम्मत नहीं ए तेरी मेहर शुमार करां |
जान वी एह तां तेरी ए मैं कहडी जान निसार करां |
ओहो कम सुहोणा जापे समझें चंगी कार तूं ही |
अव्वल आख़र कायम दायम इक तू ही निरंकार तूं ही |


इक तू ही निरंकार (२३)
अनगिणत ही नाम ने तेरे अनगिणत अस्थान वी ने |
जित्थे सोचां पहुँच न सक्कन लक्खां होर जहान वी ने |
संख करोङां कह के तैनूं ऐवें भार उठाणा ए |
हेराफेरी अक्खरां दी अक्खरां दा ताणा बाणा ए |
अक्खरां दी ही खेड है सारी गीत गुणां दे गांदे ने |
अक्खरां दे ही बोल बणे ने लिक्खे बोले जांदे ने |
लक्खां हौण गे दाते भांवे गुर वरगा कोई दाता नहीं |
कहे अवतार बिना गुर पूरे अज तक किसे पछाता नहीं | 
इक तू ही निरंकार (२४)
अन्त नहीं तेरी रचना दा विस्तार दा तेरे अन्त नहीं |
आर ना तेरा नज़रीं आवे पार दा तेरे अन्त नहीं |
तिल भर तैनूं जाण ना सक्के लक्खां रौला पांदे रहये |
टुर टुर पैंडा घालां थकियां दाने ज़ोर लगांदे रहये |
तेरा अन्त कोई ना जाणे थाह किसे ना पाई ऐ |
जिन्नी कर लओ ओनी थोड़ी वड्डे दी वडियाई ए |
की कोई जाणे की कोई बुज्हे उच्चा पाक मुकाम तेरा |
सभ तों उच्चा सभ तों सुच्चा निरंकार इक नाम तेरा |
एनां उच्चा केहडा होवे जो एह उच्चा जाण लए |
बून्द बणे ओह आप समुन्दर जो सागर विच आण पए |
आप करे जे किरपा आपे अपणा आप जणा सकदाए |
अवतार गुरु जे मिल जाये पूरा छिन विच राम विखा सकदाए | 
इक तू ही निरंकार (२५)
कोई सूरा कोई राजा नहीं ए भीख जो एत्तथो पांदा नहीं |
इक वी जीव नहीं जग उत्ते जो इस तों मंग खांदा नहीं |
लक्खां किसमत मारे एत्थे पापी ते बदकार वी ने |
घुल घुल लक्खां दुकखां अन्दर जीवन तों बेज़ार वी ने |
लख करोडां खा के एह्दा साफ़ मुकरदे जांदे ने |
होछे मूरख खा के एह्दा ऐहनू अख विखांदे ने |
एसे जग विच कई हज़ारां दुकखां हत्थों मर रहये ने |
क़ैद वी तेरी मरज़ी ए आज़ादी तेरी मरज़ी ए |
कौन तैनूं कुझ कह सकदै एह मरज़ी मेरी मरज़ी ए |
मूरख बन्दा तेरे चों वी कढ के नुक्स विखांदा ए |
होणी दा जां थप्पड़ लगदै होश तां ऐहनू आंदा ए |
जिन्हूं वी एह कर लए अपणा ओह असगाह हो जांदा ए |
संत अवतार मिले जे पूरा मंगता शाह हो जांदा ए | 
इक तू निरंकार जी (२६)
गुणां दा तेरे मुल्ल नहीं अणमुल्ला ए भंडार तेरा |
अनमुल्ले ने गाहक तेरे अणमुल्ला वापार तेरा |
तेरी कीमत सच्चे साहिबा कौण भला कोई कह सकदाए |
लख लुकमान अरस्तू होवण भेद ना तेरा लह सकदाए |
लक्खां लेख लिखे ने तेरे ग्रंथां वेद कुरानां नें |
सिफ़त करण लई ज़ोर लगाए लक्खां ही विदवानां नें |
ब्रह्मा विष्णु इन्दर सारे सिफ़त तेरी पए करदे नें |
तीरथ दान दया तप संजम तेरे दर दे बरदे नें |
बून्द निमाणी जे कर चाहे नहीं सरोवर भर सकदी |
सारी दुनिया वी जे चाहे सिफ़त नहीं तेरी कर सकदी |
बेअंत है साहिबा मेरा सिफ़त कोई की कर सकदाए |
कहे अवतार मिले जो साधू छिन विच खाली भर सकदाए | 
इक तू ही निरंकार (२७)
घर दस्सां मैं की साहिबा दा कर न सक्के जीभ ब्यान |
अरबां नाद करोडां वाजे राग एहदे दर तरले पान |
भैरवी ऐत्थे गिद्दा पाए नच नच गाउंदा ए मलहार |
देवी देव रबाबी एहदे धर्मराए ने छोहे तार |
अठसठ तीरथ किकली पांदे परियां छेड़े सुर ते तान |
गावण सिद्ध समाधी बैठे गावण पंडित शेख सुजान |
तू एं सच्चा साहिब मेरा नां तेरा सचियाई ए |
जिन्हां सतगुर पूरा लभा रमज़ उन्हां ने पाई ए |
जो कुझ हैं तूं आप स्वामी रचना खूब रचाई ए |
कहे अवतार हौं सब का दासा सब तेरी वडियाई ए | 
इक तू ही निरंकार(२८)
सबर सिदक दा चोला होवे तेरा इक सहारा रहये |
साधु रह के दुनियां अंदर वांग कमल दे न्यारा रहये |
तेरे अंदर खावे पीवे तेरे अंदर डेरा रहये |
गंगा वांगो निर्मल होवे न तेरा न मेरा रहये |
न हिन्दू न मुसलम जाणे भेद न सिख ईसाई दा |
उच्चा होके नीवां समझे माण नहीं दानाई दा |
सबर शांति ते सम दृष्टि संतजना दा गहणां ए |
संतजना दा वड्डा जेवर भाणे अंदर रहणां ए |
संत हरि दे मित्तर मेरे कोल सुबह ते शाम मेरे |
कहे अवतार इन्हां संता नूं लक्खां परनाम मेरे | 
इक तू ही निरंकार (२९)
कोई कह्न्दै तिन देवतयां मिल दुनिया सगल बनाई ए |
ब्रह्मा विष्णु ते शिव तिन्ने जिन्हां हथ खुदाई ए |
इक बणाई सृष्टि सारी इक रोज़ी पहुंचांदा ए |
तीजा वेखे करनी सब दी मौत दे गेंङीं पांदा ए |
सच पुच्छे जे दुनिया मैत्थों हुकम इक दे पलदी ए |
जिद्दां जिददां हुकम करे एह ओदां ओदां चलदी ए |
सभ नूं वेखे भाले ऐहो हर जी दे वल ध्यान धरे |
आप बैठ के परदे ओहले अकलां नूं हैरान करे |
एसे नूं परनाम ने मेरे एसे नूं आदेस वी ए |
कहे अवतार एह पाक अनादि जुग जुग इक्को वेस वी ए | 
इक तू ही निरंकार (३०)
त्रैलोकी दा मालिक स्वामी जुग जुग आप भंडार भरे |
तरस करे ते आ जग अन्दर लक्खां पापी पार करे |
आप बणाए आपे वेखे जग दा सिरजनहार है एह |
इहो इक ख़ला दा राजा इक सच्ची सरकार है एह |
एसे नूं परनाम ने मेरे एसे नूं आदेस सदा |
अवतार गुरु एह मरे न जम्मे जुग जुग इक्को वेख सदा | 
इक तू ही निरंकार (३१)
इक दे बदले लख जुबानां जे मुंह अन्दर होवण वी |
लख बणे ओ लख गुणा फिर लख गुणा लख होवण वी |
फेर वी जेकर चाहे कोई सिफत तेरी नहीं गा सकदा |
संजम जाप खयालां राहीं तैनूं कोई नहीं पा सकदा |
तुठ पए जे आप किते एह तां एह सब कुझ कर सकदा ए|
कहे अवतार मिले जे सतगुर पत्थर सागर तर सकदा ए | 
इक तू ही निरंकार (३२)
बोलां दे एह वस् नहीं ए चुप रहण दे वस नहीं |
दान पुन दे वस नहीं ए लैण दैण दे वस नहीं |
जीवन दे एह वस नहीं ए वस नहीं मर जावण दे |
वस नहिं किसे हकूमत दे एह वस न ज़ोर लगावण दे |
मन बुद्धि दे वस दा नहीं ए वस नहीं जोग ध्यानां दे |
धरती दे एह वस दा नहीं ए न एह वस असमानां दे |
इलम किसे दे वस दा नहीं एह लक्खां थक्के ज़ोर लगा |
अवतार मिले जे साधु पूरा छिन विच देंदा परदा लाह | 
इक तू ही निरंकार (३३)
सच्चा साहिब रात बणाए मौसम वी तियार करे |
सूरज चंद बणावे ऐहो पैदा दिन ते वार करे |
मेरा साहिब सभ तों वड्डा समझे विरला एहदी चाल |
अग हवा ते पाणी साजेधरती थल्ले होर पताल |
रंग बिरंगे पुतले साजे फेरे टोरे पा के जान |
कोई कोई बुझे रंग एहदे नूं विरले सक्के नें पहचान |
जैसी करनी करसी कोई तैसा ही फल पाएगा |
साहिबा दा दरबार है सच्चा जो बीजे सो खाएगा |
सच्चे दा एह सच्चा राखा सच्चे नूं ही शान मिले |
जग उत्ते ते दुनिया पूजे दरगह इज्ज़त मान मिले |
कच्चे पक्के अग्गे जाके करनी दा फल पावणगे |
कहे अवतार गुरु दे बन्दे बिल्कुल बख्शे जावणगे | 
इक तू ही निरंकार (३४)
निरंकार नूं जो पहचाने जूनां दे विच आउंदा नहीं |
निरंकार नूं जो पहचाने मरने दा दुख पाउंदा नहीं |
निरंकार नूं जो पहचाने हरदम रहन्दा ए मसरूर |
निरंकार नूं जो पहचाने उस दियां होण बलावां दूर |
निरंकार नूं जो पहचाने दुख न नेड़े आएगा |
निरंकार नूं जो पहचाने डर ओहदा मिट जायेगा |
छङ देइये जे माण स्याणप फेर हरि दा रंग मिले |
अवतार होए पहचान प्रभु दी जे साधू दा संग मिले | 
इक तू ही निरंकार (३५)
निरंकार नूं जो पहचाने नौकर उसदा कुल जहान |
चाकर धरती अग्ग ते पाणी चन सूरज तारे असमान |
एहदी याद करी जा बंदे माल ख़जाने पाएंगा |
एहदी याद करी जा बंदे रब अन्दर वस् जाएंगा |
एहदी याद करी जा बंदे जप ते पूज़ा पाठ है एह |
एहदी याद करी जा बंदे सब दुखां दी काट है एह |
एहदी याद करी जा बंदे तीरथ ते अशनान है एह |
एहदी याद करी जा बंदे सुच पुन ते दान है एह |
निरंकार नूं याद करें तां शाकिर तूं हो जाएंगा |
निरंकार नूं याद करें तां जीवन दा फल पाएंगा |
एहनूं याद ओहो कर सकदे जो साधू तों ज्ञान लवे |
अवतार कहे सो मित्र हमारा जो इसनूं पहचान लवे | 
इक तू ही निरंकार (३६)
निरंकार नूं जो पहचाने मालिक कुल खज़ाने दा |
निरंकार नूं जो पहचाने वाकिफ़ ताने बाने दा |
निरंकार नूं जो पहचाने दुनियां विच परवान है ओह |
निरंकार नूं जो पहचाने पत वाला परधान है ओह |
इस नूं याद करे जो बंदा हरगिज़ न मुहताज रहे |
इस नूं याद करे जो बंदा सब दे सिर दा ताज रहे |
ओह कर सकदे याद खुदा दी जिसते गुर दी रहमत ए |
धूड उन्हां दे चरणां दी अवतार मेरे लई नेहमत ए | 
इक तू ही निरंकार (३७)
निरंकार जो चेते रक्खे हरदम चेहरे नूर रहे |
निरंकार जो चेते रक्खे दुख ओहदे तों दूर रहे |
एहदी याद करे जो बन्दा मन ते ओहदी जीत रहे |
एहदी याद करे जो बन्दा हरदम निर्मल चीत रहे |
जद तक कायम है ऐ एह धरती जद तक कायम कुल जहां |
रह्न्दी दुनियां तीकर रहसी सन्तजनां दा कायम नां |
धूडी ओहदी मस्तक लाईये जिस नूं इक सहारा ए |
अवतार कहे मैं बल बल जावां जिस नूं राम प्यारा ए | 
इक तू ही निरंकार (३८)
मात पिता न भैण भरा वी जिस दा कोई नाती रहये |
निरंकार ही उस बन्दे दा हरदम संगी साथी रहये |
मौत जां तैनूं वेख इकल्ला वार तेरे ते करदी ए |
प्रीत प्रभु दी उस थां ते वी तेरी रक्षा करदी ए |
औकड़ मुश्किल वड्डी आके जां तैनूं हैरान करे |
निरंकार एह पल विच तेरी हर मुश्किल आसान करे |
लख लख रब नूं पूजें भांवें रब न पर मन्जूर करे |
जाण के इक्को वार कहे जे पाप करोडां दूर करे |
हे मन गुर दे मुँहो सुण के नाम प्रभु दा लैंदा जा |
कहे अवतार समझ के रब नूं तुहिं तुहिं तूं कह्न्दा जा | 
इक तू ही निरंकार (३९)
भांवें जग दा राजा होवे दुख पांदा दुख सह्न्दा ए |
राम रमे नूं जानण वाला हरदम सुख विच रहन्दा ए |
लक्खां अते करोडां बंधन जीवन नूं चट जांदे ने |
नाम गुरु दा जे कर लईये सारे ही कट जांदे ने |
इस दुनियां दी रंग बिरंगी ऐश बुझांदी प्यास नहीं |
नाम हरी दा जेकर लईये रेह्न्दी प्यास त्रास नहीं |
जिस रस्ते आखिर नूं तूं बिलकुल कल्ला जाएंगा |
निरंकार जे साथी होवे हरगिज़ न घबराएंगा |
निरंकार एह ठण्ड निरी ए दिल विच खूब वसाई जा |
अवतार कहे गल मन्न गुरु दी निज घर डेरा लाई जा | 
इक तू ही निरंकार (४०)
होवें जे लख बांहवां वाला तां वी ते छुटकारा नहीं |
नाम लई जा नाम जपी जा इस बिन पर उतारा नहीं |
सौ सौ मुश्किल भारी वी जे राह विच तेरी आ जाए |
याद हरि दी छिन विच आ के बेड़ा पार लगा जाए |
सौ सौ जूनां भुगते बंदा आन्दा जान्दा रहंदा ए |
हरि नूं जेह्ड़ा जाण लए ओह घर वाला हो बह्न्दा ए |
मैल दिलां दी जांदी नहीं जे तीरथ पिंडा घो लईये |
पाप करोडां धुल जांदे अवतार जे गुर दा हो रहिये | 
इक तू ही निरंकार (४१ )
सन्त ने ओहो नाम दे बाजों जिन्नहां नूं कोई कम नहीं |
सन्त ने ओहो जो हर बाजों जी सकदे इक दम नहीं |
दिन ते राती सन्त हमेशा सिफ़त हरि दी गांदे ने |
नाम दा दारू पी पी साधु सारे रोग गवांदे ने |
नां ही रब दा रब वाले लई इक्को इक सहारा ए |
उठदे बह्न्दे खांदे पींदे नाम गुरु दा प्यारा ए |
सन्त हरि दे दुनियां दे विच सभ तों चंगे रहंदे ने |
अवतार गुरु दी शरणी आ शुभ करदे ने शुभ कहंदे ने | 
इक तू ही निरंकार (४२)
ज्ञान गुरु दा इनसानां नूं रब दा घर दिखलांदा ए |
ज्ञान गुरु दा इनसानां नूं मुक्क्ति मारग पांदा ए |
गुर वाले जिस रंग नूं माणन जिस दा रूप ते रंग नहीं |
सतगुर वाले जिस रंग रंगे उस विच पैंदी भंग नहीं |
ज्ञान गुरु दा साध दी पूंजी एहो ही वडियाई ए |
ज्ञान गुरु दा रख के सीने संन्ता शोभा पाई ए |
नाम हरि दा सार गुरु दी नाम हरि दा योग वी ए |
नाम हरि दा प्राण ते पिंडा नाम दवाई रोग दी ए |
रंग्गे नें जो ज्ञान गुरु दे हर दी सेवा करदे ने |
इक निरंकार हरि दे वांगो न जमदे न मरदे ने |
करदे चल्लो गल हरि दी इस तों वड्डी गल नहीं |
नहीं अवतार भरोसा तन दा अज तां है पर कल नहीं | 
इक तू ही निरंकार (४३)
जप वी कर लै तप वी कर लै सुन्न समाध लगाईं जा |
लक्खां वेद ग्रंथां ताई पढ पढ रट्टे लाई जा |
योग न्यौली किरया कर लै करम धरम बहुतेरा वी |
छड दे भांवें दुनियां ताई ला लै जंगली डेरा वी |
आसन पुट्टे सिद्धे ला के कर लै चाहे हज़ार यतन |
लख बणा लै ठाकरद्वारे दान करी जा लाल रतन |
कर कर टोटे अपने तन दे भांवे यग करांदा जा |
वरत निभा के रह के भुक्खा सौ सौ दुख उठांदा जा |
रब नूं फिर वी पहुंच न सक्के सब कुझ ही बेकार समझ |
गुरु दे मुख तों सुण के रब नूं कहे अवतार इक वार समझ |
इक तू ही निरंकार (४४)
सारी धरती भौं लै भांवें लम्बी उमर हंढाई जा |
काबे तीरथ काशी जाके मल मल पिंडा नहाई जा |
ज्यूंदे जी वी सड़ के जे तूं जान अपनी कुरबान करें |
तन तेरा जे खान दरिंदे अपने लहु दा दान करें |
न्यौली कर्म कमा के भांवे आसन लख बदलदा जा |
साधन संजम कर कर लक्खां मारग लख बदलदा जा |
जतन अनेकां कर के वी तूं पार कदी नहीं हो सकदा |
अक्खीं न रब वेख लएं जे प्यार कदी नहीं हो सकदा |
निरंकार जेही चीज़ कोई नहीं नाम हरि दा न्यारा ए |
अवतार कहे जे गुर तों बुझें ताईयों पार उतारा ए |
इक तू ही निरंकार (४५)
जिन्नां स्याणा होवे बन्दा ओनां मौत डरांदी नहीं |
ज्यों ज्यों पैंडा करदी करणी प्यास वी वधदी जांदी ए |
अग्ग न दिल दी ठंडी होवे दरयांवां दे पाणी तों |
पैंडा घर दा मुक न सक्के हरगिज़ मत स्याणी तों |
मौत ने तेरी इक नहीं मनणी हड गोडे आ भन्नेगी |
जे कर मौत कदी कुझ मन्नी नाम हरि दा मन्नेगी |
निरंकार दा नाम जे लईये सुख आउंदा दुख जांदा ए |
अवतार गुरु दिल शरणी जाईये तां एह नज़रीं आंदा ए |

इक तू ही निरंकार (४६)
निर्धन दा धन तुईयों दाता माल खज़ाना नाम तेरा |
जिस बेघर दा घर न होवे ठौर ठिकाना नाम तेरा |
जिस बन्दे विच माण नहिं कोई ओहसे दा ही माण हैं तूं |
सारी दुनियां तैत्त्थों लैंदी सब नूं देंदा दान हैं तूं |
हर कारज दा कर्ता तूंहीं मालिक आप स्वामी एं |
सभ दे दिल जानण वाला तुईयों अंतर्यामी एं |
अपने हाल ते अपनी हद नूं आपे ही एह जाण सके |
अपनी एहदी मरज़ी होवे तां कोई पहचाण सके |
सिफ़त शलांघा करनी तेरी मेरे वस दा रोग नहीं |
एह अवतार गुरु दी बख्शिश मैं ते किसे वी योग नहीं |
इक तू ही निरंकार (४७)
अव्वल वी रब मालिक ए ते आखिर वी रब्ब वाली ए |
जिस नूं रब नाल प्यार नहिं ए सोच समझ तों खाली ए |
सवांग भरण इनसानां दे ते कम करण हैवानां दे |
ठगियां दिन ते रात करण पए पिच्छे लग शैतानां दे |
कपडे भांवे गेरू रंग लै मन विच मैली माया ए |
आप नूं सभ तों उच्चा जाणे दिल हंकार समाया ए |
ध्यान लगाए माला फेरे तीरथ दा अश्नाऩ करे |
हिरस दा कुत्ता दिल विच बैठा भौंके ते हलकान करे |
अग्ग कम दी दिल विच भड़के अंग भभूत रमाई ए |
सागर तर के लंघना चौहिन्दे गल विच सिल लटकाई ए |
जिस नूं पूरा साधु मिलया डेरा रब विच लाया ए |
कहे अवतार सुणो रे सन्तो ओहो सच समाया ए |
इक तू ही निरंकार (४८)
दुक्खां मारया बन्दा वेखो कूके ते फ़रयाद करे |
याद न करदा मालिक दी जो पल पल ते इमदाद करे |
नाल फ़नाह दे प्रीतां लाईयां बाकी दी पहचान नहीं |
मदमस्ती विच मस्त फिरे पर मौत दा एहनूं ध्यान नहीं |
एदां बन्दा जमदा मरदा भोग रिहा ए कई जनम |
कहे अवतार जगत नूं रख लै कर के अपनी मेहर करम | 
इक तू ही निरंकार(४९)
अन्नहां जेकर सुण लये रस्ता रस्ते ते जा सकदा नहीं |
रहबर जिच्चर हथ न पकड़े मंज़िल ते आ सकदा नहीं |
डोरा होवे जेकर कोई नाम न तेरा सुण सक्के |
मनमुख तेरी नाम प्याली पी सक्के न पुण सक्के |
गूंगा जेकर होवे कोई की वडियाई गाएगा |
कोशिश वी लख वार करे जे अपणा रौला पाएगा |
पिंगले दे विच हिम्मत नहीं ज्यों पर्वत ते चढ़ जाणे दी |
अवतार कहे त्यों बेमुख ताई सार की महिमां गाणे दी |

इक तू ही निरंकार (५०)
तूं मालिक तूं खालिक मेरा तुध अग्गे अरदास करां |
तन मन धन सब तेरी माया पेश मैं सारी रास करां |
तुंईयों मात पिता एं सभ दा बच्चे बाले तेरे ने |
तेरी नज़र सुव्वली होवे घर सुक्खां दे डेरे ने |
अंत न तेरा बुझे कोई तेरा रूप न्यारा ए |
तूं उच्चा एं सभ तों उच्चा तेरा इक सहारा ए |
अपनी हद ते अपनी हालत तैत्त्थों रोशन सारी ए |
अवतार दास तेरे दासां दा ते चरणां तों बलिहारी ए | 
इक तू ही निरंकार (५१)
माया रंग बिरंगी जेह्ड़ी तेरा जी परचांदी ए |
पक्की गल समझ लै मेरी एह आंदी ते जांदी ए |
सुख दुनियां दे परछावें ने जेकर प्रीतां पाएंगा |
ढल्ल गये परछावें जिस दम रोयेंगा कुरलाएंगा |
जो कुझ अक्खीं नज़रीं आउंदे आवण जावण वाला ए |
अकलों अन्नां मूरख बन्दा जो इस दा मतवाला ए |
चलदे नाल प्रीतां ला के आखिर रोणा पैंदा ए |
हत्थ पल्ले नहीं पैंदा कुझ वी सभ कुझ खोणा पैंदा ए |
नाल सन्त दे प्रीत करे जो सुख ओह सारे पा लैंदाए |
सन्त अवतार करे जे किरपा अपणें नाल मिला लैंदाए | 
इक तू ही निरंकार (५२)
तन मन धन ते बच्चे बाले फानी ने नहीं रह सकदे |
बन्दे खुदी तक्कबर वाले फानी ने नहीं रह सकदे |
रथ पोशाकां घोड़े हाथी फानी ने नहीं रह सकदे |
प्यार बुतां दा हसदे साथी फानी ने नहीं रह सकदे |
जोबन राज जवानी दौलत फानी ने नहीं रह सकदे |
ठाठ अमीरी शान ते शौकत फानी ने नहीं रह सकदे |
साधजनां मिल रब पछाणे कायम दायम बन्दा रहये |
अवतार प्यारा भगत हरी दा मौत बाद वी जिन्दा रहये | 
इक तू ही निरंकार (५३)
निरंकार तों मुनकर जेह्दे बन्दे नहीं ओह काफ़र ने |
पत्थर वांगो भार धरत ते बड़े निक्कमे वाफर ने |
नाम हरी तों ख़ाली जेहड़े बन्दे गन्दे मन्दे ने |
ओहनां दे लई जगह जगह ते लाये मौत ने फन्दे ने |
जनम अकारथ बिलकुल जेकर रब चेते दिन रात नहीं |
सुक जांदी अली जीवन खेती जे मेहरां दिल बरसात नहीं |
भट्टी पा दे कम दुनियां दा जिस विच रब दा नाम नहीं |
पा दे भट्टी शूम दी दौलत जिस तों कुझ आराम नहीं |
मन विच जिस दे नाम है वसया उस दी महिमा सारी ए |
अवतार मेरा दिल वारे वारे जान मेरी बलिहारी ए | 
इक तू ही निरंकार (५४)
कम होवे जे होर किसे दा होर ओह बैठा कम करे |
दी विच जिस दे प्यार नहीं ते मुंहो प्यार दा दम भरे |
घट घट जानण वाले अग्गे जाणूं ए जो गैबां दा |
भेख किसे वी कम नहीं औणा भेद खुलेगा ऐबां दा |
दूजे नूं जो कहे करण लई आप न ओह कम करदा ए |
समझो गेड़ चौरासी पै के ओह जमदा ते मरदा ए |
मन विच जिस दे हरी वास जाए आपे हो जान्दा निरंकार |
ओहदी गल नूं जेह्दा मन्ने हो जांदा भवसागर पार |
बन्दा जेह्ड़ा जाणे तैनूं जेह्ड़ा तैनूं प्यार करे |
अवतार चरण राज लै के ओहदी हर कोई बेड़ा पार करे | 
इक तू ही निरंकार (५५)
चाकर हां मैं उस मालिक दा जेह्ड़ा सभ कुझ जाण रिहा ए |
धरती अम्बर आल दुआले जेह्ड़ा चादर ताण रिहा ए |
जेह्ड़ा कर्ता सारे जग दा अपने जन नाल वसदा ए |
कोई दूर वी वेख न सक्के किसे नूं नेड़े दसदा ए |
गंगा जल तों पाक ए जेह्ड़ा बरी तरीके चालां तों |
जाणूं जेह्ड़ा जाण है चुक्का उच्चा सब ख्यालां तों |
ऐसे जन दे चरण पकड़ लै जो एहदे मन भा चुक्का ए |
नाल मिलाए केवल ओहो जेह्ड़ा आप समा चुक्का ए |
रंग विच ओहो रंग सकदा ए जो इस दे रंग राता ए |
अवतार गुरु रब जाणन वाला सारे जग दा दाता ए | 
इक तू ही निरंकार (५६)
साध दी संगत कर लै बन्दे चेहरे नूं पुर नूर करे |
साध दी संगत कर लै बन्दे मैल दिलां दी दूर करे |
साध दी संगत कर लै बन्दे दुख दलिद्दर होवण दूर |
साध दी संगत कर लै बन्दे जांदा रहेगा माण ग़रूर |
साध दी संगत कर लै बन्दे अणडिटठा रब पाएंगा |
साध दी संगत कर लै बन्दे फलदा फुलदा जाएंगा |
साध दी संगत कर लै बन्दे पीवेंगा तूं अमृत रस |
साध दी संगत कर लै बन्दे हो जाण पंजे तेरे वस |
साध दी संगत कर लै बन्दे कायम दिल दा पारा रहये |
अवतार मिले जे साधू पूरा मन न एह आवारा रहये | 
इक तू ही निरंकार (५७)
साध दी संगत जेकर कर लएं मन दी भटकन जाएगी |
साध दी संगत जेकर कर लएं दिल विच मस्ती आएगी |
साध दी संगत जेकर कर लएं रब्ब नूं झट पह्चाण लएं |
साध दी संगत जेकर कर लएं रंग विच रलियां माण लएं |
साध दी संगत जेकर कर लएं रब्ब दे सोहले गाएंगा |
साध दी संगत जेकर कर लएं निज घर वासा पाएंगा |
साध दी संगत जेकर कर लएं पल पल ते मसरूर रहे |
अवतार मिले जे साधु पूरा मंजिल तों न दूर रहे | 
इक तू ही निरंकार (५८)
साध दी संगत जेकर मिल जाए मिट जान्दे ने काले दाग |
साध दी संगत जेकर मिल जाए मन दी बीणा छेड़े राग |
साधु होन्दै जेह्ड़ा सच्चा तिन गुणां तों दूर करे |
साधु होन्दै जेह्ड़ा सच्चा चानण थीं भरपूर करे |
साधु होन्दै असगाह सागर जिस दा आद ते अंत नहीं |
साधु दी वडियाई ऐन्नी जिसदी कोई गणत नहीं |
साधु दी वडियाई वड्डी साधां आख सुणाई ए |
कहे अवतार रब साधु अन्दर हुन्दा भेद न राई ए | 
इक तू ही निरंकार (५९)
जिस दे दिल निरंकार दा वासा जग न झूठा कर सक्के |
कमल रहे ज्यों जल अन्दर जल न जूठा कर सक्के |
जिस दे मन दी जोत जगी ए दिल उसदा बेदाग़ रहे |
दुनियां दे विच वसदा रसदा दुनियां तों बेलाग रहे |
जिस दे दिल विच इक्को वसया सभ नूं वेखे इक निगाह |
सन्त चरण दी धूड़ी छो के मंगता वी हो जांदे शाह |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा होंदा नहीं ओह बेसबर |
कहे अवतार हर हाल दे अन्दर करदा रब दा शुकर शुकर | 
इक तू ही निरंकार (६०)
जिस दे मन विच हर हर वसया हर रंग विच इक रंग रहे |
पल पल संग हरि दे रहिन्दै रब्ब वी ओहदे संग रहे |
जिस दे मन विच राम पिरोयै नाम ओहदा आधार रहे |
नाम खाए ते नाम ही पहने नाम ओहदा परिवार रहे |
जिस दे दिल विच ज्ञान गुरु दा माया तों हुशियार रहे |
सन्तजनां मिल जिन्हां पछाता रब्ब वी पहरेदार रहे |
जिस दे घट विच सतगुर बह जाए उस दी संगत कर दए पार |
अवतार जेह्ड़ा गुर महिमा गाए उस दे गुण गाए संसार | 
इक तू ही निरंकार (६१)
जिस दे दिल निरंकार दा वासा ब्रहमज्ञानी कहलान्दा ए |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा इस नाल प्रीत वधांदा ए |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा ढूंढण देव महेशर आप |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा हुन्दा ए परमेश्वर आप |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा मुल नहीं उसदा है अनमोल |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा तुल न सक्के है अनतोल |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा कौन ओहनूं पह्चाणेगा |
भेद एहो जेहे ब्रहमज्ञानी दा ब्रहमज्ञानी ही जाणेगा |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा हर दम वस्से सुख दे धाम |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा अवतार करे लख लख परनाम | 
इक तू ही निरंकार (६२)
सतगुर हुन्दा जग दा दाता जो एह चाहे कर सकदा ए |
पत्थर दिल वी इस दी छोह नाल भवसागर तों तर सकदा ए |
सतगुर दाता दर आया दी झोली छिन विच भर सकदा ए |
अक्खां तों झट परदा लाह के नूरी चानण कर सकदा ए |
नाम दा दारू दे के सतगुर सभे रोग गंवा देंदा ए |
अवतार गुरु जे पूरा होवे छिन विच राम मिला देंदा ए | 
इक तू ही निरंकार (६३)
सतगुर तक के अणडिठ करदा मत्थे पांदा वट नहीं |
पूरे गुरु जो बख़शी पूंजी कर सकदा कोई चट नहीं |
पूरा सतगुर पर लगा दये लाउंदा देरी झट नहीं |
पूरा सतगुर समझ लईये तां परमेश्वर तों घट नहीं |
सतगुर आप है सुच्चा हीरा लालां दा वणजारा ए |
अवतार गुरु है आप नारायण अवगुण बख़शणहारा |

इक तू ही निरंकार (६४)
सतगुर पूरा जेकर चाहे घर तेरा भरपूर करे |
सतगुर पूरा जेकर चाहे दिल विच तेरे नूर करे |
सतगुर पूरा जेकर चाहे कण मिट्टी दा तूर करे |
सतगुर पूरा जेकर चाहे छिन विच परदा दूर करे |
सतगुर पूरा जेकर चाहे पिंगला पर्वत चढ़ सकदा ए |
अवतार गुरु जे पूरा चाहे लुंजा घाढ़त चढ़ सकदा ए |
इक तू निरंकार (६५)
ज्यों धुर तों धनवानां पिच्छे अज तक लग्गे चोर रहे |
सन्तजनां दे पिच्छे निंदक धुर तों पांदे शोर रहे |
सुण सुण निंदया तोहमत ताने सन्त मगर बेगोरे रहे |
सन्तजनां दी महफ़िल अन्दर चलदे हक दे दौर रहे |
लख लख ज़ोर लगा लए निंदक पर न गल नूं टोक सके |
कहे अवतार गुरु पूरे दा रस्ता न ओह रोक सके |
इक तू ही निरंकार (६६)
संतां ते कई जुल्म कमाए मजहबां दे सैयादां ने |
कंधा विच चुणवाए कई शरह देआं जल्लादां ने |
कई चढ़ाये सूली उत्ते लोहां ते बिठलाये कई |
दुनियां मिल के सन्तजनां ते इक नहीं जुल्म कमाए कई |
अवतार भगत पर मनदे रहे ने अपणा कुल ज़माने नूं |
औकड़ दुख मुसीबत झल्ली मिट्ठा मन्न के भाणे नूं |
इक तू ही निरंकार (६७)
सतगुर आउंदै दुनियां उत्ते सारे ही संसार लई |
सतगुर आउंदै दुनियां उत्ते केवल पर उपकार लई |
सतगुर आउंदै दुनियां उत्ते दुनियां दे उद्धार लई |
सतगुर आउंदै दुनियां उत्ते एके दे परचार लई |
गुरु वरगा कोई दाता नहीं ए मत्त एहदी जेही मत्त नहीं |
कहे अवतार गुरु दे बाजों दरगह रहन्दी पत्त नहीं | 
इक तू ही निरंकार (६८)
रंग हरि दे रंगया जेह्ड़ा जो करदा या कह्न्दा ए |
रंग हरि दे रंगया जेह्ड़ा संग हरि दे रहन्दा ए |
जो कुझ हुन्दै हो जाये भांवे दिल नूं एहदे गम नहीं |
जो कुझ हुन्दै हो जाये भांवे नाम बिना कोई कम नहीं |
जो कुझ वी रब कर देंदा ए इसनूं मिट्ठा लगदा ए |
जिसदे दिल विच चौवहीं घंटे नाम दा दीवा जगदा ए |
सन्त आये ने एसे थां तों एसे विच समावण गे |
एत्थे हस हस जीवन कट्टन अग्गे इज्ज़त पावण गे |
संन्ता नूं वडियाना सन्तो रब दी ही वडियाई ए |
कहे अवतार हरि हर अन्दर हुन्दा भेद न भाई ए | 
इक तू ही निरंकार (६९)
निरंकार नूं जिन्हें पछाता उसदी शान न्यारी ए |
ओस्से दी ही मेहर दा सदका बचदी दुनियां सारी ए |
एहो जेहे ही रब दे बन्दे दुनियां पर लगांदे ने |
एहो जेहे ही रब दे बन्दे जग दा रोग मिटांदे ने |
रब एहो जेहे भगतां नूं ही अपणे नाल मिलाएगा |
गुरु तों सुण के नाम जपे जो दुनियां विच सुख पायेगा |
एहो जेहे रब दे बंदे दी एह आप ही सेवा करदा ए |
ओह सब तों उच्चा हुन्दा ए जो इसदे दर दा बरदा ए |
अवतार जपे जो नाम हरि दा ओह सच्चा ते सुच्चा ए |
धनता योग है जीवन उस दा ओह उच्चे तों उच्चा ए | 
इक तू ही निरंकार (७०)
ज्यों इक खम्बा अपणे सर ते छत्त दा बोझ उठान्दा ए |
त्यों बन्दे दा मन गुर पासों कुल सहारे पान्दा ए |
ज्यों बलदे होये दीपक राहीं दूर हनेरा हो जान्दा ए |
त्यों बन्दा गुर दर्शन कर के रूह अपणी चमकान्दा ए |
ज्यों बन्दे नूं हनेरे अन्दर चानण राह ते पा देंदा ए |
कहे अवतार मिले जे साधू रब नूं झट दिखला देंदा ए | 
इक तू ही निरंकार (७१)
जोड़ दये जो तार दिलां दे दुनियां दा समझो करतार |
एहदे सदके दुनियां जीवे दुनियां दा समझो दातार |
एहदे मन विच सब दी चिंता एह करदा रखवाली ए |
एसे तों मंग खावण सारे कोई न जान्दा खाली ए |
मन मेरे कर याद एसे दी जेह्ड़ा इक लाफ़ानी ए |
आपे आप है कर्ता धर्ता ज़ात जिददी लासानी ए |
मेहर एहदी न होवे जेकर बंदा नहीं कुझ कर सकदा |
लक्खां ज़ोर लगा लए भांवें कम नहीं कोई सर सकदा |
बाझ हरि तों हे मन मेरे कम न कुझ वी आवेगा |
कहे अवतार चरण गुर परसे ओहो मुक्ति पावेगा | 
इक तू ही निरंकार (७२)
सतगुर दे चरणां तों वड्डा तीरथ ते अशनान नहीं |
बिन गुर दे है पशु एह बन्दा बण सकदा इनसान नहीं |
गुर चरणां दी धूड़ी लै के मल मल के अशनान करो |
तन मन धन साधां तों अपणा ख़ुशी ख़ुशी कुर्बान करो |
साध दी सेवा ओह कर सक्के जिस तों आप करावे एह |
अवतार ओह गावे सिफ़त हरि दी जिस तों आप गवावे एह | 
इक तू ही निरंकार (७३)
जिस रब नूं पई ढूंढे दुनियां दस्सां कित्थे रहिन्दा ए |
संता दे हिरदय विच वसदा ते रसना ते बहिन्दा ए |
वेला फिर एह हत्थ नहीं आउणा कर लै कम जो करना ए |
भट॒ठ पाके वडियाई सारी रख सर साधु चरना ते |
धन्न धन्न ने भाग उन्हां दे जिन्नां एह कम कीता ए |
गल साध दी दिल विच रक्खी जन्म सफल कर लीता ए |
निरंकार दा वणज करे जो विरला ओह व्योपारी ए |
अवतार नाम दे वणजारे तों सौ वारी बलिहारी ए | 
इक तू ही निरंकार (७४)
सच्चे सुच्चे मोती कोलों साधु दे तूं बोल समझ |
मुल इन्हां दा पै नं सक्के वचन तूं एह अनमोल समझ |
जेह्ड़ा मन्ने नाले चल्ले ओहो मुकति पांदा ए |
अपणे आप ते तरदा ही ए दुनियां पार लंघांदा ए |
उठदा बहिंदा सुणदा रहिन्दा अरशां दी शहनाई नूं |
अवतार गुरु दा शब्द संभाले भुल्ले होर पढाई नूं | 
इक तू ही निरंकार (७५)
मेरे सजनो रल मिल आओ रब्ब दी महिमा गा लईए |
सतगुर तों रब्ब कर के चेते इस ते ध्यान जमा लईए |
गले सड़े न पाणी डोबे दात अनोखी पा लईए |
सतगुर तों रब्ब कर के चेते आवण जाण मुका लईए |
मन अपने दी जोत जगा के मन विच याद वसा लईए |
सतगुर तों रब्ब कर के चेते घर विच घर बणा लईए |
अवतार गुरु दी चरणी ढह के अठसठ तीर्थ नहा लईए |
जिस लई मिलया एह तन चोला ओहो कम मुका लईए | 
इक तू ही निरंकार (७६)
भावें रब ए दाता जेह्ड़ा सभनां दे नाल रहन्दा ए |
पूरा सतगुर मिल जाये जे कर तां एह परदा लहन्दा ए |
पल पल याद करो इस रब नूं माण दा भांडा चूर करो |
सिमर सिमर के एसे रब नूं चिंता मन दी दूर करो |
साध चरन ते रख के सर नूं दूर दिलों हंकार करो |
लै अवतार गुरु पग धूड़ी अग्ग दा सागर पार करो | 
इक तू ही निरंकार (७७)
समां गया फिर हत्थ नहीं आउणां अंत समय पछताएंगा |
धरमराय ने जम्म जां घल्ले रोयेंगा कुरलाएंगा |
संगी साथी जिन्नें तेरे कम किसे ने आउणां नहीं |
सक्के साक सम्बंधिया चों वी आ के किसे बचाउणां नहीं |
आखिर नूं कम गुरु ने आउणै गोरे चिट्टे चम नहीं |
अवतार दे सिख तो लेखा मंगे धरमराय दा दम नहीं | 
इक तू ही निरंकार (७८)
बिन वेखे मन मनदा नहीं ए बिन मन मन्ने प्यार नहीं |
प्यार बिना नहीं भगती ते बिन भगती बेडा पार नहीं |
गुरु दिखावे गुरु मनावे गुरु ही प्यार सिखांदा ए |
बिन गुरु भगती मूल न होवे जो करदा पछतांदा ए |
सतगुर पासो बंदा जो अविनाशी दी पहचान करे |
अवतार गुरु दी नज़र सवल्ली छिन अन्दर कल्याण करे | 
इक तू ही निरंकार (७९)
सूरज चन्न सितारे सारे निस दिन आउंदे जांदे ने |
अगनी धरती पाणी वी पये हरदम चक्कर खांदे ने |
वायु जीव अकाश कोई वी अमर अचल अडोल नहीं |
निरंकार अविनाशी दे तुल इन्हां चों कोई तोल नहीं |
जिस दा रूप रंग नहिं कोई जिस दा पारावार नहीं |
कहे अवतार बिना गुर भेटे देंदा एह दीदार नहीं | 
इक तू ही निरंकार(८०)
पूरा गुर न दस्से हरगिज़ गंगा जमना दे इशनान|
पूरा गुर न दस्से हरगिज़ तीरथ पूजा पुन ते दान |
पूरा गुर न पढना दस्से ग्रन्थ अंजीलां वेद कुरान |
पूरा गुर न दस्से हरगिज़ जंगल वास समाधी लाण |
पूरा सतगुर केवल दसदै इक्को एके दी पहचान |
पूरा सतगुर केवल दसदै इक्को एके दा ही ध्यान |
पूरे गुर दी नजरां अन्दर इक्को जेहे ने कुल इनसान |
ऐसा सतगुर जे कर लभे अपणा सीस झुका दईये |
अवतार एहो जेहे साधु उत्तों आपा घोल घुमा दईये |
इक तू ही निरंकार (८१)
जिस दा अन्त न पारावार जो न दस्से सतगुर नहीं |
जर्रे जर्रे विच लिश्कार जो न दस्से सतगुर नहीं |
जग दा कर्ता पालनहार जो न दस्से सतगुर नहीं |
जीवन दाता एह दातार जो न दस्से सतगुर नहीं |
बेअन्त एह बेशुमार जो न दस्से सतगुर नहीं |
धरती अम्बर दे विचकार जो न दस्से सतगुर नहीं |
अन्नां ज्यों इक अन्ने तांई मारग ते नहीं पा सकदा |
अवतार कहे त्यों रहबर ऊरा भेद नहीं समझा सकदा |
इक तू ही निरंकार (८२)
जीवन ख़ातिर प्राणी दे लई जिवें प्राण जरूरी ए |
तीर नूं चिल्ले चाढ़न दे लई जिवें कमान जरूरी ए |
धरती बाजों कम नहीं सरदा ज्यों असमान जरूरी ए |
प्रेमां भक्ति दे लई एदां गुर दा ज्ञान जरूरी ए |
एदां ही इनसानी जामे विच भगवान जरूरी ए |
जो अवतार गुरु तों मिलदे ऐसा दान जरूरी ए |

इक तू ही निरंकार (८३)
मुहों साबण साबण कहन्दा कपड़ा इक वी धोंदा नहीं |
लक्खां साल हनेरा ढोयां कदे चानणा होंदा नहीं |
नुसखा पढिये बार बार जे रोग कदी नहीं हट सकदा |
सोना सोना कह के कोई कोडी इक नहीं खट सकदा |
रोटी रोटी कह के मिटदी कदी किसे दी भुख नहीं |
सुख दियां गल्लां बातां करके दूर हुन्दा कोई दुख नहीं |
मंजिल ते खड़ मंजिल मंजिल मंजिल तों अंजान करे |
छिन विच पुजदै मंजिल ते जो मंजिल दी पहचान करे |
रस्ता नहीं पहचान बिना मिलने दा सर्वव्यापी नूं |
ऐ पर इस नूं जानण वाला तार वी सकदै पापी नूं |
रब मिलने दे साधन दस्से जो पहचान करांदा नहीं |
ओह साधू या सन्त नहीं कोई उस तों मुक्ति पांदा नहीं |
जो परतख दिखावे रब नूं ओहो मुरशद पूरा ए |
कहे अवतार गुरु पूरे बिन जो तकया सो ऊरा ए |

इक तू ही निरंकार (८४)
माया दे जो लोभी ने करमां धरमां विच पांदे ने |
माया दे जो लोभी ने लोकां नूं नाम रटांदे ने |
माया दे जो लोभी ने पत्थरां नूं सीस झुकांदे ने |
माया दे जो लोभी ने बुतां नूं भोग लगांदे ने |
माया दे जो लोभी ने तीरथ इश्नान करांदे ने |
माया दे जो लोभी ने हज काबे नूं वडियांदे ने |
जो जाणे माया दा स्वामी उस दी माया दासी ए |
कहे अवतार चरण गुर परसे छिन विच कटदी फासी ए | 
इक तू ही निरंकार (८५)
बीते नूं ललचाईयां नज़रां नाल तकाणा माया ए |
आंदे समय दे सुपने लै लै वक़्त बिताणा माया ए |
निरंकार नूं भुल के धन ते आस लगाणा माया ए |
दिखलावे दी प्रीत जता के माण वधाणा माया ए |
मोह विच फस के संत सेवा तों जी चुराणा माया ए |
रिद्धी सिद्धि करामात लई धूनियां ताणा माया ए |
ब्रह्मज्ञान बिन जितना वी ए पीणा खाणा माया ए |
तिन्न गुणां दा जिन्ना वी ए ताणा बाणा माया ए |
इस माया तों मुक्त होण लई करम कमाणा माया ए |
वरत नेम सुच्च संजम पूजा दान कराणा माया ए |
आप मुहारे जो कुझ करिये बिन माया कुझ होर नहीं |
कहे अवतार जे सतगुर बख्शे माया दा कोई जोर नहीं |

इक तू ही निरंकार (८६)
मूरख ए पहचान बिना ऐवें हर हर करदा ए |
मूरख ए जो कोई आसरा करनी उत्ते धरदा ए |
मूरख ए जो रब पाण लई पेया दुखड़े जरदा ए |
सरदी गरमी भुख नींद नूं सह सह के पेया मरदा ए |
मूरख ए जो तारी नाल समुन्दर नूं पेया तरदा ए |
मूरख ए जो करम कांड गुण औगुण दा दम भरदा ए |
छङ स्याणप सारी जेह्ड़ा सन्त शरण आ जांदा ए |
कहे अवतार हरि दे दर्शन सहज सुभाए पांदा ए |

इक तू ही निरंकार (८७)
अन्नां बोला मूरख बेमुख मनदा नहीं नादानी नूं |
दुध समझ के रिड़की जांदे वेखो बैठा पाणी नूं |
बेह्दे निरंकार नूं जा जा संगम उत्ते भाल रहयै |
कबरां मढी मसाणां उत्ते जा जा दीवे बाल रहये |
रमे राम नूं ढूढन दे लई फोल रहये वीराने नूं |
ग्रंथां नूं कर सजदे थक्का पूज रहयै बुतखाने नूं |
भाल भाल के उमरां गाली पर एह नजरीं आया ना |
कहे अवतार गुरु दे बाजों राम किसे वी पाया ना |

इक तू ही निरंकार (८८)
मत्त गुरु दी जे मन वस्से मन दा ह्न्नेरा दूर करे |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से दिल नूं नूरो नूर करे |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से अदना आहला हो जाए |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से चानण वाला हो जाए |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से पा देंदी ए सिधे राह |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से कंगला वी हो जावे शाह |
करमां मारी दुनियां ऐ पर समझी एह्दा तत्त नहीं |
कहे अवतार पये न पल्ले जे कर मस्तक नत्त नहीं |
इक तू ही निरंकार (८९)
फोल लवो इतिहास पुराणे हो गए वलियां पीरां दे |
रुख बदले ने सतगुर ते ही ओहनां दी तकदीरां दे |
जिन्नें वी हो गुज़रे अज तक अपणे आप न पा सक्के |
राम कृषण ते नानक तक वी खुद नहीं परदा लाह सक्के |
दुनियां नूं राह दसण लई सभ नूं रीत निभाणी पई |
वलियां नूं वी जा गुर दर ते अपणी धौण झुकाणी पई |
ज्ञान दी गड्डी दी अज तीकण सतगुर दे हथ डोर रही |
अवतार कहे पर अन्नहीं दुनियां ऐंवें पांदी शोर रही | 
इक तू ही निरंकार (९०)
इक न भुल्ला दो न भुल्ले भुल्या फिरदा कुल जहां |
नामी दी पह्चाण कोई नहीं मुहों रटटी जांदे नां |
मन दे आखे लग के बुद्धि पुट्ठी राह ते पा बैठे |
घड़ घड़ के बुत रंग बिरंगे सौ भगवान बणा बैठे |
जिस ने सूरज दीप बणाये दीप ओहनूं दिखलांदा ए |
खुशबूआं दे मालिक अग्गे जा जा धूप धुखांदा ए |
करम कांड दे नेहरे अंदर बिल्कुल अन्नहां खाता ए |
उस नूं भोग लगाणां चाहे जो हर जी दा दाता ए |
बेह्दे असगाहे नूं एह वलगन दे विच वल रहया ए |
रब मिलन दे चा अन्दर एह अपणे आप नूं छल रहया ए |
ख्याली महल बणाई जांदै एह सुपने दियां नीहां ते |
कहे अवतार तरस कर दाता कुल दुनियां दे जीयां ते | 
इक तू ही निरंकार (९१)
पंज तत्ता दे पुतले वेखो वक्खो वख इनसान बणे |
कोई हिन्दू ते सिख ईसाई कोई ने मुसलमान बणे |
एहदी मत्त दे चानण उत्ते परदे पै गये रातां दे |
राग अवल्ले छेड़ी बैठे एह मजहबां ते जातां दे |
एन्नां भुलयै अज जमानां परतख नूं ना पेख सकन |
अन्नहे आगू अन्नहे पांधी टोया तक ना वेख सकन |
अन्नहे नूं जे दीवा दसिये करदा नहीं इतबार कदी |
कहे अवतार बिनां गुरु भेटे हुन्दा नहीं दीदार कदी | 
इक तू ही निरंकार (९२)
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं जा ढीमां ते गारां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं टलियां दी टनकारां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं इट्टा ते दीवारां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं मजहबी ठेकेदारां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं गंगा जेहे दरयावां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं ढलदी चढ़दी छांवां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं पुस्तक वेद ग्रंथां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं फिरकेदारी पंथा तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं भेखी साधु संतां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं गद्दीदार महतां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं भुल्ले भटके रहियां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं आदमखोर कसाईयां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं कबरां मढी़ मसानां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं जंगल बियाबानां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं कागज़ दी तसवीरां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं झूठे पीर फकीरां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं कैदां दी मजबूरी तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं उस मंजिल दी दूरी तों |
थां थां धक्के धोड़े खा के भरदा जांदै चट्टी नूं |
अवतार गुरु दी शरणी आके नहीं खुलवांदे पट्टी नूं | 
इक तू ही निरंकार (९३)
धरती विच समाया भांवें बेहिसाबा पाणी ए |
काठ दे तीले अन्दर लुक्की अग्ग दी चाहे कहाणी ए |
जे पाणी न परगट होवे प्यास कदी नहीं बुझ सकदी |
परगट होवे जे न अग्नी कर रत्ता नहीं कुझ सकदी |
जे सुपने दी बेड़ी होवे पार लगांदी पूर नहीं |
दीवा जे न जगदा होवे हनेरा हुन्दा दूर नहीं |
होवे न प्रतख जे भोजन भुख पेट दी लहंदी नहीं |
साक्षात अवतार न होवे रब दी सोझी पैंदी नहीं | 
इक तू ही निरंकार (९४)
चरण गुरु दे सुच्चे ने जो जो एह चुम्मे सुच्चा ए |
उच्ची ए इक गुर दी पूजा जो पूजे सो उच्चा ए |
दर्शन वी एह्दा सच्चा ए दर्शक वी एह्दा सच्चा ए |
ध्यान वी एह्दा सच्चा ए ध्यानी वी एह्दा सच्चा ए |
सच्ची ए इक जात गुरु दी दुनियां दा रखवाला ए |
आप सच्चाई आपे नेकी नेकी देवण वाला ए |
ओहो सच्चे सुच्चे ओहो जो सचियाई कहन्दे ने |
अवतार उन्हां दी हर शै सच्ची जो सच अंदर रहन्दे ने | 
इक तू ही निरंकार (९५)
निरंकार गुरु निज सेवक दा आप ही परदा ढकदा ए |
औकड़ दुख मुसीबत वेले हथ सिरां ते रखदा ए |
एह वडियाइयां वंडन वाला दास नूं इज्ज़त देंदा ए |
अपना नाम जपन दी एहो दास नूं हिम्मत देंदा ए |
मालिक सेवक दी ही हरदम इज्ज़त ते पत्त रखदा ए |
मालिक अपने सेवक ते ही पल पल रहमत करदा ए |
इस मालिक दे सेवक दा ही रुतबा सभ तों आहला ए |
इस मालिक दे सेवक हुन्दा सभ दुनियां तों बाला ए |
जिस सेवक नूं मालिक बख्शे महिमा ओहदी अपर अपार |
कहे अवतार हुकम मन ओहदा तर सकदा ए कुल संसार | 
इक तू ही निरंकार (९६)
सेवक है जो मालिक दा हर हुकुम नूं पूरा करदा ए |
सेवक है जो मालिक दा खलकत दी सेवा करदा ए |
सेवक है जो मालिक दा ओह नेकी तों भरपूर रहे |
सेवक है जो मालिक दा कुल बद्दीयां तों दूर रहे |
सेवक है जो मालिक दा एह मालिक ओहदे संग रहे |
सेवक है जो मालिक दा ओह रंगया एहदे रंग रहे |
सेवक है जो मालिक दा ओह नां मालिक दा जपदा ए |
सेवक है जो मालिक दा एह पत्त ओस दी रखदा ए |
सेवक है जो मालिक दा न कूके ते फरयाद करे |
अवतार कहे उस सेवक तांई खुद मालिक वी याद करे | 
इक तू ही निरंकार (९७)
जिस दे उप्पर हत्थ एह रक्खे जो चाहे करवा सकदा ए |
इक निक्की जेही कीड़ी पासों हाथी नूं मरवा सकदा ए |
हत्थ गुरु दा जिस दे सर ते दुनियां पासों डरदा नहीं |
इसदे सेवक दा जो सेवक मौत दे कोलों मरदा नहीं |
जिन्नां चिर एह आप न चाहे मारे जग दी हिम्मत नहीं |
मारन रखण हत्थ एसे दे होर किसे दी ताक़त नहीं |
बेमुख झल्ला सोचीं डुब्बा सोचां एहनूं मार लेआ |
अवतार कहे नहीं मरदा जमदा जिन्ने नाम चितार लेआ | 
इक तू ही निरंकार (९८)
तूंहीं तूंहीं निरंकार करो ते पल पल एहनूं याद करो |
इस अमृत नूं रज रज पीयो तन सौखा दिल शाद करो |
गुरु दे मुख तों सुण के जिस ने नाम हरि दा पाया ए |
उस बन्दे नूं इस दुनियां ते होर न नज़रीं आया ए |
नाम हरि दा दौलत ओहदी रूप जवानी माण रहया |
एसे विच ही मौजां माणे नाम नूं अंग संग जाण रहया |
नाम दा प्याला प्यार दे बुल्लीं जो खुशकिसमत पींदा ए |
नाम हरि दा लूं लूं वस्से नाम सहारे जींदा ए |
उठदे बेह्न्दे खांदे पींदे नाम ही मुंह ते रहन्दा ए |
अवतार गुरु दी शरणी ऐपर विरला विरला पैंदा ऐ | 
इक तू ही निरंकार (९९)
जो बन्दे दिन रात जुबां तों तूं ही तूं हीं कहन्दे ने |
हर औकड़ ते दुख सुख अंदर एहो सहारा लैंदे ने |
सतगुर दी भरती करदा जो निरंकार दे सोहले गांदा ए |
रब ओहदे विच आ वसदै ओह रब दे विच समान्दा ए |
हर दम शुकर करे इस रब दा खुशहाली जां तंगी ए |
घडी सुहानी बीत रही जो आवेगी सो चंगी ए |
सिफ़त करां की उस बन्दे दी जो सिफ़तां तों बाला ए |
एह सिफ़तां दा मालिक सांई बेहद सिफ़तां वाला ए |
सतगुर दे चरनीं जिस दा हर दम लग्गा ध्यान रहे |
कहे अवतार उस जन अन्दर निरंकार भगवान रहे | 
इक तू ही निरंकार (१००)
हे मेरे मन ओट लया कर रब्ब दे कामिल बन्दे दी |
तन मन धन सभ अर्पण कर दे सोहबत छड़ दे मंदे दी |
निरंकार नूं जान लया ते शान एहदी पहचानी ए |
त्रैलोकी दा मालिक बणदा जेह्ड़ा ब्रहमज्ञानी ए |
ऐसे जन दी संगत कर के चैन दिलां नूं आन्दा ए |
ऐसे जन दे दर्शन कर के पाप पुन मिट जान्दा ए |
ऐसे जन दी संगत कर लै चाहुन्दा जे भलयाई तूं |
चरण पकड़ लै ऐसे जन दे छड़ दे कुल चतुराई तूं |
मुक जायेगा जमणा मरना न आवें न जावेंगा |
अवतार गुरु दे चरण जे पूजें जीवन मुक्ति पावेंगा | 
इक तू ही निरंकार (१०१)
निरंकार जो परतख दस्से ओह सतगुर कहलांदा ए |
सतगुर पा के नाम दी बेड़ी भवजल पार लगांदा ए |
सतगुर अपने सिक्खां दी खुद आप हिफ़ाजत करदा ए |
सतगुर अपने सिक्खां उत्ते मेहर इनायत करदा ए |
सतगुर अपने सिक्खां दे दिल शीशे वांगूं साफ करे |
सतगुर अपने सिक्खां दे कुल भले बुरे नूं माफ़ करे |
सतगुर अपने सिक्खां दे सारे ही बन्धन तोड़ दये |
सतगुर अपने सिक्खां दे मन विषयां वल्लों मोड़ दये |
सतगुर नूं सिक्ख प्यारे कुल दुनियां दे जीआं तों |
सतगुर नूं सिक्ख प्यारे अपने पुत्तर धीआं तों |
सतगुर अपने सिक्खां नूं ही दीन ईमान समझदा ए |
कहे अवतार गुरु सिख तांई अपनी जान समझदा ए |
इक तू ही निरंकार (१०२)
सिक्ख गुरु दा दम दम पल पल दास ही बण के रहन्दा ए |
ओहो कर कमावे गुरसिक्ख जो कुझ सतगुर कहन्दा ए |
लख स्याणां होवे गुरसिक्ख पर आपे नूं मूढ़ गिणे |
लख होवे सिक्ख दौलत वाला गुर चरणां दी धूड़ गिणे |
गुर उत्ते आके गुरसिक्ख जाणों कि मुक जांदा ए |
भुल्ल भुलेखे वी जे भुल्ले साह इसदा सुक जांदा ए |
गुरसिख नूं नहीं इच्छा फल दी कर्म सदा निष्काम करे |
कहे अवतार एहो जेहे सिक्ख दा सत्त्गुर रोशन नाम करे |
इक तू ही निरंकार (१०३)
दुनियां ते मशहूर मुहब्बत जिद्दां चन्न चकोर दी ए |
दुनियां ते मशहूर मुहब्बत जिद्दां चन्न फुल्ल ते भौर दी ए |
बलदे दीपक नाल प्रीति जिद्दां है परवाने दी |
गुर चरणां दे नाल प्रीति एद्दां सिक्ख दीवाने दी |
मछली जिद्दां पाणी नूं इक पल दे लई न छोड़ सके |
गुरसिकख एद्दां मन अपणे नूं गुर वल्लों न मोड़ सके |
रहे प्यासा जिवें पपीहा इक्को बूंद स्वांति लई |
गुरसिक्ख दी अख रहे तरसदी सतगुर दी इक झाती लई |
महिन्दी जिद्दां उमरां तीकर रंग न अपना छड़ सक्के |
कहे अवतार एह सिक्ख गुरु तों हो न एद्दां अड्ड सक्के | 
इक तू ही निरंकार (१०४)
घर दे मालिक बाझों हुन्दा जीकण सुन्ना डेरा ए |
गुर दस्से तां सिक्ख लई चानण न दिस्से तां हन्नेरा ए |
ज्यों प्यासे नूं पानी बाझों गल कोई होर सुखांदी नहीं |
ज्यों बिरहा दे मारे तांई गल किसे दी भांदी नहीं |
ज्यों फुल्लां ते वेख बहारां बंद कली मुसकांदी ए |
ज्यों सुहागन वेख पति नूं दिल दिल विच हरशांदी ए |
काले बद्दल वेख आकाशीं मोर ज्यों पैलां पांदा ए |
अवतार तिवें सिख वेख गुरु नूं फुल्या नहीं समांदा ए | 
इक तू ही निरंकार (१०५)
गुरसिख दे बुल्लां ते हर दम अपणे गुर दी कहाणी रहये |
प्यार दिलां विच नाम जुबां ते एहदी एह जिंदगानी रहये |
गुरसिख गुर दी अख नाल वेखे गुर दे कन नाल सुणदा ए |
गुरसिख ज्ञान सरोवर विच्चों हीरे मोती चुणदा ए |
गुर दी मूरत मन विच वस्से दिल विच परउपकार रहे |
हर वेले हर हाल दे अन्दर जुड़ी नाल तार रहे |
सिख गुरु दा तक माया नूं हरगिज़ टपला खाए ना |
कहे अवतार सिख सत्गुर बाझों किसे नूं लेखे लाये ना | 
इक तू ही निरंकार (१०६)
जेहड़े सतगुर किरपा कीती जिस तों जीवन दान लयै |
जेहड़े सतगुर किरपा कीती जिस तों रब नूं जाण लयै |
जिस सतगुर दी किरपा सेती रंग हरि दा माण लयै |
जिस सतगुर दी किरपा सेती रब नूं तूं पह्चाण लयै |
जिस ने अपणे कुल खज़ाने तेरे लेखे ला दित्ते |
जिस ने अपणे कुल खज़ाने तेरी झोली पा दित्ते |
ऐसा सतगुर पल पल सिमरो छिन छिन इस दा ध्यान धरो |
ऐसे सतगुर उत्तों अपणा तन मन धन कुर्बान करो |
सतगुर रब विच रब सतगुर विच इस दी वखरी जात नहीं |
नाम धन है सभ तों उच्चा इस तों उच्ची दात्त नहीं |
किसे चलाकी कम नहीं आउणा न आउणा चतुराईयां ने |
कहे अवतार बड़े वडभागी जिन्नां सूझां पाईयां ने |


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6 comments:

  1. Namazey haq Ada hogi Aye - mere Hamdam

    Hakiqat ko zaroorat hai na mandir ki na maszid ki......

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  2. Dhan Nirankar Ji,

    I was looking for the Sampooran Avtar Bani in this format. However, it is up to Verse 106. Can you please let me know where can I find the remaining verses in this format i.e. Punjabi transliterated into Hindi.
    Thanks ji.
    ikrawal@hotmail.com

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    1. DHAN NIRANKAR G , AAP PLAY STORE SE APP DOWNLOAD KR LIJIYE USME ENGLISH AND HINDI DONO HAI G.☝🏿

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  3. जो बन्दे दिन रात जुबां तों तूं ही तूं हीं कहन्दे ने |
    हर औकड़ ते दुख सुख अंदर एहो सहारा लैंदे ने |

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