मंगलाचरण
हे समरथ परमात्मा, हे निर्गुण निरंकार|
तू करता है जगत का तू सब का आधार||
कण-कण में है बस रहा तेरा रूप अपार|
तीन काल है सत्य तू मिथ्या है संसार||
घट-घट वासी है प्रभु अविनाशी करतार|
दया से तेरी हो सभी भव-सागर से पार||
निराकार साकार तू जग के पालनहार|
हे बेअंत महिमा तेरी दाता अपरम्पार||
परम पिता परमात्मा सब तेरी संतान|
भला करो सभ का प्रभु सब का हो कल्याण||
तू करता है जगत का तू सब का आधार||
कण-कण में है बस रहा तेरा रूप अपार|
तीन काल है सत्य तू मिथ्या है संसार||
घट-घट वासी है प्रभु अविनाशी करतार|
दया से तेरी हो सभी भव-सागर से पार||
निराकार साकार तू जग के पालनहार|
हे बेअंत महिमा तेरी दाता अपरम्पार||
परम पिता परमात्मा सब तेरी संतान|
भला करो सभ का प्रभु सब का हो कल्याण||
इक तू ही निरंकार-धन धन सतगुरु`
परम पिता परमात्मा, कण कण तेरा वास|
करण करावंहार तू, सब कुझ तेरे पास|
अंग-संग तैनूं वेख के अवतार करे अरदास|
तूं शाहाँ दा शहेनशाह, मैं दासा दा दास|
करण करावंहार तू, सब कुझ तेरे पास|
अंग-संग तैनूं वेख के अवतार करे अरदास|
तूं शाहाँ दा शहेनशाह, मैं दासा दा दास|
इक तू ही निरंकार (१)
रूप रंग ते रेखों न्यारे तैनूं लख परनाम करां|
मन बुद्धि ते अक्लों बाहरे तैनूं लख परनाम करां|
अनहद ते असगाह स्वामी तैनूं लख परनाम करां|
शाहाँ दे हे शाह स्वामी तैनूं लख परनाम करां|
आद अनादी सर्वव्यापी तैनूं लख परनाम करां|
युग युग अन्दर तारे पापी तैनूं लख परनाम करां|
सगल घटा दे अंतर्यामी तैनूं लख परनाम करां|
आपे नाम ते आपे नामी तैनूं लख परनाम करां|
जीव जंत दे पालनहारे तैनूं लख परनाम करां|
कहे अवतार हे प्राण-आधारे तैनूं लख परनाम करां|
तेरी ओट सहारा तेरा तन मन घोल घुमावान|
कहे अवतार तेरे ही दाता दिन रातीं गुण गावां|
तेरे हुक्मों बाहिरा चल न सके कोए|
अवतार कुझ न कर सके जो चाहें तूं होए|
मन बुद्धि ते अक्लों बाहरे तैनूं लख परनाम करां|
अनहद ते असगाह स्वामी तैनूं लख परनाम करां|
शाहाँ दे हे शाह स्वामी तैनूं लख परनाम करां|
आद अनादी सर्वव्यापी तैनूं लख परनाम करां|
युग युग अन्दर तारे पापी तैनूं लख परनाम करां|
सगल घटा दे अंतर्यामी तैनूं लख परनाम करां|
आपे नाम ते आपे नामी तैनूं लख परनाम करां|
जीव जंत दे पालनहारे तैनूं लख परनाम करां|
कहे अवतार हे प्राण-आधारे तैनूं लख परनाम करां|
तेरी ओट सहारा तेरा तन मन घोल घुमावान|
कहे अवतार तेरे ही दाता दिन रातीं गुण गावां|
तेरे हुक्मों बाहिरा चल न सके कोए|
अवतार कुझ न कर सके जो चाहें तूं होए|
इक तू ही निरंकार (२)
हर जर्रे विच सूरत तेरी हर पत्ते ते तेरा नां|
ऐधर ओधर चार चुफेरे तेरी सूरत तकदा हाँ|
चन्दन दे विच खुशबू तूं ऐ गंगा दे विच निर्मलता|
तूं ही तेज हैं सूरज अन्दर चंदा दे विच शीतलता|
फुल्लां विच सुहाप्पन तूं ऐ, कलियाँ दे विच कोमलता|
सूझा दे विच सोझी तूं ऐ तूं कला तूं कौशलता|
सतगुर सच्चा बूटा तूहियू दसवां द्वारा तेरा देस|
कहे अवतार गुरु ने बख्शी अपनी बोली अपना वेस|
ऐधर ओधर चार चुफेरे तेरी सूरत तकदा हाँ|
चन्दन दे विच खुशबू तूं ऐ गंगा दे विच निर्मलता|
तूं ही तेज हैं सूरज अन्दर चंदा दे विच शीतलता|
फुल्लां विच सुहाप्पन तूं ऐ, कलियाँ दे विच कोमलता|
सूझा दे विच सोझी तूं ऐ तूं कला तूं कौशलता|
सतगुर सच्चा बूटा तूहियू दसवां द्वारा तेरा देस|
कहे अवतार गुरु ने बख्शी अपनी बोली अपना वेस|
इक तू ही निरंकार (३)
सच है तेरी आरती पूजा सचे दी है सच विचार|
सच ही वर्ता, सच ही वंडा सच है मेरा कारोबार|
सच्चे मैनूं सच विखाया बद्धी सच नाळ जीवन तार|
सच्ची नीहं ते सच उसारी सच दा करदा हाँ परचार|
लूं लूं अन्दर सच समाये सच्चा प्राण अधार|
सच समुंदर सच ने लहरां सच है बेडी सच पतवार|
सच्ची राह ते पूंजी सच दी सच्ची हट्टी सच वापार|
एह सच्चा है इक्को सच्चा घट घट रमिया जो निरंकार|
बूटा सिंह ने सच एह दसया करके किरपा मेहर अपार|
अवतार गुरु दे चरना उत्तों वारे जां बलिहार|
सच ही वर्ता, सच ही वंडा सच है मेरा कारोबार|
सच्चे मैनूं सच विखाया बद्धी सच नाळ जीवन तार|
सच्ची नीहं ते सच उसारी सच दा करदा हाँ परचार|
लूं लूं अन्दर सच समाये सच्चा प्राण अधार|
सच समुंदर सच ने लहरां सच है बेडी सच पतवार|
सच्ची राह ते पूंजी सच दी सच्ची हट्टी सच वापार|
एह सच्चा है इक्को सच्चा घट घट रमिया जो निरंकार|
बूटा सिंह ने सच एह दसया करके किरपा मेहर अपार|
अवतार गुरु दे चरना उत्तों वारे जां बलिहार|
इक तू ही निरंकार (४)
अकलां सोचां पहुँच न सकां मेहरां दी बेहद्दी ते|
मेहर करे जे आप स्वामी रंक बहाले गद्दी ते|
मेहर करे जे आप ही दाता नौकर कुल जहाँ करे|
मेहर जे एह निरंकार करे ते अनपढ़ नूं विद्वान करे|
तुट्ठ पए जे सतगुर पूरा मान दे वदिई दे|
तुट्ठ पए जे सतगुर पूरा दुनिया दी अगवाई दे
तुट्ठ पए जे सतगुर पूरा जग नूं पिच्छे ला सकदे|
तुट्ठ पए जे सतगुर पूरा जो चाहे करवा सकदे|
मैं की हाँ की हस्ती मेरी आप करे ते मेरा नां|
अवतार मेरे ते सतगुरु तुट्ठे सुन ले बेशक कुल जहाँ|
मेहर करे जे आप स्वामी रंक बहाले गद्दी ते|
मेहर करे जे आप ही दाता नौकर कुल जहाँ करे|
मेहर जे एह निरंकार करे ते अनपढ़ नूं विद्वान करे|
तुट्ठ पए जे सतगुर पूरा मान दे वदिई दे|
तुट्ठ पए जे सतगुर पूरा दुनिया दी अगवाई दे
तुट्ठ पए जे सतगुर पूरा जग नूं पिच्छे ला सकदे|
तुट्ठ पए जे सतगुर पूरा जो चाहे करवा सकदे|
मैं की हाँ की हस्ती मेरी आप करे ते मेरा नां|
अवतार मेरे ते सतगुरु तुट्ठे सुन ले बेशक कुल जहाँ|
इक तू ही निरंकार (५)
मैं बन्दा हां बन्दे वरगा हस्ती नहीं कोई वक्ख मिली|
सतगुर बख्शी ज्ञान सिलाई वेखन वाली अख मिली|
जो कुझ बोलां मेहर गुरु दी इस दे लेख उलेख रिहां|
अपने गुर की बख्शिश सदका निरंकार नूं वेख रिहां|
मैं होया हां जद तों इहदा होया ऐ निरंकार मेरा|
इहो वर्ता वंडा इहो कार विहार मेरा|
इह निरंकार आ मन विच मेरे गुर किरपा नाल वास गयाए|
प्यार प्रीतम बेरंगे डा लूं लूं मेरे धस गयाए|
मैं टुरदा हां ओसे राह ते जेह्डे राह इस पा दीताए|
कहे अवतार ओह कार कमाना जिहदे कम इस ला दीताए|
सतगुर बख्शी ज्ञान सिलाई वेखन वाली अख मिली|
जो कुझ बोलां मेहर गुरु दी इस दे लेख उलेख रिहां|
अपने गुर की बख्शिश सदका निरंकार नूं वेख रिहां|
मैं होया हां जद तों इहदा होया ऐ निरंकार मेरा|
इहो वर्ता वंडा इहो कार विहार मेरा|
इह निरंकार आ मन विच मेरे गुर किरपा नाल वास गयाए|
प्यार प्रीतम बेरंगे डा लूं लूं मेरे धस गयाए|
मैं टुरदा हां ओसे राह ते जेह्डे राह इस पा दीताए|
कहे अवतार ओह कार कमाना जिहदे कम इस ला दीताए|
इक तू ही निरंकार (६)
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं अख तों पर्दा लाहने दा|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं भुल्ले नूं समझाने दा|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं प्रगट मै निरंकार करां|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं सोखे दुनियादार करां|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं एके दे परचार लई|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं एके दे वापार लई|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं कुल हनेरे चाक करां|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं जो दर आवे पाक करां|
दुनिया लाख डरावे मैनू एह काम सकदा छोड़ नहीं|
जान अवतार रहे जां जावे मुहं नूं सकदा मोड़ नहीं|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं भुल्ले नूं समझाने दा|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं प्रगट मै निरंकार करां|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं सोखे दुनियादार करां|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं एके दे परचार लई|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं एके दे वापार लई|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं कुल हनेरे चाक करां|
निरंकार गुरु दा हुक्म है मैनूं जो दर आवे पाक करां|
दुनिया लाख डरावे मैनू एह काम सकदा छोड़ नहीं|
जान अवतार रहे जां जावे मुहं नूं सकदा मोड़ नहीं|
इक तू ही निरंकार (७)
एह तन मेरा खाक दी ढेरी जांदी इय तन जावे पई|
कुल माया ते दौलत मेरी जांदे इय तन जावे पई|
सच दा वैरी दुनिया भावें लाख लाख गल बनांदी रहे|
सच दा वैरी दुनिया भावें सच आखन तों डरदी रहे|
सच दा वैरी दुनिया भावें रज रज निदया करदी रहे|
गुटबंदी ते फिरकादारी जी भर रौला पावे पई|
खसमों घुथी अन्ही दुनिया रोवे ते कुरलावे पई|
लागू हो जाए भावे दुनिया राह तों सकदा हट नहीं|
कहे अवतार गुरु दी गल नूं कोई वी सकदा कट नहीं|
कुल माया ते दौलत मेरी जांदे इय तन जावे पई|
सच दा वैरी दुनिया भावें लाख लाख गल बनांदी रहे|
सच दा वैरी दुनिया भावें सच आखन तों डरदी रहे|
सच दा वैरी दुनिया भावें रज रज निदया करदी रहे|
गुटबंदी ते फिरकादारी जी भर रौला पावे पई|
खसमों घुथी अन्ही दुनिया रोवे ते कुरलावे पई|
लागू हो जाए भावे दुनिया राह तों सकदा हट नहीं|
कहे अवतार गुरु दी गल नूं कोई वी सकदा कट नहीं|
इक तू ही निरंकार (८)
जिन्हा सच दा बीड़ा चुकया दुनिया कीती घट नहीं|
संतजना हर औकड़ झल्ली मत्थे पाया वट नहीं|
संतजना नूं मनमुख हर दम बौरा झल्ला कहंदे रहे|
अपने निज स्वार्थ खातर सन्ता दे नाल खैहदे रहे|
रहबर नूं वी राहों भुल्ले लोक कुराहिया कहंदे रहे|
बे-परवाह एह संत हरि दे ताहने मेहने सहंदे रहे|
शरह दे कायल जाबर हाकम रज्ज रज्ज वैर कमंदाए रहे|
काजी पंडित अन्ने आगू रज्ज रज्ज फ़तवे लांदे रहे|
आये दी ते कदर न जानन दीवे बालन मधियन ते|
कहे अवतार अड़े ने मूर्ख अ़ज वी ओहनां आडीँ ते|
संतजना हर औकड़ झल्ली मत्थे पाया वट नहीं|
संतजना नूं मनमुख हर दम बौरा झल्ला कहंदे रहे|
अपने निज स्वार्थ खातर सन्ता दे नाल खैहदे रहे|
रहबर नूं वी राहों भुल्ले लोक कुराहिया कहंदे रहे|
बे-परवाह एह संत हरि दे ताहने मेहने सहंदे रहे|
शरह दे कायल जाबर हाकम रज्ज रज्ज वैर कमंदाए रहे|
काजी पंडित अन्ने आगू रज्ज रज्ज फ़तवे लांदे रहे|
आये दी ते कदर न जानन दीवे बालन मधियन ते|
कहे अवतार अड़े ने मूर्ख अ़ज वी ओहनां आडीँ ते|
इक तू ही निरंकार (९)
दारू पूरा बाझ परहेजों असर जिवें नहीं कर सकदा|
अमल न हत्थों करिए जेकर कम नहीं कोई सर सकदा|
धूड नहीं मिलदी संतजना दी जेकर मन सत्कार नहीं|
ज्ञान कदी नहीं दिल विच टिकदा जे गुर ते इतबार नहीं|
गुर बिन होंदा ज्ञान कदी नहीं मन बिन ज्ञान खलोंदा नहीं|
अवतार जे पंज प्रण ना मन्निए शब्द बोध वी होंदा नहीं|
अमल न हत्थों करिए जेकर कम नहीं कोई सर सकदा|
धूड नहीं मिलदी संतजना दी जेकर मन सत्कार नहीं|
ज्ञान कदी नहीं दिल विच टिकदा जे गुर ते इतबार नहीं|
गुर बिन होंदा ज्ञान कदी नहीं मन बिन ज्ञान खलोंदा नहीं|
अवतार जे पंज प्रण ना मन्निए शब्द बोध वी होंदा नहीं|
इक तू ही निरंकार (९-१)
सब तो वड्डी दात एह तैनू बख्शी सुन्दर काया ऐय|
पर इह समझ अमानत एहदी सारा माल पराया ऐय|
मन हे जिसदे आखे लग के हर वेले तूं होनै खुवार|
सारी दुनिया अपनी समझें करना इय झूठा हंकार|
महल माडिया कुटुंब-कबीला जिंनी तेरी माया ऐय|
जो कुछ दिसदै सब कुछ झूठे चलदी फिरदी छाया एह|
वरतदे होयां इन्हां नूं जे हुकम रब का जानेगा|
होमैं रोग ना लग्गे तैनूं बन्दे मौजां मानेंगा|
जिस दी वस्तु ओहदी समझे कम की तकरार दा ऐय|
कहे अवतार इह पहला प्रण ऐय तन मन धन निरंकार दा ऐय |
पर इह समझ अमानत एहदी सारा माल पराया ऐय|
मन हे जिसदे आखे लग के हर वेले तूं होनै खुवार|
सारी दुनिया अपनी समझें करना इय झूठा हंकार|
महल माडिया कुटुंब-कबीला जिंनी तेरी माया ऐय|
जो कुछ दिसदै सब कुछ झूठे चलदी फिरदी छाया एह|
वरतदे होयां इन्हां नूं जे हुकम रब का जानेगा|
होमैं रोग ना लग्गे तैनूं बन्दे मौजां मानेंगा|
जिस दी वस्तु ओहदी समझे कम की तकरार दा ऐय|
कहे अवतार इह पहला प्रण ऐय तन मन धन निरंकार दा ऐय |
इक तू ही निरंकार (९-२)
इक्को नूर है सभ दे अन्दर नर है चाहे नारी ए|
ब्राह्मण खतरी वैश हरिजन इक दी खलकत सारी ए|
देह सभनां दी इक्को जेही इक्को रब्ब संवारी ए|
जात पात दे झगडे काहदे काहदी लोकाचारी ए|
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई इक्को रब्ब दे बन्दे ने|
बन्दे समझ के प्यार है करना चंगे भावें मन्दे ने|
जे सभनां विच इक्को रब्ब ए कौण बुरा ते कौण ए चंगा|
जिवे गंदगी मिल गंगा विच हो जांदी ए आप वी गंगा|
सभ नूं इक्को जिहा जाण के मन दी आकड़ भनणी तूं|
कहे अवतार एह दूजा प्रण ए वर्ण जात नहीं मनणी तूं|
ब्राह्मण खतरी वैश हरिजन इक दी खलकत सारी ए|
देह सभनां दी इक्को जेही इक्को रब्ब संवारी ए|
जात पात दे झगडे काहदे काहदी लोकाचारी ए|
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई इक्को रब्ब दे बन्दे ने|
बन्दे समझ के प्यार है करना चंगे भावें मन्दे ने|
जे सभनां विच इक्को रब्ब ए कौण बुरा ते कौण ए चंगा|
जिवे गंदगी मिल गंगा विच हो जांदी ए आप वी गंगा|
सभ नूं इक्को जिहा जाण के मन दी आकड़ भनणी तूं|
कहे अवतार एह दूजा प्रण ए वर्ण जात नहीं मनणी तूं|
इक तू ही निरंकार (९-३)
धरती उत्ते हर मौसम दा वखरा ताणा बाणा ए |
वक्खो वख पहरावा सभ दा वखरा पीणा खाणा ए |
रब्ब ने कुझ नहीं खाण नूं दसया रब्ब वल्लों कुझ बंद नहीं |
खाण पीण है तन दी खातर रूह दा कोई सम्बन्ध नहीं |
कदी बैठ के ठंडे दिल नाल बन्दे एह गल सोच विचार |
तेरा की नुकसान ने करदे धोती कच्छा ते सलवार |
तैनूं जेह्ड़ा चंगा लग्गे खा पी ते वस्तर पा |
दुनियां दा उपदेशक बण के होर ना झगडे पया वधा |
कहे अवतार रब्ब है मिलदा सारा माण गंवावन ते |
तीजा प्रण नफरत नहीं करनी पहनण पीवण खावण ते |
वक्खो वख पहरावा सभ दा वखरा पीणा खाणा ए |
रब्ब ने कुझ नहीं खाण नूं दसया रब्ब वल्लों कुझ बंद नहीं |
खाण पीण है तन दी खातर रूह दा कोई सम्बन्ध नहीं |
कदी बैठ के ठंडे दिल नाल बन्दे एह गल सोच विचार |
तेरा की नुकसान ने करदे धोती कच्छा ते सलवार |
तैनूं जेह्ड़ा चंगा लग्गे खा पी ते वस्तर पा |
दुनियां दा उपदेशक बण के होर ना झगडे पया वधा |
कहे अवतार रब्ब है मिलदा सारा माण गंवावन ते |
तीजा प्रण नफरत नहीं करनी पहनण पीवण खावण ते |
इक तू ही निरंकार (९-४)
अपणा इक ठिकाणा छड के दर दर धक्के खाणे नहीं |
रहणा सदा गृहस्थी बण के भगवे कपड़े पाणे नहीं |
भिख मंग के भेस वटा के होणां नहीं तूं बन्दे ख्वार |
दसां नवां दी किरत कमाणी नहीं बणना दूजे ते भार |
भाणे विच खुश रहणा हर दम भरमां विच ना जनम गवा |
गृहस्थी रहणै चौथा प्रण ए कहे अवतार ना भेख बणा |
रहणा सदा गृहस्थी बण के भगवे कपड़े पाणे नहीं |
भिख मंग के भेस वटा के होणां नहीं तूं बन्दे ख्वार |
दसां नवां दी किरत कमाणी नहीं बणना दूजे ते भार |
भाणे विच खुश रहणा हर दम भरमां विच ना जनम गवा |
गृहस्थी रहणै चौथा प्रण ए कहे अवतार ना भेख बणा |
इक तू ही निरंकार (९-५)
इक दिन हट्टी बैठ सराफी गहणे नहीं बणा सकदा|
मुंडा जे हो जाए मनीटर मास्टर नहीं अखवा सकदा |
आप जो अज स्कूले बैठे उसने सकणै की सीखा|
अपणा सबक जां पक्का हो जाए फेर किसे नूं लै पढ़ा|
भेद प्रभु दा खोल रिहां जो इस तों कदी वी डोलीं नां|
कहे अवतार एह पंजवां प्रण है हुकम बिना एह खोलीं नां |
मुंडा जे हो जाए मनीटर मास्टर नहीं अखवा सकदा |
आप जो अज स्कूले बैठे उसने सकणै की सीखा|
अपणा सबक जां पक्का हो जाए फेर किसे नूं लै पढ़ा|
भेद प्रभु दा खोल रिहां जो इस तों कदी वी डोलीं नां|
कहे अवतार एह पंजवां प्रण है हुकम बिना एह खोलीं नां |
इक तू ही निरंकार (१०)
बन्दे उप्पर वेख ज़रा एह सूरज चन्द सितारे नें |
चमक इनहां दी मुकणी इक दिन मिट जाणे एह सारे नें |
हेठां वेख ज़मीं अग्ग पाणी तिन्नां दा विस्तार बड़ा |
इक दिन एहने वी नहीं रहणा दिस्दै जो संसार खड़ा |
वायु जीव आकाश विचाले सूक्षम रूप है जिन्हां दा |
सदा लई एह मिट जाणा ए जोड़ जो जुङयै तिन्हां डा |
एह नौ चीजां दृष्ट्मान ने जिसनूं कहंदे माया ए |
दसवां ब्रहम एहना तों न्यारा एहना विच समाया ए |
एह सभो कुझ मिट जाणाए बाकी कुझ नहीं रहणा यार |
कहे अवतार है एहो सब कुझ इस नूं ही कहंदे निरंकार |
चमक इनहां दी मुकणी इक दिन मिट जाणे एह सारे नें |
हेठां वेख ज़मीं अग्ग पाणी तिन्नां दा विस्तार बड़ा |
इक दिन एहने वी नहीं रहणा दिस्दै जो संसार खड़ा |
वायु जीव आकाश विचाले सूक्षम रूप है जिन्हां दा |
सदा लई एह मिट जाणा ए जोड़ जो जुङयै तिन्हां डा |
एह नौ चीजां दृष्ट्मान ने जिसनूं कहंदे माया ए |
दसवां ब्रहम एहना तों न्यारा एहना विच समाया ए |
एह सभो कुझ मिट जाणाए बाकी कुझ नहीं रहणा यार |
कहे अवतार है एहो सब कुझ इस नूं ही कहंदे निरंकार |
इक तू ही निरंकार (११)
भरपूर खलावां अन्दर वेखो पसरी बैठा जो दातार|
वक़्त दे हाकम ने है रखया नां एसे दा ही निरंकार|
जो कुझ दिसदै आउंदे एसे दा है सगल पसार|
दीन दुखी भगतां दा रक्षक एहो सृष्टि सिरजनहार|
इहो बेड़ी चप्पू एहो आप समुन्दर खेवनहार|
वेद किताबां दे नहीं वस दा बेअंत इह बे-शुमार|
जाप ताप तों वस न होवे घालां दी न जकडे तार|
कहे अवतार मिले जे सतगुर लाहे परदा छिन विचकार|
वक़्त दे हाकम ने है रखया नां एसे दा ही निरंकार|
जो कुझ दिसदै आउंदे एसे दा है सगल पसार|
दीन दुखी भगतां दा रक्षक एहो सृष्टि सिरजनहार|
इहो बेड़ी चप्पू एहो आप समुन्दर खेवनहार|
वेद किताबां दे नहीं वस दा बेअंत इह बे-शुमार|
जाप ताप तों वस न होवे घालां दी न जकडे तार|
कहे अवतार मिले जे सतगुर लाहे परदा छिन विचकार|
इक तू ही निरंकार (१२)
निरंकार है इक्को जिस दा कोई आकार नहीं |
जिस दा उरला कंडा कोई नहीं जिस दा परला पार नहीं |
लक्खां वेद किताबां मिल के सिफ्त जीदी नहीं गा सक्के |
लक्खां तपी तापिशवर मिल के भेद न इस दा पा सक्के |
छड स्यानप अपणी बंदा जां गुर शरणी जांदा ए |
कहे अवतार करे गुर किरपा तां एह समझीं आंदा ए |
जिस दा उरला कंडा कोई नहीं जिस दा परला पार नहीं |
लक्खां वेद किताबां मिल के सिफ्त जीदी नहीं गा सक्के |
लक्खां तपी तापिशवर मिल के भेद न इस दा पा सक्के |
छड स्यानप अपणी बंदा जां गुर शरणी जांदा ए |
कहे अवतार करे गुर किरपा तां एह समझीं आंदा ए |
इक तू ही निरंकार (१३)
निरंकार ए सभ दा सांझा एह वक्खो वख नहीं |
तपी तपीश्वर वेख न सक्के जोगी सक्के चख नहीं |
कण कण अन्दर हाज़िर वस्से वेखण वाली अख नहीं |
पूरे गुर दी बख्शिश बाझों हो सकदा परतख नहीं |
इक्को इक ए बागीं बूटीं फुल कलियां विच हस रिहाए |
निरंकार एह जल थल महियल कण कण अंदर वस रिहाए |
निरंकार एह जंगल बेले आप नज़ारे दस रिहाए |
शीतल चाणक ठंडक बण के हर रस अंदर वस रिहाए |
जतन हज़ारां लक्खां करमां तों एह काबू आउंदा नहीं |
अवतार गुरु जां आके एहदे मुंह तों घुंघट लाउंदा नहीं |
तपी तपीश्वर वेख न सक्के जोगी सक्के चख नहीं |
कण कण अन्दर हाज़िर वस्से वेखण वाली अख नहीं |
पूरे गुर दी बख्शिश बाझों हो सकदा परतख नहीं |
इक्को इक ए बागीं बूटीं फुल कलियां विच हस रिहाए |
निरंकार एह जल थल महियल कण कण अंदर वस रिहाए |
निरंकार एह जंगल बेले आप नज़ारे दस रिहाए |
शीतल चाणक ठंडक बण के हर रस अंदर वस रिहाए |
जतन हज़ारां लक्खां करमां तों एह काबू आउंदा नहीं |
अवतार गुरु जां आके एहदे मुंह तों घुंघट लाउंदा नहीं |
इक तू ही निरंकार (१४)
एह निरंकार प्रभु है इक्को सच्चा केवल जिसदा नां |
करता धरता जो हर शै दा जिसने रचया कुल जहां |
मौत दा हाकम पाक जनम तों कायम है जो आपे आप |
पूरे गुरु तों रहमत मंग के एसे दा तूं कर लै जाप |
सच्चा सुच्चा धुर तों जेह्ड़ा कायम आखिर अव्वल ए |
कहे अवतार एह इक्को सच्चा है वी होसी कल वी ए |
करता धरता जो हर शै दा जिसने रचया कुल जहां |
मौत दा हाकम पाक जनम तों कायम है जो आपे आप |
पूरे गुरु तों रहमत मंग के एसे दा तूं कर लै जाप |
सच्चा सुच्चा धुर तों जेह्ड़ा कायम आखिर अव्वल ए |
कहे अवतार एह इक्को सच्चा है वी होसी कल वी ए |
इक तू ही निरंकार (१५)
अंत नहीं एहदी कुदरत दा विस्तार दा एहदे अंत नहीं |
पर दा एहदे अंत कोई नहीं आर दा एहदे अंत नहीं |
संख करोडां नाम ने एहदे संखां ही अस्थान वी ने |
अकलां जित्थे पहुँच न सक्कन संखां होर जहान वी ने |
इस धरती तों थल्ले धरती इस तों अग्गे होर जहां |
कहे अवतार सुणो रे लोगो पूरे गुर तों समझो नां |
पर दा एहदे अंत कोई नहीं आर दा एहदे अंत नहीं |
संख करोडां नाम ने एहदे संखां ही अस्थान वी ने |
अकलां जित्थे पहुँच न सक्कन संखां होर जहान वी ने |
इस धरती तों थल्ले धरती इस तों अग्गे होर जहां |
कहे अवतार सुणो रे लोगो पूरे गुर तों समझो नां |
इक तू ही निरंकार (१६)
एह निरंकार ए सच्चा हर दम नां एह्दा सचियाई ए |
है सी है वी होवे गा वी रचना खूब बणाई ए |
उच्चा उच्चा उच्चा सभ तों उच्चा पाक मुकाम तेरा |
सच्चा सुच्चा बिलकुल सुच्चा सुच्चा ए इक नाम तेरा |
नीवां वी ओह उच्चा हो जाए जो एह उच्चा जाण लए |
कहे अवतार गुरु दी बख्शिश जो इसनू पह्चाण लए |
है सी है वी होवे गा वी रचना खूब बणाई ए |
उच्चा उच्चा उच्चा सभ तों उच्चा पाक मुकाम तेरा |
सच्चा सुच्चा बिलकुल सुच्चा सुच्चा ए इक नाम तेरा |
नीवां वी ओह उच्चा हो जाए जो एह उच्चा जाण लए |
कहे अवतार गुरु दी बख्शिश जो इसनू पह्चाण लए |
इक तू ही निरंकार (१७)
लख लख बंदा ज़ोर लगाए लेखा ना पर ला सक्के |
ख़ालिक दी रचनावां दा कुझ भेद ना समझीं आ सक्के |
कौण भला लिख सकदा ए अनगिणते नूं विच गिणती दे |
किंवे भला कोई मिण सकदा ए अनमिणते नूं विच मिणती दे |
कलम न एहनूं लिख सक्के ते जीभ ना एहनूं बोल सके |
कहे अवतार गुरु दे बाझों भेद ना कोई खोल सके |
ख़ालिक दी रचनावां दा कुझ भेद ना समझीं आ सक्के |
कौण भला लिख सकदा ए अनगिणते नूं विच गिणती दे |
किंवे भला कोई मिण सकदा ए अनमिणते नूं विच मिणती दे |
कलम न एहनूं लिख सक्के ते जीभ ना एहनूं बोल सके |
कहे अवतार गुरु दे बाझों भेद ना कोई खोल सके |
इक तू ही निरंकार (१८)
आप ही अपणी जाणे दाता सभ नूं देंदा रहंदा ए |
एह गल अपणे मुंह तो लेकिन विरला ही कोई कहंदा ए |
ओही ओही मिलदा सभनूं जो जो वी एह कहंदा ए |
मिलदाए जो कहन्दा एह जो कहन्दा एह मिल रहंदा ए |
ज़ात इलाही कायम दायम भगत ऐनूं निरंकार कहे |
एहो जाणे एहो समझे भाई रे अवतार कहे |
एह गल अपणे मुंह तो लेकिन विरला ही कोई कहंदा ए |
ओही ओही मिलदा सभनूं जो जो वी एह कहंदा ए |
मिलदाए जो कहन्दा एह जो कहन्दा एह मिल रहंदा ए |
ज़ात इलाही कायम दायम भगत ऐनूं निरंकार कहे |
एहो जाणे एहो समझे भाई रे अवतार कहे |
इक तू ही निरंकार (१९)
किस घडी ए घाडत एहदी कौण बणावण वाला ए |
आपे आप ए सभ कुझ आपे हर इक शै तों बाला ए |
कद ते बुत नहीं एह्दा कोई ना गोरा ना कला ए |
निरा नशा ए ज़ात खुदा दी अजली मय दा प्याला ए |
कहे अवतार गुरु हत्थ कुंजी एसे दित्ता ताला ए |
लै कुंजी जो ताला खोले विरला किस्मत वाला ए |
आपे आप ए सभ कुझ आपे हर इक शै तों बाला ए |
कद ते बुत नहीं एह्दा कोई ना गोरा ना कला ए |
निरा नशा ए ज़ात खुदा दी अजली मय दा प्याला ए |
कहे अवतार गुरु हत्थ कुंजी एसे दित्ता ताला ए |
लै कुंजी जो ताला खोले विरला किस्मत वाला ए |
इक तू ही निरंकार (२०)
सच पुच्छो ते सारी दुनियां इस दी शह ते चलदी ए |
खलकत सारी कुल दुनियां दी एसे दर ते पलदी ए |
पातालां विच रोज़ी देणा एहदी जिम्मेवारी ए |
अम्बरां तों वि परे परेरे एसे दी सिकदारी ए |
बाझ हुकम दे राई पर्वत थां तो सकदा चल नहीं |
अवतार गुरु दे बाझों मसला होंदा हरगिज़ हल नहीं |
खलकत सारी कुल दुनियां दी एसे दर ते पलदी ए |
पातालां विच रोज़ी देणा एहदी जिम्मेवारी ए |
अम्बरां तों वि परे परेरे एसे दी सिकदारी ए |
बाझ हुकम दे राई पर्वत थां तो सकदा चल नहीं |
अवतार गुरु दे बाझों मसला होंदा हरगिज़ हल नहीं |
इक तू ही निरंकार (२१)
तेरा इक इशारा पा के बण गए आलम सारे नें |
तेरा इक इशारा पा के फुट्टे जल दे धारे नें |
मेरी तां एह हिम्मत नहीं ए तेरी सोच विचार करां |
दिल विच ऐनी ताक़त नहीं ए तैथों जान निसार करां |
ओहो कम सुच्चजा ए जो समझें चंगी कार तूं ही |
अव्वल आख़र कायम दायम इक तूं ही निरंकार तूं ही |
तेरा इक इशारा पा के फुट्टे जल दे धारे नें |
मेरी तां एह हिम्मत नहीं ए तेरी सोच विचार करां |
दिल विच ऐनी ताक़त नहीं ए तैथों जान निसार करां |
ओहो कम सुच्चजा ए जो समझें चंगी कार तूं ही |
अव्वल आख़र कायम दायम इक तूं ही निरंकार तूं ही |
इक तू ही निरंकार (२२)
लक्खां लोकी तप ने करदे लक्खां प्यार मुहब्बत वी |
लक्खां तेरी पूजा करदे लक्खां लोक इबादत वी |
लक्खां लोकी वेद ग्रंथा दा पए पाठ सुणांदे नें |
लक्खां लोकी बण उदासी बण विच जोग कमांदे नें |
लक्खां ला चुपचाप समाधी तेरा पए ध्यान धरन |
लक्खां माया दौलत वाले लक्खां ही पुन-दान करन |
पर मेरी तां हिम्मत नहीं ए तेरी मेहर शुमार करां |
जान वी एह तां तेरी ए मैं कहडी जान निसार करां |
ओहो कम सुहोणा जापे समझें चंगी कार तूं ही |
अव्वल आख़र कायम दायम इक तू ही निरंकार तूं ही |
लक्खां तेरी पूजा करदे लक्खां लोक इबादत वी |
लक्खां लोकी वेद ग्रंथा दा पए पाठ सुणांदे नें |
लक्खां लोकी बण उदासी बण विच जोग कमांदे नें |
लक्खां ला चुपचाप समाधी तेरा पए ध्यान धरन |
लक्खां माया दौलत वाले लक्खां ही पुन-दान करन |
पर मेरी तां हिम्मत नहीं ए तेरी मेहर शुमार करां |
जान वी एह तां तेरी ए मैं कहडी जान निसार करां |
ओहो कम सुहोणा जापे समझें चंगी कार तूं ही |
अव्वल आख़र कायम दायम इक तू ही निरंकार तूं ही |
इक तू ही निरंकार (२३)
अनगिणत ही नाम ने तेरे अनगिणत अस्थान वी ने |
जित्थे सोचां पहुँच न सक्कन लक्खां होर जहान वी ने |
संख करोङां कह के तैनूं ऐवें भार उठाणा ए |
हेराफेरी अक्खरां दी अक्खरां दा ताणा बाणा ए |
अक्खरां दी ही खेड है सारी गीत गुणां दे गांदे ने |
अक्खरां दे ही बोल बणे ने लिक्खे बोले जांदे ने |
लक्खां हौण गे दाते भांवे गुर वरगा कोई दाता नहीं |
कहे अवतार बिना गुर पूरे अज तक किसे पछाता नहीं |
जित्थे सोचां पहुँच न सक्कन लक्खां होर जहान वी ने |
संख करोङां कह के तैनूं ऐवें भार उठाणा ए |
हेराफेरी अक्खरां दी अक्खरां दा ताणा बाणा ए |
अक्खरां दी ही खेड है सारी गीत गुणां दे गांदे ने |
अक्खरां दे ही बोल बणे ने लिक्खे बोले जांदे ने |
लक्खां हौण गे दाते भांवे गुर वरगा कोई दाता नहीं |
कहे अवतार बिना गुर पूरे अज तक किसे पछाता नहीं |
इक तू ही निरंकार (२४)
अन्त नहीं तेरी रचना दा विस्तार दा तेरे अन्त नहीं |
आर ना तेरा नज़रीं आवे पार दा तेरे अन्त नहीं |
तिल भर तैनूं जाण ना सक्के लक्खां रौला पांदे रहये |
टुर टुर पैंडा घालां थकियां दाने ज़ोर लगांदे रहये |
तेरा अन्त कोई ना जाणे थाह किसे ना पाई ऐ |
जिन्नी कर लओ ओनी थोड़ी वड्डे दी वडियाई ए |
की कोई जाणे की कोई बुज्हे उच्चा पाक मुकाम तेरा |
सभ तों उच्चा सभ तों सुच्चा निरंकार इक नाम तेरा |
एनां उच्चा केहडा होवे जो एह उच्चा जाण लए |
बून्द बणे ओह आप समुन्दर जो सागर विच आण पए |
आप करे जे किरपा आपे अपणा आप जणा सकदाए |
अवतार गुरु जे मिल जाये पूरा छिन विच राम विखा सकदाए |
आर ना तेरा नज़रीं आवे पार दा तेरे अन्त नहीं |
तिल भर तैनूं जाण ना सक्के लक्खां रौला पांदे रहये |
टुर टुर पैंडा घालां थकियां दाने ज़ोर लगांदे रहये |
तेरा अन्त कोई ना जाणे थाह किसे ना पाई ऐ |
जिन्नी कर लओ ओनी थोड़ी वड्डे दी वडियाई ए |
की कोई जाणे की कोई बुज्हे उच्चा पाक मुकाम तेरा |
सभ तों उच्चा सभ तों सुच्चा निरंकार इक नाम तेरा |
एनां उच्चा केहडा होवे जो एह उच्चा जाण लए |
बून्द बणे ओह आप समुन्दर जो सागर विच आण पए |
आप करे जे किरपा आपे अपणा आप जणा सकदाए |
अवतार गुरु जे मिल जाये पूरा छिन विच राम विखा सकदाए |
इक तू ही निरंकार (२५)
कोई सूरा कोई राजा नहीं ए भीख जो एत्तथो पांदा नहीं |
इक वी जीव नहीं जग उत्ते जो इस तों मंग खांदा नहीं |
लक्खां किसमत मारे एत्थे पापी ते बदकार वी ने |
घुल घुल लक्खां दुकखां अन्दर जीवन तों बेज़ार वी ने |
लख करोडां खा के एह्दा साफ़ मुकरदे जांदे ने |
होछे मूरख खा के एह्दा ऐहनू अख विखांदे ने |
एसे जग विच कई हज़ारां दुकखां हत्थों मर रहये ने |
क़ैद वी तेरी मरज़ी ए आज़ादी तेरी मरज़ी ए |
कौन तैनूं कुझ कह सकदै एह मरज़ी मेरी मरज़ी ए |
मूरख बन्दा तेरे चों वी कढ के नुक्स विखांदा ए |
होणी दा जां थप्पड़ लगदै होश तां ऐहनू आंदा ए |
जिन्हूं वी एह कर लए अपणा ओह असगाह हो जांदा ए |
संत अवतार मिले जे पूरा मंगता शाह हो जांदा ए |
इक वी जीव नहीं जग उत्ते जो इस तों मंग खांदा नहीं |
लक्खां किसमत मारे एत्थे पापी ते बदकार वी ने |
घुल घुल लक्खां दुकखां अन्दर जीवन तों बेज़ार वी ने |
लख करोडां खा के एह्दा साफ़ मुकरदे जांदे ने |
होछे मूरख खा के एह्दा ऐहनू अख विखांदे ने |
एसे जग विच कई हज़ारां दुकखां हत्थों मर रहये ने |
क़ैद वी तेरी मरज़ी ए आज़ादी तेरी मरज़ी ए |
कौन तैनूं कुझ कह सकदै एह मरज़ी मेरी मरज़ी ए |
मूरख बन्दा तेरे चों वी कढ के नुक्स विखांदा ए |
होणी दा जां थप्पड़ लगदै होश तां ऐहनू आंदा ए |
जिन्हूं वी एह कर लए अपणा ओह असगाह हो जांदा ए |
संत अवतार मिले जे पूरा मंगता शाह हो जांदा ए |
इक तू निरंकार जी (२६)
गुणां दा तेरे मुल्ल नहीं अणमुल्ला ए भंडार तेरा |
अनमुल्ले ने गाहक तेरे अणमुल्ला वापार तेरा |
तेरी कीमत सच्चे साहिबा कौण भला कोई कह सकदाए |
लख लुकमान अरस्तू होवण भेद ना तेरा लह सकदाए |
लक्खां लेख लिखे ने तेरे ग्रंथां वेद कुरानां नें |
सिफ़त करण लई ज़ोर लगाए लक्खां ही विदवानां नें |
ब्रह्मा विष्णु इन्दर सारे सिफ़त तेरी पए करदे नें |
तीरथ दान दया तप संजम तेरे दर दे बरदे नें |
बून्द निमाणी जे कर चाहे नहीं सरोवर भर सकदी |
सारी दुनिया वी जे चाहे सिफ़त नहीं तेरी कर सकदी |
बेअंत है साहिबा मेरा सिफ़त कोई की कर सकदाए |
कहे अवतार मिले जो साधू छिन विच खाली भर सकदाए |
अनमुल्ले ने गाहक तेरे अणमुल्ला वापार तेरा |
तेरी कीमत सच्चे साहिबा कौण भला कोई कह सकदाए |
लख लुकमान अरस्तू होवण भेद ना तेरा लह सकदाए |
लक्खां लेख लिखे ने तेरे ग्रंथां वेद कुरानां नें |
सिफ़त करण लई ज़ोर लगाए लक्खां ही विदवानां नें |
ब्रह्मा विष्णु इन्दर सारे सिफ़त तेरी पए करदे नें |
तीरथ दान दया तप संजम तेरे दर दे बरदे नें |
बून्द निमाणी जे कर चाहे नहीं सरोवर भर सकदी |
सारी दुनिया वी जे चाहे सिफ़त नहीं तेरी कर सकदी |
बेअंत है साहिबा मेरा सिफ़त कोई की कर सकदाए |
कहे अवतार मिले जो साधू छिन विच खाली भर सकदाए |
इक तू ही निरंकार (२७)
घर दस्सां मैं की साहिबा दा कर न सक्के जीभ ब्यान |
अरबां नाद करोडां वाजे राग एहदे दर तरले पान |
भैरवी ऐत्थे गिद्दा पाए नच नच गाउंदा ए मलहार |
देवी देव रबाबी एहदे धर्मराए ने छोहे तार |
अठसठ तीरथ किकली पांदे परियां छेड़े सुर ते तान |
गावण सिद्ध समाधी बैठे गावण पंडित शेख सुजान |
तू एं सच्चा साहिब मेरा नां तेरा सचियाई ए |
जिन्हां सतगुर पूरा लभा रमज़ उन्हां ने पाई ए |
जो कुझ हैं तूं आप स्वामी रचना खूब रचाई ए |
कहे अवतार हौं सब का दासा सब तेरी वडियाई ए |
अरबां नाद करोडां वाजे राग एहदे दर तरले पान |
भैरवी ऐत्थे गिद्दा पाए नच नच गाउंदा ए मलहार |
देवी देव रबाबी एहदे धर्मराए ने छोहे तार |
अठसठ तीरथ किकली पांदे परियां छेड़े सुर ते तान |
गावण सिद्ध समाधी बैठे गावण पंडित शेख सुजान |
तू एं सच्चा साहिब मेरा नां तेरा सचियाई ए |
जिन्हां सतगुर पूरा लभा रमज़ उन्हां ने पाई ए |
जो कुझ हैं तूं आप स्वामी रचना खूब रचाई ए |
कहे अवतार हौं सब का दासा सब तेरी वडियाई ए |
इक तू ही निरंकार(२८)
सबर सिदक दा चोला होवे तेरा इक सहारा रहये |
साधु रह के दुनियां अंदर वांग कमल दे न्यारा रहये |
तेरे अंदर खावे पीवे तेरे अंदर डेरा रहये |
गंगा वांगो निर्मल होवे न तेरा न मेरा रहये |
न हिन्दू न मुसलम जाणे भेद न सिख ईसाई दा |
उच्चा होके नीवां समझे माण नहीं दानाई दा |
सबर शांति ते सम दृष्टि संतजना दा गहणां ए |
संतजना दा वड्डा जेवर भाणे अंदर रहणां ए |
संत हरि दे मित्तर मेरे कोल सुबह ते शाम मेरे |
कहे अवतार इन्हां संता नूं लक्खां परनाम मेरे |
साधु रह के दुनियां अंदर वांग कमल दे न्यारा रहये |
तेरे अंदर खावे पीवे तेरे अंदर डेरा रहये |
गंगा वांगो निर्मल होवे न तेरा न मेरा रहये |
न हिन्दू न मुसलम जाणे भेद न सिख ईसाई दा |
उच्चा होके नीवां समझे माण नहीं दानाई दा |
सबर शांति ते सम दृष्टि संतजना दा गहणां ए |
संतजना दा वड्डा जेवर भाणे अंदर रहणां ए |
संत हरि दे मित्तर मेरे कोल सुबह ते शाम मेरे |
कहे अवतार इन्हां संता नूं लक्खां परनाम मेरे |
इक तू ही निरंकार (२९)
कोई कह्न्दै तिन देवतयां मिल दुनिया सगल बनाई ए |
ब्रह्मा विष्णु ते शिव तिन्ने जिन्हां हथ खुदाई ए |
इक बणाई सृष्टि सारी इक रोज़ी पहुंचांदा ए |
तीजा वेखे करनी सब दी मौत दे गेंङीं पांदा ए |
सच पुच्छे जे दुनिया मैत्थों हुकम इक दे पलदी ए |
जिद्दां जिददां हुकम करे एह ओदां ओदां चलदी ए |
सभ नूं वेखे भाले ऐहो हर जी दे वल ध्यान धरे |
आप बैठ के परदे ओहले अकलां नूं हैरान करे |
एसे नूं परनाम ने मेरे एसे नूं आदेस वी ए |
कहे अवतार एह पाक अनादि जुग जुग इक्को वेस वी ए |
ब्रह्मा विष्णु ते शिव तिन्ने जिन्हां हथ खुदाई ए |
इक बणाई सृष्टि सारी इक रोज़ी पहुंचांदा ए |
तीजा वेखे करनी सब दी मौत दे गेंङीं पांदा ए |
सच पुच्छे जे दुनिया मैत्थों हुकम इक दे पलदी ए |
जिद्दां जिददां हुकम करे एह ओदां ओदां चलदी ए |
सभ नूं वेखे भाले ऐहो हर जी दे वल ध्यान धरे |
आप बैठ के परदे ओहले अकलां नूं हैरान करे |
एसे नूं परनाम ने मेरे एसे नूं आदेस वी ए |
कहे अवतार एह पाक अनादि जुग जुग इक्को वेस वी ए |
इक तू ही निरंकार (३०)
त्रैलोकी दा मालिक स्वामी जुग जुग आप भंडार भरे |
तरस करे ते आ जग अन्दर लक्खां पापी पार करे |
आप बणाए आपे वेखे जग दा सिरजनहार है एह |
इहो इक ख़ला दा राजा इक सच्ची सरकार है एह |
एसे नूं परनाम ने मेरे एसे नूं आदेस सदा |
अवतार गुरु एह मरे न जम्मे जुग जुग इक्को वेख सदा |
तरस करे ते आ जग अन्दर लक्खां पापी पार करे |
आप बणाए आपे वेखे जग दा सिरजनहार है एह |
इहो इक ख़ला दा राजा इक सच्ची सरकार है एह |
एसे नूं परनाम ने मेरे एसे नूं आदेस सदा |
अवतार गुरु एह मरे न जम्मे जुग जुग इक्को वेख सदा |
इक तू ही निरंकार (३१)
इक दे बदले लख जुबानां जे मुंह अन्दर होवण वी |
लख बणे ओ लख गुणा फिर लख गुणा लख होवण वी |
फेर वी जेकर चाहे कोई सिफत तेरी नहीं गा सकदा |
संजम जाप खयालां राहीं तैनूं कोई नहीं पा सकदा |
तुठ पए जे आप किते एह तां एह सब कुझ कर सकदा ए|
कहे अवतार मिले जे सतगुर पत्थर सागर तर सकदा ए |
लख बणे ओ लख गुणा फिर लख गुणा लख होवण वी |
फेर वी जेकर चाहे कोई सिफत तेरी नहीं गा सकदा |
संजम जाप खयालां राहीं तैनूं कोई नहीं पा सकदा |
तुठ पए जे आप किते एह तां एह सब कुझ कर सकदा ए|
कहे अवतार मिले जे सतगुर पत्थर सागर तर सकदा ए |
इक तू ही निरंकार (३२)
बोलां दे एह वस् नहीं ए चुप रहण दे वस नहीं |
दान पुन दे वस नहीं ए लैण दैण दे वस नहीं |
जीवन दे एह वस नहीं ए वस नहीं मर जावण दे |
वस नहिं किसे हकूमत दे एह वस न ज़ोर लगावण दे |
मन बुद्धि दे वस दा नहीं ए वस नहीं जोग ध्यानां दे |
धरती दे एह वस दा नहीं ए न एह वस असमानां दे |
इलम किसे दे वस दा नहीं एह लक्खां थक्के ज़ोर लगा |
अवतार मिले जे साधु पूरा छिन विच देंदा परदा लाह |
दान पुन दे वस नहीं ए लैण दैण दे वस नहीं |
जीवन दे एह वस नहीं ए वस नहीं मर जावण दे |
वस नहिं किसे हकूमत दे एह वस न ज़ोर लगावण दे |
मन बुद्धि दे वस दा नहीं ए वस नहीं जोग ध्यानां दे |
धरती दे एह वस दा नहीं ए न एह वस असमानां दे |
इलम किसे दे वस दा नहीं एह लक्खां थक्के ज़ोर लगा |
अवतार मिले जे साधु पूरा छिन विच देंदा परदा लाह |
इक तू ही निरंकार (३३)
सच्चा साहिब रात बणाए मौसम वी तियार करे |
सूरज चंद बणावे ऐहो पैदा दिन ते वार करे |
मेरा साहिब सभ तों वड्डा समझे विरला एहदी चाल |
अग हवा ते पाणी साजेधरती थल्ले होर पताल |
रंग बिरंगे पुतले साजे फेरे टोरे पा के जान |
कोई कोई बुझे रंग एहदे नूं विरले सक्के नें पहचान |
जैसी करनी करसी कोई तैसा ही फल पाएगा |
साहिबा दा दरबार है सच्चा जो बीजे सो खाएगा |
सच्चे दा एह सच्चा राखा सच्चे नूं ही शान मिले |
जग उत्ते ते दुनिया पूजे दरगह इज्ज़त मान मिले |
कच्चे पक्के अग्गे जाके करनी दा फल पावणगे |
कहे अवतार गुरु दे बन्दे बिल्कुल बख्शे जावणगे |
सूरज चंद बणावे ऐहो पैदा दिन ते वार करे |
मेरा साहिब सभ तों वड्डा समझे विरला एहदी चाल |
अग हवा ते पाणी साजेधरती थल्ले होर पताल |
रंग बिरंगे पुतले साजे फेरे टोरे पा के जान |
कोई कोई बुझे रंग एहदे नूं विरले सक्के नें पहचान |
जैसी करनी करसी कोई तैसा ही फल पाएगा |
साहिबा दा दरबार है सच्चा जो बीजे सो खाएगा |
सच्चे दा एह सच्चा राखा सच्चे नूं ही शान मिले |
जग उत्ते ते दुनिया पूजे दरगह इज्ज़त मान मिले |
कच्चे पक्के अग्गे जाके करनी दा फल पावणगे |
कहे अवतार गुरु दे बन्दे बिल्कुल बख्शे जावणगे |
इक तू ही निरंकार (३४)
निरंकार नूं जो पहचाने जूनां दे विच आउंदा नहीं |
निरंकार नूं जो पहचाने मरने दा दुख पाउंदा नहीं |
निरंकार नूं जो पहचाने हरदम रहन्दा ए मसरूर |
निरंकार नूं जो पहचाने उस दियां होण बलावां दूर |
निरंकार नूं जो पहचाने दुख न नेड़े आएगा |
निरंकार नूं जो पहचाने डर ओहदा मिट जायेगा |
छङ देइये जे माण स्याणप फेर हरि दा रंग मिले |
अवतार होए पहचान प्रभु दी जे साधू दा संग मिले |
निरंकार नूं जो पहचाने मरने दा दुख पाउंदा नहीं |
निरंकार नूं जो पहचाने हरदम रहन्दा ए मसरूर |
निरंकार नूं जो पहचाने उस दियां होण बलावां दूर |
निरंकार नूं जो पहचाने दुख न नेड़े आएगा |
निरंकार नूं जो पहचाने डर ओहदा मिट जायेगा |
छङ देइये जे माण स्याणप फेर हरि दा रंग मिले |
अवतार होए पहचान प्रभु दी जे साधू दा संग मिले |
इक तू ही निरंकार (३५)
निरंकार नूं जो पहचाने नौकर उसदा कुल जहान |
चाकर धरती अग्ग ते पाणी चन सूरज तारे असमान |
एहदी याद करी जा बंदे माल ख़जाने पाएंगा |
एहदी याद करी जा बंदे रब अन्दर वस् जाएंगा |
एहदी याद करी जा बंदे जप ते पूज़ा पाठ है एह |
एहदी याद करी जा बंदे सब दुखां दी काट है एह |
एहदी याद करी जा बंदे तीरथ ते अशनान है एह |
एहदी याद करी जा बंदे सुच पुन ते दान है एह |
निरंकार नूं याद करें तां शाकिर तूं हो जाएंगा |
निरंकार नूं याद करें तां जीवन दा फल पाएंगा |
एहनूं याद ओहो कर सकदे जो साधू तों ज्ञान लवे |
अवतार कहे सो मित्र हमारा जो इसनूं पहचान लवे |
चाकर धरती अग्ग ते पाणी चन सूरज तारे असमान |
एहदी याद करी जा बंदे माल ख़जाने पाएंगा |
एहदी याद करी जा बंदे रब अन्दर वस् जाएंगा |
एहदी याद करी जा बंदे जप ते पूज़ा पाठ है एह |
एहदी याद करी जा बंदे सब दुखां दी काट है एह |
एहदी याद करी जा बंदे तीरथ ते अशनान है एह |
एहदी याद करी जा बंदे सुच पुन ते दान है एह |
निरंकार नूं याद करें तां शाकिर तूं हो जाएंगा |
निरंकार नूं याद करें तां जीवन दा फल पाएंगा |
एहनूं याद ओहो कर सकदे जो साधू तों ज्ञान लवे |
अवतार कहे सो मित्र हमारा जो इसनूं पहचान लवे |
इक तू ही निरंकार (३६)
निरंकार नूं जो पहचाने मालिक कुल खज़ाने दा |
निरंकार नूं जो पहचाने वाकिफ़ ताने बाने दा |
निरंकार नूं जो पहचाने दुनियां विच परवान है ओह |
निरंकार नूं जो पहचाने पत वाला परधान है ओह |
इस नूं याद करे जो बंदा हरगिज़ न मुहताज रहे |
इस नूं याद करे जो बंदा सब दे सिर दा ताज रहे |
ओह कर सकदे याद खुदा दी जिसते गुर दी रहमत ए |
धूड उन्हां दे चरणां दी अवतार मेरे लई नेहमत ए |
निरंकार नूं जो पहचाने वाकिफ़ ताने बाने दा |
निरंकार नूं जो पहचाने दुनियां विच परवान है ओह |
निरंकार नूं जो पहचाने पत वाला परधान है ओह |
इस नूं याद करे जो बंदा हरगिज़ न मुहताज रहे |
इस नूं याद करे जो बंदा सब दे सिर दा ताज रहे |
ओह कर सकदे याद खुदा दी जिसते गुर दी रहमत ए |
धूड उन्हां दे चरणां दी अवतार मेरे लई नेहमत ए |
इक तू ही निरंकार (३७)
निरंकार जो चेते रक्खे हरदम चेहरे नूर रहे |
निरंकार जो चेते रक्खे दुख ओहदे तों दूर रहे |
एहदी याद करे जो बन्दा मन ते ओहदी जीत रहे |
एहदी याद करे जो बन्दा हरदम निर्मल चीत रहे |
जद तक कायम है ऐ एह धरती जद तक कायम कुल जहां |
रह्न्दी दुनियां तीकर रहसी सन्तजनां दा कायम नां |
धूडी ओहदी मस्तक लाईये जिस नूं इक सहारा ए |
अवतार कहे मैं बल बल जावां जिस नूं राम प्यारा ए |
निरंकार जो चेते रक्खे दुख ओहदे तों दूर रहे |
एहदी याद करे जो बन्दा मन ते ओहदी जीत रहे |
एहदी याद करे जो बन्दा हरदम निर्मल चीत रहे |
जद तक कायम है ऐ एह धरती जद तक कायम कुल जहां |
रह्न्दी दुनियां तीकर रहसी सन्तजनां दा कायम नां |
धूडी ओहदी मस्तक लाईये जिस नूं इक सहारा ए |
अवतार कहे मैं बल बल जावां जिस नूं राम प्यारा ए |
इक तू ही निरंकार (३८)
मात पिता न भैण भरा वी जिस दा कोई नाती रहये |
निरंकार ही उस बन्दे दा हरदम संगी साथी रहये |
मौत जां तैनूं वेख इकल्ला वार तेरे ते करदी ए |
प्रीत प्रभु दी उस थां ते वी तेरी रक्षा करदी ए |
औकड़ मुश्किल वड्डी आके जां तैनूं हैरान करे |
निरंकार एह पल विच तेरी हर मुश्किल आसान करे |
लख लख रब नूं पूजें भांवें रब न पर मन्जूर करे |
जाण के इक्को वार कहे जे पाप करोडां दूर करे |
हे मन गुर दे मुँहो सुण के नाम प्रभु दा लैंदा जा |
कहे अवतार समझ के रब नूं तुहिं तुहिं तूं कह्न्दा जा |
निरंकार ही उस बन्दे दा हरदम संगी साथी रहये |
मौत जां तैनूं वेख इकल्ला वार तेरे ते करदी ए |
प्रीत प्रभु दी उस थां ते वी तेरी रक्षा करदी ए |
औकड़ मुश्किल वड्डी आके जां तैनूं हैरान करे |
निरंकार एह पल विच तेरी हर मुश्किल आसान करे |
लख लख रब नूं पूजें भांवें रब न पर मन्जूर करे |
जाण के इक्को वार कहे जे पाप करोडां दूर करे |
हे मन गुर दे मुँहो सुण के नाम प्रभु दा लैंदा जा |
कहे अवतार समझ के रब नूं तुहिं तुहिं तूं कह्न्दा जा |
इक तू ही निरंकार (३९)
भांवें जग दा राजा होवे दुख पांदा दुख सह्न्दा ए |
राम रमे नूं जानण वाला हरदम सुख विच रहन्दा ए |
लक्खां अते करोडां बंधन जीवन नूं चट जांदे ने |
नाम गुरु दा जे कर लईये सारे ही कट जांदे ने |
इस दुनियां दी रंग बिरंगी ऐश बुझांदी प्यास नहीं |
नाम हरी दा जेकर लईये रेह्न्दी प्यास त्रास नहीं |
जिस रस्ते आखिर नूं तूं बिलकुल कल्ला जाएंगा |
निरंकार जे साथी होवे हरगिज़ न घबराएंगा |
निरंकार एह ठण्ड निरी ए दिल विच खूब वसाई जा |
अवतार कहे गल मन्न गुरु दी निज घर डेरा लाई जा |
राम रमे नूं जानण वाला हरदम सुख विच रहन्दा ए |
लक्खां अते करोडां बंधन जीवन नूं चट जांदे ने |
नाम गुरु दा जे कर लईये सारे ही कट जांदे ने |
इस दुनियां दी रंग बिरंगी ऐश बुझांदी प्यास नहीं |
नाम हरी दा जेकर लईये रेह्न्दी प्यास त्रास नहीं |
जिस रस्ते आखिर नूं तूं बिलकुल कल्ला जाएंगा |
निरंकार जे साथी होवे हरगिज़ न घबराएंगा |
निरंकार एह ठण्ड निरी ए दिल विच खूब वसाई जा |
अवतार कहे गल मन्न गुरु दी निज घर डेरा लाई जा |
इक तू ही निरंकार (४०)
होवें जे लख बांहवां वाला तां वी ते छुटकारा नहीं |
नाम लई जा नाम जपी जा इस बिन पर उतारा नहीं |
सौ सौ मुश्किल भारी वी जे राह विच तेरी आ जाए |
याद हरि दी छिन विच आ के बेड़ा पार लगा जाए |
सौ सौ जूनां भुगते बंदा आन्दा जान्दा रहंदा ए |
हरि नूं जेह्ड़ा जाण लए ओह घर वाला हो बह्न्दा ए |
मैल दिलां दी जांदी नहीं जे तीरथ पिंडा घो लईये |
पाप करोडां धुल जांदे अवतार जे गुर दा हो रहिये |
नाम लई जा नाम जपी जा इस बिन पर उतारा नहीं |
सौ सौ मुश्किल भारी वी जे राह विच तेरी आ जाए |
याद हरि दी छिन विच आ के बेड़ा पार लगा जाए |
सौ सौ जूनां भुगते बंदा आन्दा जान्दा रहंदा ए |
हरि नूं जेह्ड़ा जाण लए ओह घर वाला हो बह्न्दा ए |
मैल दिलां दी जांदी नहीं जे तीरथ पिंडा घो लईये |
पाप करोडां धुल जांदे अवतार जे गुर दा हो रहिये |
इक तू ही निरंकार (४१ )
सन्त ने ओहो नाम दे बाजों जिन्नहां नूं कोई कम नहीं |
सन्त ने ओहो जो हर बाजों जी सकदे इक दम नहीं |
दिन ते राती सन्त हमेशा सिफ़त हरि दी गांदे ने |
नाम दा दारू पी पी साधु सारे रोग गवांदे ने |
नां ही रब दा रब वाले लई इक्को इक सहारा ए |
उठदे बह्न्दे खांदे पींदे नाम गुरु दा प्यारा ए |
सन्त हरि दे दुनियां दे विच सभ तों चंगे रहंदे ने |
अवतार गुरु दी शरणी आ शुभ करदे ने शुभ कहंदे ने |
सन्त ने ओहो जो हर बाजों जी सकदे इक दम नहीं |
दिन ते राती सन्त हमेशा सिफ़त हरि दी गांदे ने |
नाम दा दारू पी पी साधु सारे रोग गवांदे ने |
नां ही रब दा रब वाले लई इक्को इक सहारा ए |
उठदे बह्न्दे खांदे पींदे नाम गुरु दा प्यारा ए |
सन्त हरि दे दुनियां दे विच सभ तों चंगे रहंदे ने |
अवतार गुरु दी शरणी आ शुभ करदे ने शुभ कहंदे ने |
इक तू ही निरंकार (४२)
ज्ञान गुरु दा इनसानां नूं रब दा घर दिखलांदा ए |
ज्ञान गुरु दा इनसानां नूं मुक्क्ति मारग पांदा ए |
गुर वाले जिस रंग नूं माणन जिस दा रूप ते रंग नहीं |
सतगुर वाले जिस रंग रंगे उस विच पैंदी भंग नहीं |
ज्ञान गुरु दा साध दी पूंजी एहो ही वडियाई ए |
ज्ञान गुरु दा रख के सीने संन्ता शोभा पाई ए |
नाम हरि दा सार गुरु दी नाम हरि दा योग वी ए |
नाम हरि दा प्राण ते पिंडा नाम दवाई रोग दी ए |
रंग्गे नें जो ज्ञान गुरु दे हर दी सेवा करदे ने |
इक निरंकार हरि दे वांगो न जमदे न मरदे ने |
करदे चल्लो गल हरि दी इस तों वड्डी गल नहीं |
नहीं अवतार भरोसा तन दा अज तां है पर कल नहीं |
ज्ञान गुरु दा इनसानां नूं मुक्क्ति मारग पांदा ए |
गुर वाले जिस रंग नूं माणन जिस दा रूप ते रंग नहीं |
सतगुर वाले जिस रंग रंगे उस विच पैंदी भंग नहीं |
ज्ञान गुरु दा साध दी पूंजी एहो ही वडियाई ए |
ज्ञान गुरु दा रख के सीने संन्ता शोभा पाई ए |
नाम हरि दा सार गुरु दी नाम हरि दा योग वी ए |
नाम हरि दा प्राण ते पिंडा नाम दवाई रोग दी ए |
रंग्गे नें जो ज्ञान गुरु दे हर दी सेवा करदे ने |
इक निरंकार हरि दे वांगो न जमदे न मरदे ने |
करदे चल्लो गल हरि दी इस तों वड्डी गल नहीं |
नहीं अवतार भरोसा तन दा अज तां है पर कल नहीं |
इक तू ही निरंकार (४३)
जप वी कर लै तप वी कर लै सुन्न समाध लगाईं जा |
लक्खां वेद ग्रंथां ताई पढ पढ रट्टे लाई जा |
योग न्यौली किरया कर लै करम धरम बहुतेरा वी |
छड दे भांवें दुनियां ताई ला लै जंगली डेरा वी |
आसन पुट्टे सिद्धे ला के कर लै चाहे हज़ार यतन |
लख बणा लै ठाकरद्वारे दान करी जा लाल रतन |
कर कर टोटे अपने तन दे भांवे यग करांदा जा |
वरत निभा के रह के भुक्खा सौ सौ दुख उठांदा जा |
रब नूं फिर वी पहुंच न सक्के सब कुझ ही बेकार समझ |
गुरु दे मुख तों सुण के रब नूं कहे अवतार इक वार समझ |
लक्खां वेद ग्रंथां ताई पढ पढ रट्टे लाई जा |
योग न्यौली किरया कर लै करम धरम बहुतेरा वी |
छड दे भांवें दुनियां ताई ला लै जंगली डेरा वी |
आसन पुट्टे सिद्धे ला के कर लै चाहे हज़ार यतन |
लख बणा लै ठाकरद्वारे दान करी जा लाल रतन |
कर कर टोटे अपने तन दे भांवे यग करांदा जा |
वरत निभा के रह के भुक्खा सौ सौ दुख उठांदा जा |
रब नूं फिर वी पहुंच न सक्के सब कुझ ही बेकार समझ |
गुरु दे मुख तों सुण के रब नूं कहे अवतार इक वार समझ |
इक तू ही निरंकार (४४)
सारी धरती भौं लै भांवें लम्बी उमर हंढाई जा |
काबे तीरथ काशी जाके मल मल पिंडा नहाई जा |
ज्यूंदे जी वी सड़ के जे तूं जान अपनी कुरबान करें |
तन तेरा जे खान दरिंदे अपने लहु दा दान करें |
न्यौली कर्म कमा के भांवे आसन लख बदलदा जा |
साधन संजम कर कर लक्खां मारग लख बदलदा जा |
जतन अनेकां कर के वी तूं पार कदी नहीं हो सकदा |
अक्खीं न रब वेख लएं जे प्यार कदी नहीं हो सकदा |
निरंकार जेही चीज़ कोई नहीं नाम हरि दा न्यारा ए |
अवतार कहे जे गुर तों बुझें ताईयों पार उतारा ए |
काबे तीरथ काशी जाके मल मल पिंडा नहाई जा |
ज्यूंदे जी वी सड़ के जे तूं जान अपनी कुरबान करें |
तन तेरा जे खान दरिंदे अपने लहु दा दान करें |
न्यौली कर्म कमा के भांवे आसन लख बदलदा जा |
साधन संजम कर कर लक्खां मारग लख बदलदा जा |
जतन अनेकां कर के वी तूं पार कदी नहीं हो सकदा |
अक्खीं न रब वेख लएं जे प्यार कदी नहीं हो सकदा |
निरंकार जेही चीज़ कोई नहीं नाम हरि दा न्यारा ए |
अवतार कहे जे गुर तों बुझें ताईयों पार उतारा ए |
इक तू ही निरंकार (४५)
जिन्नां स्याणा होवे बन्दा ओनां मौत डरांदी नहीं |
ज्यों ज्यों पैंडा करदी करणी प्यास वी वधदी जांदी ए |
अग्ग न दिल दी ठंडी होवे दरयांवां दे पाणी तों |
पैंडा घर दा मुक न सक्के हरगिज़ मत स्याणी तों |
मौत ने तेरी इक नहीं मनणी हड गोडे आ भन्नेगी |
जे कर मौत कदी कुझ मन्नी नाम हरि दा मन्नेगी |
निरंकार दा नाम जे लईये सुख आउंदा दुख जांदा ए |
अवतार गुरु दिल शरणी जाईये तां एह नज़रीं आंदा ए |
ज्यों ज्यों पैंडा करदी करणी प्यास वी वधदी जांदी ए |
अग्ग न दिल दी ठंडी होवे दरयांवां दे पाणी तों |
पैंडा घर दा मुक न सक्के हरगिज़ मत स्याणी तों |
मौत ने तेरी इक नहीं मनणी हड गोडे आ भन्नेगी |
जे कर मौत कदी कुझ मन्नी नाम हरि दा मन्नेगी |
निरंकार दा नाम जे लईये सुख आउंदा दुख जांदा ए |
अवतार गुरु दिल शरणी जाईये तां एह नज़रीं आंदा ए |
इक तू ही निरंकार (४६)
निर्धन दा धन तुईयों दाता माल खज़ाना नाम तेरा |
जिस बेघर दा घर न होवे ठौर ठिकाना नाम तेरा |
जिस बन्दे विच माण नहिं कोई ओहसे दा ही माण हैं तूं |
सारी दुनियां तैत्त्थों लैंदी सब नूं देंदा दान हैं तूं |
हर कारज दा कर्ता तूंहीं मालिक आप स्वामी एं |
सभ दे दिल जानण वाला तुईयों अंतर्यामी एं |
अपने हाल ते अपनी हद नूं आपे ही एह जाण सके |
अपनी एहदी मरज़ी होवे तां कोई पहचाण सके |
सिफ़त शलांघा करनी तेरी मेरे वस दा रोग नहीं |
एह अवतार गुरु दी बख्शिश मैं ते किसे वी योग नहीं |
जिस बेघर दा घर न होवे ठौर ठिकाना नाम तेरा |
जिस बन्दे विच माण नहिं कोई ओहसे दा ही माण हैं तूं |
सारी दुनियां तैत्त्थों लैंदी सब नूं देंदा दान हैं तूं |
हर कारज दा कर्ता तूंहीं मालिक आप स्वामी एं |
सभ दे दिल जानण वाला तुईयों अंतर्यामी एं |
अपने हाल ते अपनी हद नूं आपे ही एह जाण सके |
अपनी एहदी मरज़ी होवे तां कोई पहचाण सके |
सिफ़त शलांघा करनी तेरी मेरे वस दा रोग नहीं |
एह अवतार गुरु दी बख्शिश मैं ते किसे वी योग नहीं |
इक तू ही निरंकार (४७)
अव्वल वी रब मालिक ए ते आखिर वी रब्ब वाली ए |
जिस नूं रब नाल प्यार नहिं ए सोच समझ तों खाली ए |
सवांग भरण इनसानां दे ते कम करण हैवानां दे |
ठगियां दिन ते रात करण पए पिच्छे लग शैतानां दे |
कपडे भांवे गेरू रंग लै मन विच मैली माया ए |
आप नूं सभ तों उच्चा जाणे दिल हंकार समाया ए |
ध्यान लगाए माला फेरे तीरथ दा अश्नाऩ करे |
हिरस दा कुत्ता दिल विच बैठा भौंके ते हलकान करे |
अग्ग कम दी दिल विच भड़के अंग भभूत रमाई ए |
सागर तर के लंघना चौहिन्दे गल विच सिल लटकाई ए |
जिस नूं पूरा साधु मिलया डेरा रब विच लाया ए |
कहे अवतार सुणो रे सन्तो ओहो सच समाया ए |
जिस नूं रब नाल प्यार नहिं ए सोच समझ तों खाली ए |
सवांग भरण इनसानां दे ते कम करण हैवानां दे |
ठगियां दिन ते रात करण पए पिच्छे लग शैतानां दे |
कपडे भांवे गेरू रंग लै मन विच मैली माया ए |
आप नूं सभ तों उच्चा जाणे दिल हंकार समाया ए |
ध्यान लगाए माला फेरे तीरथ दा अश्नाऩ करे |
हिरस दा कुत्ता दिल विच बैठा भौंके ते हलकान करे |
अग्ग कम दी दिल विच भड़के अंग भभूत रमाई ए |
सागर तर के लंघना चौहिन्दे गल विच सिल लटकाई ए |
जिस नूं पूरा साधु मिलया डेरा रब विच लाया ए |
कहे अवतार सुणो रे सन्तो ओहो सच समाया ए |
इक तू ही निरंकार (४८)
दुक्खां मारया बन्दा वेखो कूके ते फ़रयाद करे |
याद न करदा मालिक दी जो पल पल ते इमदाद करे |
नाल फ़नाह दे प्रीतां लाईयां बाकी दी पहचान नहीं |
मदमस्ती विच मस्त फिरे पर मौत दा एहनूं ध्यान नहीं |
एदां बन्दा जमदा मरदा भोग रिहा ए कई जनम |
कहे अवतार जगत नूं रख लै कर के अपनी मेहर करम |
याद न करदा मालिक दी जो पल पल ते इमदाद करे |
नाल फ़नाह दे प्रीतां लाईयां बाकी दी पहचान नहीं |
मदमस्ती विच मस्त फिरे पर मौत दा एहनूं ध्यान नहीं |
एदां बन्दा जमदा मरदा भोग रिहा ए कई जनम |
कहे अवतार जगत नूं रख लै कर के अपनी मेहर करम |
इक तू ही निरंकार(४९)
अन्नहां जेकर सुण लये रस्ता रस्ते ते जा सकदा नहीं |
रहबर जिच्चर हथ न पकड़े मंज़िल ते आ सकदा नहीं |
डोरा होवे जेकर कोई नाम न तेरा सुण सक्के |
मनमुख तेरी नाम प्याली पी सक्के न पुण सक्के |
गूंगा जेकर होवे कोई की वडियाई गाएगा |
कोशिश वी लख वार करे जे अपणा रौला पाएगा |
पिंगले दे विच हिम्मत नहीं ज्यों पर्वत ते चढ़ जाणे दी |
अवतार कहे त्यों बेमुख ताई सार की महिमां गाणे दी |
रहबर जिच्चर हथ न पकड़े मंज़िल ते आ सकदा नहीं |
डोरा होवे जेकर कोई नाम न तेरा सुण सक्के |
मनमुख तेरी नाम प्याली पी सक्के न पुण सक्के |
गूंगा जेकर होवे कोई की वडियाई गाएगा |
कोशिश वी लख वार करे जे अपणा रौला पाएगा |
पिंगले दे विच हिम्मत नहीं ज्यों पर्वत ते चढ़ जाणे दी |
अवतार कहे त्यों बेमुख ताई सार की महिमां गाणे दी |
इक तू ही निरंकार (५०)
तूं मालिक तूं खालिक मेरा तुध अग्गे अरदास करां |
तन मन धन सब तेरी माया पेश मैं सारी रास करां |
तुंईयों मात पिता एं सभ दा बच्चे बाले तेरे ने |
तेरी नज़र सुव्वली होवे घर सुक्खां दे डेरे ने |
अंत न तेरा बुझे कोई तेरा रूप न्यारा ए |
तूं उच्चा एं सभ तों उच्चा तेरा इक सहारा ए |
अपनी हद ते अपनी हालत तैत्त्थों रोशन सारी ए |
अवतार दास तेरे दासां दा ते चरणां तों बलिहारी ए |
तन मन धन सब तेरी माया पेश मैं सारी रास करां |
तुंईयों मात पिता एं सभ दा बच्चे बाले तेरे ने |
तेरी नज़र सुव्वली होवे घर सुक्खां दे डेरे ने |
अंत न तेरा बुझे कोई तेरा रूप न्यारा ए |
तूं उच्चा एं सभ तों उच्चा तेरा इक सहारा ए |
अपनी हद ते अपनी हालत तैत्त्थों रोशन सारी ए |
अवतार दास तेरे दासां दा ते चरणां तों बलिहारी ए |
इक तू ही निरंकार (५१)
माया रंग बिरंगी जेह्ड़ी तेरा जी परचांदी ए |
पक्की गल समझ लै मेरी एह आंदी ते जांदी ए |
सुख दुनियां दे परछावें ने जेकर प्रीतां पाएंगा |
ढल्ल गये परछावें जिस दम रोयेंगा कुरलाएंगा |
जो कुझ अक्खीं नज़रीं आउंदे आवण जावण वाला ए |
अकलों अन्नां मूरख बन्दा जो इस दा मतवाला ए |
चलदे नाल प्रीतां ला के आखिर रोणा पैंदा ए |
हत्थ पल्ले नहीं पैंदा कुझ वी सभ कुझ खोणा पैंदा ए |
नाल सन्त दे प्रीत करे जो सुख ओह सारे पा लैंदाए |
सन्त अवतार करे जे किरपा अपणें नाल मिला लैंदाए |
पक्की गल समझ लै मेरी एह आंदी ते जांदी ए |
सुख दुनियां दे परछावें ने जेकर प्रीतां पाएंगा |
ढल्ल गये परछावें जिस दम रोयेंगा कुरलाएंगा |
जो कुझ अक्खीं नज़रीं आउंदे आवण जावण वाला ए |
अकलों अन्नां मूरख बन्दा जो इस दा मतवाला ए |
चलदे नाल प्रीतां ला के आखिर रोणा पैंदा ए |
हत्थ पल्ले नहीं पैंदा कुझ वी सभ कुझ खोणा पैंदा ए |
नाल सन्त दे प्रीत करे जो सुख ओह सारे पा लैंदाए |
सन्त अवतार करे जे किरपा अपणें नाल मिला लैंदाए |
इक तू ही निरंकार (५२)
तन मन धन ते बच्चे बाले फानी ने नहीं रह सकदे |
बन्दे खुदी तक्कबर वाले फानी ने नहीं रह सकदे |
रथ पोशाकां घोड़े हाथी फानी ने नहीं रह सकदे |
प्यार बुतां दा हसदे साथी फानी ने नहीं रह सकदे |
जोबन राज जवानी दौलत फानी ने नहीं रह सकदे |
ठाठ अमीरी शान ते शौकत फानी ने नहीं रह सकदे |
साधजनां मिल रब पछाणे कायम दायम बन्दा रहये |
अवतार प्यारा भगत हरी दा मौत बाद वी जिन्दा रहये |
बन्दे खुदी तक्कबर वाले फानी ने नहीं रह सकदे |
रथ पोशाकां घोड़े हाथी फानी ने नहीं रह सकदे |
प्यार बुतां दा हसदे साथी फानी ने नहीं रह सकदे |
जोबन राज जवानी दौलत फानी ने नहीं रह सकदे |
ठाठ अमीरी शान ते शौकत फानी ने नहीं रह सकदे |
साधजनां मिल रब पछाणे कायम दायम बन्दा रहये |
अवतार प्यारा भगत हरी दा मौत बाद वी जिन्दा रहये |
इक तू ही निरंकार (५३)
निरंकार तों मुनकर जेह्दे बन्दे नहीं ओह काफ़र ने |
पत्थर वांगो भार धरत ते बड़े निक्कमे वाफर ने |
नाम हरी तों ख़ाली जेहड़े बन्दे गन्दे मन्दे ने |
ओहनां दे लई जगह जगह ते लाये मौत ने फन्दे ने |
जनम अकारथ बिलकुल जेकर रब चेते दिन रात नहीं |
सुक जांदी अली जीवन खेती जे मेहरां दिल बरसात नहीं |
भट्टी पा दे कम दुनियां दा जिस विच रब दा नाम नहीं |
पा दे भट्टी शूम दी दौलत जिस तों कुझ आराम नहीं |
मन विच जिस दे नाम है वसया उस दी महिमा सारी ए |
अवतार मेरा दिल वारे वारे जान मेरी बलिहारी ए |
पत्थर वांगो भार धरत ते बड़े निक्कमे वाफर ने |
नाम हरी तों ख़ाली जेहड़े बन्दे गन्दे मन्दे ने |
ओहनां दे लई जगह जगह ते लाये मौत ने फन्दे ने |
जनम अकारथ बिलकुल जेकर रब चेते दिन रात नहीं |
सुक जांदी अली जीवन खेती जे मेहरां दिल बरसात नहीं |
भट्टी पा दे कम दुनियां दा जिस विच रब दा नाम नहीं |
पा दे भट्टी शूम दी दौलत जिस तों कुझ आराम नहीं |
मन विच जिस दे नाम है वसया उस दी महिमा सारी ए |
अवतार मेरा दिल वारे वारे जान मेरी बलिहारी ए |
इक तू ही निरंकार (५४)
कम होवे जे होर किसे दा होर ओह बैठा कम करे |
दी विच जिस दे प्यार नहीं ते मुंहो प्यार दा दम भरे |
घट घट जानण वाले अग्गे जाणूं ए जो गैबां दा |
भेख किसे वी कम नहीं औणा भेद खुलेगा ऐबां दा |
दूजे नूं जो कहे करण लई आप न ओह कम करदा ए |
समझो गेड़ चौरासी पै के ओह जमदा ते मरदा ए |
मन विच जिस दे हरी वास जाए आपे हो जान्दा निरंकार |
ओहदी गल नूं जेह्दा मन्ने हो जांदा भवसागर पार |
बन्दा जेह्ड़ा जाणे तैनूं जेह्ड़ा तैनूं प्यार करे |
अवतार चरण राज लै के ओहदी हर कोई बेड़ा पार करे |
दी विच जिस दे प्यार नहीं ते मुंहो प्यार दा दम भरे |
घट घट जानण वाले अग्गे जाणूं ए जो गैबां दा |
भेख किसे वी कम नहीं औणा भेद खुलेगा ऐबां दा |
दूजे नूं जो कहे करण लई आप न ओह कम करदा ए |
समझो गेड़ चौरासी पै के ओह जमदा ते मरदा ए |
मन विच जिस दे हरी वास जाए आपे हो जान्दा निरंकार |
ओहदी गल नूं जेह्दा मन्ने हो जांदा भवसागर पार |
बन्दा जेह्ड़ा जाणे तैनूं जेह्ड़ा तैनूं प्यार करे |
अवतार चरण राज लै के ओहदी हर कोई बेड़ा पार करे |
इक तू ही निरंकार (५५)
चाकर हां मैं उस मालिक दा जेह्ड़ा सभ कुझ जाण रिहा ए |
धरती अम्बर आल दुआले जेह्ड़ा चादर ताण रिहा ए |
जेह्ड़ा कर्ता सारे जग दा अपने जन नाल वसदा ए |
कोई दूर वी वेख न सक्के किसे नूं नेड़े दसदा ए |
गंगा जल तों पाक ए जेह्ड़ा बरी तरीके चालां तों |
जाणूं जेह्ड़ा जाण है चुक्का उच्चा सब ख्यालां तों |
ऐसे जन दे चरण पकड़ लै जो एहदे मन भा चुक्का ए |
नाल मिलाए केवल ओहो जेह्ड़ा आप समा चुक्का ए |
रंग विच ओहो रंग सकदा ए जो इस दे रंग राता ए |
अवतार गुरु रब जाणन वाला सारे जग दा दाता ए |
धरती अम्बर आल दुआले जेह्ड़ा चादर ताण रिहा ए |
जेह्ड़ा कर्ता सारे जग दा अपने जन नाल वसदा ए |
कोई दूर वी वेख न सक्के किसे नूं नेड़े दसदा ए |
गंगा जल तों पाक ए जेह्ड़ा बरी तरीके चालां तों |
जाणूं जेह्ड़ा जाण है चुक्का उच्चा सब ख्यालां तों |
ऐसे जन दे चरण पकड़ लै जो एहदे मन भा चुक्का ए |
नाल मिलाए केवल ओहो जेह्ड़ा आप समा चुक्का ए |
रंग विच ओहो रंग सकदा ए जो इस दे रंग राता ए |
अवतार गुरु रब जाणन वाला सारे जग दा दाता ए |
इक तू ही निरंकार (५६)
साध दी संगत कर लै बन्दे चेहरे नूं पुर नूर करे |
साध दी संगत कर लै बन्दे मैल दिलां दी दूर करे |
साध दी संगत कर लै बन्दे दुख दलिद्दर होवण दूर |
साध दी संगत कर लै बन्दे जांदा रहेगा माण ग़रूर |
साध दी संगत कर लै बन्दे अणडिटठा रब पाएंगा |
साध दी संगत कर लै बन्दे फलदा फुलदा जाएंगा |
साध दी संगत कर लै बन्दे पीवेंगा तूं अमृत रस |
साध दी संगत कर लै बन्दे हो जाण पंजे तेरे वस |
साध दी संगत कर लै बन्दे कायम दिल दा पारा रहये |
अवतार मिले जे साधू पूरा मन न एह आवारा रहये |
साध दी संगत कर लै बन्दे मैल दिलां दी दूर करे |
साध दी संगत कर लै बन्दे दुख दलिद्दर होवण दूर |
साध दी संगत कर लै बन्दे जांदा रहेगा माण ग़रूर |
साध दी संगत कर लै बन्दे अणडिटठा रब पाएंगा |
साध दी संगत कर लै बन्दे फलदा फुलदा जाएंगा |
साध दी संगत कर लै बन्दे पीवेंगा तूं अमृत रस |
साध दी संगत कर लै बन्दे हो जाण पंजे तेरे वस |
साध दी संगत कर लै बन्दे कायम दिल दा पारा रहये |
अवतार मिले जे साधू पूरा मन न एह आवारा रहये |
इक तू ही निरंकार (५७)
साध दी संगत जेकर कर लएं मन दी भटकन जाएगी |
साध दी संगत जेकर कर लएं दिल विच मस्ती आएगी |
साध दी संगत जेकर कर लएं रब्ब नूं झट पह्चाण लएं |
साध दी संगत जेकर कर लएं रंग विच रलियां माण लएं |
साध दी संगत जेकर कर लएं रब्ब दे सोहले गाएंगा |
साध दी संगत जेकर कर लएं निज घर वासा पाएंगा |
साध दी संगत जेकर कर लएं पल पल ते मसरूर रहे |
अवतार मिले जे साधु पूरा मंजिल तों न दूर रहे |
साध दी संगत जेकर कर लएं दिल विच मस्ती आएगी |
साध दी संगत जेकर कर लएं रब्ब नूं झट पह्चाण लएं |
साध दी संगत जेकर कर लएं रंग विच रलियां माण लएं |
साध दी संगत जेकर कर लएं रब्ब दे सोहले गाएंगा |
साध दी संगत जेकर कर लएं निज घर वासा पाएंगा |
साध दी संगत जेकर कर लएं पल पल ते मसरूर रहे |
अवतार मिले जे साधु पूरा मंजिल तों न दूर रहे |
इक तू ही निरंकार (५८)
साध दी संगत जेकर मिल जाए मिट जान्दे ने काले दाग |
साध दी संगत जेकर मिल जाए मन दी बीणा छेड़े राग |
साधु होन्दै जेह्ड़ा सच्चा तिन गुणां तों दूर करे |
साधु होन्दै जेह्ड़ा सच्चा चानण थीं भरपूर करे |
साधु होन्दै असगाह सागर जिस दा आद ते अंत नहीं |
साधु दी वडियाई ऐन्नी जिसदी कोई गणत नहीं |
साधु दी वडियाई वड्डी साधां आख सुणाई ए |
कहे अवतार रब साधु अन्दर हुन्दा भेद न राई ए |
साध दी संगत जेकर मिल जाए मन दी बीणा छेड़े राग |
साधु होन्दै जेह्ड़ा सच्चा तिन गुणां तों दूर करे |
साधु होन्दै जेह्ड़ा सच्चा चानण थीं भरपूर करे |
साधु होन्दै असगाह सागर जिस दा आद ते अंत नहीं |
साधु दी वडियाई ऐन्नी जिसदी कोई गणत नहीं |
साधु दी वडियाई वड्डी साधां आख सुणाई ए |
कहे अवतार रब साधु अन्दर हुन्दा भेद न राई ए |
इक तू ही निरंकार (५९)
जिस दे दिल निरंकार दा वासा जग न झूठा कर सक्के |
कमल रहे ज्यों जल अन्दर जल न जूठा कर सक्के |
जिस दे मन दी जोत जगी ए दिल उसदा बेदाग़ रहे |
दुनियां दे विच वसदा रसदा दुनियां तों बेलाग रहे |
जिस दे दिल विच इक्को वसया सभ नूं वेखे इक निगाह |
सन्त चरण दी धूड़ी छो के मंगता वी हो जांदे शाह |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा होंदा नहीं ओह बेसबर |
कहे अवतार हर हाल दे अन्दर करदा रब दा शुकर शुकर |
कमल रहे ज्यों जल अन्दर जल न जूठा कर सक्के |
जिस दे मन दी जोत जगी ए दिल उसदा बेदाग़ रहे |
दुनियां दे विच वसदा रसदा दुनियां तों बेलाग रहे |
जिस दे दिल विच इक्को वसया सभ नूं वेखे इक निगाह |
सन्त चरण दी धूड़ी छो के मंगता वी हो जांदे शाह |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा होंदा नहीं ओह बेसबर |
कहे अवतार हर हाल दे अन्दर करदा रब दा शुकर शुकर |
इक तू ही निरंकार (६०)
जिस दे मन विच हर हर वसया हर रंग विच इक रंग रहे |
पल पल संग हरि दे रहिन्दै रब्ब वी ओहदे संग रहे |
जिस दे मन विच राम पिरोयै नाम ओहदा आधार रहे |
नाम खाए ते नाम ही पहने नाम ओहदा परिवार रहे |
जिस दे दिल विच ज्ञान गुरु दा माया तों हुशियार रहे |
सन्तजनां मिल जिन्हां पछाता रब्ब वी पहरेदार रहे |
जिस दे घट विच सतगुर बह जाए उस दी संगत कर दए पार |
अवतार जेह्ड़ा गुर महिमा गाए उस दे गुण गाए संसार |
पल पल संग हरि दे रहिन्दै रब्ब वी ओहदे संग रहे |
जिस दे मन विच राम पिरोयै नाम ओहदा आधार रहे |
नाम खाए ते नाम ही पहने नाम ओहदा परिवार रहे |
जिस दे दिल विच ज्ञान गुरु दा माया तों हुशियार रहे |
सन्तजनां मिल जिन्हां पछाता रब्ब वी पहरेदार रहे |
जिस दे घट विच सतगुर बह जाए उस दी संगत कर दए पार |
अवतार जेह्ड़ा गुर महिमा गाए उस दे गुण गाए संसार |
इक तू ही निरंकार (६१)
जिस दे दिल निरंकार दा वासा ब्रहमज्ञानी कहलान्दा ए |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा इस नाल प्रीत वधांदा ए |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा ढूंढण देव महेशर आप |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा हुन्दा ए परमेश्वर आप |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा मुल नहीं उसदा है अनमोल |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा तुल न सक्के है अनतोल |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा कौन ओहनूं पह्चाणेगा |
भेद एहो जेहे ब्रहमज्ञानी दा ब्रहमज्ञानी ही जाणेगा |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा हर दम वस्से सुख दे धाम |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा अवतार करे लख लख परनाम |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा इस नाल प्रीत वधांदा ए |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा ढूंढण देव महेशर आप |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा हुन्दा ए परमेश्वर आप |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा मुल नहीं उसदा है अनमोल |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा तुल न सक्के है अनतोल |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा कौन ओहनूं पह्चाणेगा |
भेद एहो जेहे ब्रहमज्ञानी दा ब्रहमज्ञानी ही जाणेगा |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा हर दम वस्से सुख दे धाम |
जिस दे दिल निरंकार दा वासा अवतार करे लख लख परनाम |
इक तू ही निरंकार (६२)
सतगुर हुन्दा जग दा दाता जो एह चाहे कर सकदा ए |
पत्थर दिल वी इस दी छोह नाल भवसागर तों तर सकदा ए |
सतगुर दाता दर आया दी झोली छिन विच भर सकदा ए |
अक्खां तों झट परदा लाह के नूरी चानण कर सकदा ए |
नाम दा दारू दे के सतगुर सभे रोग गंवा देंदा ए |
अवतार गुरु जे पूरा होवे छिन विच राम मिला देंदा ए |
पत्थर दिल वी इस दी छोह नाल भवसागर तों तर सकदा ए |
सतगुर दाता दर आया दी झोली छिन विच भर सकदा ए |
अक्खां तों झट परदा लाह के नूरी चानण कर सकदा ए |
नाम दा दारू दे के सतगुर सभे रोग गंवा देंदा ए |
अवतार गुरु जे पूरा होवे छिन विच राम मिला देंदा ए |
इक तू ही निरंकार (६३)
सतगुर तक के अणडिठ करदा मत्थे पांदा वट नहीं |
पूरे गुरु जो बख़शी पूंजी कर सकदा कोई चट नहीं |
पूरा सतगुर पर लगा दये लाउंदा देरी झट नहीं |
पूरा सतगुर समझ लईये तां परमेश्वर तों घट नहीं |
सतगुर आप है सुच्चा हीरा लालां दा वणजारा ए |
अवतार गुरु है आप नारायण अवगुण बख़शणहारा |
पूरे गुरु जो बख़शी पूंजी कर सकदा कोई चट नहीं |
पूरा सतगुर पर लगा दये लाउंदा देरी झट नहीं |
पूरा सतगुर समझ लईये तां परमेश्वर तों घट नहीं |
सतगुर आप है सुच्चा हीरा लालां दा वणजारा ए |
अवतार गुरु है आप नारायण अवगुण बख़शणहारा |
इक तू ही निरंकार (६४)
सतगुर पूरा जेकर चाहे घर तेरा भरपूर करे |
सतगुर पूरा जेकर चाहे दिल विच तेरे नूर करे |
सतगुर पूरा जेकर चाहे कण मिट्टी दा तूर करे |
सतगुर पूरा जेकर चाहे छिन विच परदा दूर करे |
सतगुर पूरा जेकर चाहे पिंगला पर्वत चढ़ सकदा ए |
अवतार गुरु जे पूरा चाहे लुंजा घाढ़त चढ़ सकदा ए |
सतगुर पूरा जेकर चाहे दिल विच तेरे नूर करे |
सतगुर पूरा जेकर चाहे कण मिट्टी दा तूर करे |
सतगुर पूरा जेकर चाहे छिन विच परदा दूर करे |
सतगुर पूरा जेकर चाहे पिंगला पर्वत चढ़ सकदा ए |
अवतार गुरु जे पूरा चाहे लुंजा घाढ़त चढ़ सकदा ए |
इक तू निरंकार (६५)
ज्यों धुर तों धनवानां पिच्छे अज तक लग्गे चोर रहे |
सन्तजनां दे पिच्छे निंदक धुर तों पांदे शोर रहे |
सुण सुण निंदया तोहमत ताने सन्त मगर बेगोरे रहे |
सन्तजनां दी महफ़िल अन्दर चलदे हक दे दौर रहे |
लख लख ज़ोर लगा लए निंदक पर न गल नूं टोक सके |
कहे अवतार गुरु पूरे दा रस्ता न ओह रोक सके |
सन्तजनां दे पिच्छे निंदक धुर तों पांदे शोर रहे |
सुण सुण निंदया तोहमत ताने सन्त मगर बेगोरे रहे |
सन्तजनां दी महफ़िल अन्दर चलदे हक दे दौर रहे |
लख लख ज़ोर लगा लए निंदक पर न गल नूं टोक सके |
कहे अवतार गुरु पूरे दा रस्ता न ओह रोक सके |
इक तू ही निरंकार (६६)
संतां ते कई जुल्म कमाए मजहबां दे सैयादां ने |
कंधा विच चुणवाए कई शरह देआं जल्लादां ने |
कई चढ़ाये सूली उत्ते लोहां ते बिठलाये कई |
दुनियां मिल के सन्तजनां ते इक नहीं जुल्म कमाए कई |
अवतार भगत पर मनदे रहे ने अपणा कुल ज़माने नूं |
औकड़ दुख मुसीबत झल्ली मिट्ठा मन्न के भाणे नूं |
कंधा विच चुणवाए कई शरह देआं जल्लादां ने |
कई चढ़ाये सूली उत्ते लोहां ते बिठलाये कई |
दुनियां मिल के सन्तजनां ते इक नहीं जुल्म कमाए कई |
अवतार भगत पर मनदे रहे ने अपणा कुल ज़माने नूं |
औकड़ दुख मुसीबत झल्ली मिट्ठा मन्न के भाणे नूं |
इक तू ही निरंकार (६७)
सतगुर आउंदै दुनियां उत्ते सारे ही संसार लई |
सतगुर आउंदै दुनियां उत्ते केवल पर उपकार लई |
सतगुर आउंदै दुनियां उत्ते दुनियां दे उद्धार लई |
सतगुर आउंदै दुनियां उत्ते एके दे परचार लई |
गुरु वरगा कोई दाता नहीं ए मत्त एहदी जेही मत्त नहीं |
कहे अवतार गुरु दे बाजों दरगह रहन्दी पत्त नहीं |
सतगुर आउंदै दुनियां उत्ते केवल पर उपकार लई |
सतगुर आउंदै दुनियां उत्ते दुनियां दे उद्धार लई |
सतगुर आउंदै दुनियां उत्ते एके दे परचार लई |
गुरु वरगा कोई दाता नहीं ए मत्त एहदी जेही मत्त नहीं |
कहे अवतार गुरु दे बाजों दरगह रहन्दी पत्त नहीं |
इक तू ही निरंकार (६८)
रंग हरि दे रंगया जेह्ड़ा जो करदा या कह्न्दा ए |
रंग हरि दे रंगया जेह्ड़ा संग हरि दे रहन्दा ए |
जो कुझ हुन्दै हो जाये भांवे दिल नूं एहदे गम नहीं |
जो कुझ हुन्दै हो जाये भांवे नाम बिना कोई कम नहीं |
जो कुझ वी रब कर देंदा ए इसनूं मिट्ठा लगदा ए |
जिसदे दिल विच चौवहीं घंटे नाम दा दीवा जगदा ए |
सन्त आये ने एसे थां तों एसे विच समावण गे |
एत्थे हस हस जीवन कट्टन अग्गे इज्ज़त पावण गे |
संन्ता नूं वडियाना सन्तो रब दी ही वडियाई ए |
कहे अवतार हरि हर अन्दर हुन्दा भेद न भाई ए |
रंग हरि दे रंगया जेह्ड़ा संग हरि दे रहन्दा ए |
जो कुझ हुन्दै हो जाये भांवे दिल नूं एहदे गम नहीं |
जो कुझ हुन्दै हो जाये भांवे नाम बिना कोई कम नहीं |
जो कुझ वी रब कर देंदा ए इसनूं मिट्ठा लगदा ए |
जिसदे दिल विच चौवहीं घंटे नाम दा दीवा जगदा ए |
सन्त आये ने एसे थां तों एसे विच समावण गे |
एत्थे हस हस जीवन कट्टन अग्गे इज्ज़त पावण गे |
संन्ता नूं वडियाना सन्तो रब दी ही वडियाई ए |
कहे अवतार हरि हर अन्दर हुन्दा भेद न भाई ए |
इक तू ही निरंकार (६९)
निरंकार नूं जिन्हें पछाता उसदी शान न्यारी ए |
ओस्से दी ही मेहर दा सदका बचदी दुनियां सारी ए |
एहो जेहे ही रब दे बन्दे दुनियां पर लगांदे ने |
एहो जेहे ही रब दे बन्दे जग दा रोग मिटांदे ने |
रब एहो जेहे भगतां नूं ही अपणे नाल मिलाएगा |
गुरु तों सुण के नाम जपे जो दुनियां विच सुख पायेगा |
एहो जेहे रब दे बंदे दी एह आप ही सेवा करदा ए |
ओह सब तों उच्चा हुन्दा ए जो इसदे दर दा बरदा ए |
अवतार जपे जो नाम हरि दा ओह सच्चा ते सुच्चा ए |
धनता योग है जीवन उस दा ओह उच्चे तों उच्चा ए |
ओस्से दी ही मेहर दा सदका बचदी दुनियां सारी ए |
एहो जेहे ही रब दे बन्दे दुनियां पर लगांदे ने |
एहो जेहे ही रब दे बन्दे जग दा रोग मिटांदे ने |
रब एहो जेहे भगतां नूं ही अपणे नाल मिलाएगा |
गुरु तों सुण के नाम जपे जो दुनियां विच सुख पायेगा |
एहो जेहे रब दे बंदे दी एह आप ही सेवा करदा ए |
ओह सब तों उच्चा हुन्दा ए जो इसदे दर दा बरदा ए |
अवतार जपे जो नाम हरि दा ओह सच्चा ते सुच्चा ए |
धनता योग है जीवन उस दा ओह उच्चे तों उच्चा ए |
इक तू ही निरंकार (७०)
ज्यों इक खम्बा अपणे सर ते छत्त दा बोझ उठान्दा ए |
त्यों बन्दे दा मन गुर पासों कुल सहारे पान्दा ए |
ज्यों बलदे होये दीपक राहीं दूर हनेरा हो जान्दा ए |
त्यों बन्दा गुर दर्शन कर के रूह अपणी चमकान्दा ए |
ज्यों बन्दे नूं हनेरे अन्दर चानण राह ते पा देंदा ए |
कहे अवतार मिले जे साधू रब नूं झट दिखला देंदा ए |
त्यों बन्दे दा मन गुर पासों कुल सहारे पान्दा ए |
ज्यों बलदे होये दीपक राहीं दूर हनेरा हो जान्दा ए |
त्यों बन्दा गुर दर्शन कर के रूह अपणी चमकान्दा ए |
ज्यों बन्दे नूं हनेरे अन्दर चानण राह ते पा देंदा ए |
कहे अवतार मिले जे साधू रब नूं झट दिखला देंदा ए |
इक तू ही निरंकार (७१)
जोड़ दये जो तार दिलां दे दुनियां दा समझो करतार |
एहदे सदके दुनियां जीवे दुनियां दा समझो दातार |
एहदे मन विच सब दी चिंता एह करदा रखवाली ए |
एसे तों मंग खावण सारे कोई न जान्दा खाली ए |
मन मेरे कर याद एसे दी जेह्ड़ा इक लाफ़ानी ए |
आपे आप है कर्ता धर्ता ज़ात जिददी लासानी ए |
मेहर एहदी न होवे जेकर बंदा नहीं कुझ कर सकदा |
लक्खां ज़ोर लगा लए भांवें कम नहीं कोई सर सकदा |
बाझ हरि तों हे मन मेरे कम न कुझ वी आवेगा |
कहे अवतार चरण गुर परसे ओहो मुक्ति पावेगा |
एहदे सदके दुनियां जीवे दुनियां दा समझो दातार |
एहदे मन विच सब दी चिंता एह करदा रखवाली ए |
एसे तों मंग खावण सारे कोई न जान्दा खाली ए |
मन मेरे कर याद एसे दी जेह्ड़ा इक लाफ़ानी ए |
आपे आप है कर्ता धर्ता ज़ात जिददी लासानी ए |
मेहर एहदी न होवे जेकर बंदा नहीं कुझ कर सकदा |
लक्खां ज़ोर लगा लए भांवें कम नहीं कोई सर सकदा |
बाझ हरि तों हे मन मेरे कम न कुझ वी आवेगा |
कहे अवतार चरण गुर परसे ओहो मुक्ति पावेगा |
इक तू ही निरंकार (७२)
सतगुर दे चरणां तों वड्डा तीरथ ते अशनान नहीं |
बिन गुर दे है पशु एह बन्दा बण सकदा इनसान नहीं |
गुर चरणां दी धूड़ी लै के मल मल के अशनान करो |
तन मन धन साधां तों अपणा ख़ुशी ख़ुशी कुर्बान करो |
साध दी सेवा ओह कर सक्के जिस तों आप करावे एह |
अवतार ओह गावे सिफ़त हरि दी जिस तों आप गवावे एह |
बिन गुर दे है पशु एह बन्दा बण सकदा इनसान नहीं |
गुर चरणां दी धूड़ी लै के मल मल के अशनान करो |
तन मन धन साधां तों अपणा ख़ुशी ख़ुशी कुर्बान करो |
साध दी सेवा ओह कर सक्के जिस तों आप करावे एह |
अवतार ओह गावे सिफ़त हरि दी जिस तों आप गवावे एह |
इक तू ही निरंकार (७३)
जिस रब नूं पई ढूंढे दुनियां दस्सां कित्थे रहिन्दा ए |
संता दे हिरदय विच वसदा ते रसना ते बहिन्दा ए |
वेला फिर एह हत्थ नहीं आउणा कर लै कम जो करना ए |
भट॒ठ पाके वडियाई सारी रख सर साधु चरना ते |
धन्न धन्न ने भाग उन्हां दे जिन्नां एह कम कीता ए |
गल साध दी दिल विच रक्खी जन्म सफल कर लीता ए |
निरंकार दा वणज करे जो विरला ओह व्योपारी ए |
अवतार नाम दे वणजारे तों सौ वारी बलिहारी ए |
संता दे हिरदय विच वसदा ते रसना ते बहिन्दा ए |
वेला फिर एह हत्थ नहीं आउणा कर लै कम जो करना ए |
भट॒ठ पाके वडियाई सारी रख सर साधु चरना ते |
धन्न धन्न ने भाग उन्हां दे जिन्नां एह कम कीता ए |
गल साध दी दिल विच रक्खी जन्म सफल कर लीता ए |
निरंकार दा वणज करे जो विरला ओह व्योपारी ए |
अवतार नाम दे वणजारे तों सौ वारी बलिहारी ए |
इक तू ही निरंकार (७४)
सच्चे सुच्चे मोती कोलों साधु दे तूं बोल समझ |
मुल इन्हां दा पै नं सक्के वचन तूं एह अनमोल समझ |
जेह्ड़ा मन्ने नाले चल्ले ओहो मुकति पांदा ए |
अपणे आप ते तरदा ही ए दुनियां पार लंघांदा ए |
उठदा बहिंदा सुणदा रहिन्दा अरशां दी शहनाई नूं |
अवतार गुरु दा शब्द संभाले भुल्ले होर पढाई नूं |
मुल इन्हां दा पै नं सक्के वचन तूं एह अनमोल समझ |
जेह्ड़ा मन्ने नाले चल्ले ओहो मुकति पांदा ए |
अपणे आप ते तरदा ही ए दुनियां पार लंघांदा ए |
उठदा बहिंदा सुणदा रहिन्दा अरशां दी शहनाई नूं |
अवतार गुरु दा शब्द संभाले भुल्ले होर पढाई नूं |
इक तू ही निरंकार (७५)
मेरे सजनो रल मिल आओ रब्ब दी महिमा गा लईए |
सतगुर तों रब्ब कर के चेते इस ते ध्यान जमा लईए |
गले सड़े न पाणी डोबे दात अनोखी पा लईए |
सतगुर तों रब्ब कर के चेते आवण जाण मुका लईए |
मन अपने दी जोत जगा के मन विच याद वसा लईए |
सतगुर तों रब्ब कर के चेते घर विच घर बणा लईए |
अवतार गुरु दी चरणी ढह के अठसठ तीर्थ नहा लईए |
जिस लई मिलया एह तन चोला ओहो कम मुका लईए |
सतगुर तों रब्ब कर के चेते इस ते ध्यान जमा लईए |
गले सड़े न पाणी डोबे दात अनोखी पा लईए |
सतगुर तों रब्ब कर के चेते आवण जाण मुका लईए |
मन अपने दी जोत जगा के मन विच याद वसा लईए |
सतगुर तों रब्ब कर के चेते घर विच घर बणा लईए |
अवतार गुरु दी चरणी ढह के अठसठ तीर्थ नहा लईए |
जिस लई मिलया एह तन चोला ओहो कम मुका लईए |
इक तू ही निरंकार (७६)
भावें रब ए दाता जेह्ड़ा सभनां दे नाल रहन्दा ए |
पूरा सतगुर मिल जाये जे कर तां एह परदा लहन्दा ए |
पल पल याद करो इस रब नूं माण दा भांडा चूर करो |
सिमर सिमर के एसे रब नूं चिंता मन दी दूर करो |
साध चरन ते रख के सर नूं दूर दिलों हंकार करो |
लै अवतार गुरु पग धूड़ी अग्ग दा सागर पार करो |
पूरा सतगुर मिल जाये जे कर तां एह परदा लहन्दा ए |
पल पल याद करो इस रब नूं माण दा भांडा चूर करो |
सिमर सिमर के एसे रब नूं चिंता मन दी दूर करो |
साध चरन ते रख के सर नूं दूर दिलों हंकार करो |
लै अवतार गुरु पग धूड़ी अग्ग दा सागर पार करो |
इक तू ही निरंकार (७७)
समां गया फिर हत्थ नहीं आउणां अंत समय पछताएंगा |
धरमराय ने जम्म जां घल्ले रोयेंगा कुरलाएंगा |
संगी साथी जिन्नें तेरे कम किसे ने आउणां नहीं |
सक्के साक सम्बंधिया चों वी आ के किसे बचाउणां नहीं |
आखिर नूं कम गुरु ने आउणै गोरे चिट्टे चम नहीं |
अवतार दे सिख तो लेखा मंगे धरमराय दा दम नहीं |
धरमराय ने जम्म जां घल्ले रोयेंगा कुरलाएंगा |
संगी साथी जिन्नें तेरे कम किसे ने आउणां नहीं |
सक्के साक सम्बंधिया चों वी आ के किसे बचाउणां नहीं |
आखिर नूं कम गुरु ने आउणै गोरे चिट्टे चम नहीं |
अवतार दे सिख तो लेखा मंगे धरमराय दा दम नहीं |
इक तू ही निरंकार (७८)
बिन वेखे मन मनदा नहीं ए बिन मन मन्ने प्यार नहीं |
प्यार बिना नहीं भगती ते बिन भगती बेडा पार नहीं |
गुरु दिखावे गुरु मनावे गुरु ही प्यार सिखांदा ए |
बिन गुरु भगती मूल न होवे जो करदा पछतांदा ए |
सतगुर पासो बंदा जो अविनाशी दी पहचान करे |
अवतार गुरु दी नज़र सवल्ली छिन अन्दर कल्याण करे |
प्यार बिना नहीं भगती ते बिन भगती बेडा पार नहीं |
गुरु दिखावे गुरु मनावे गुरु ही प्यार सिखांदा ए |
बिन गुरु भगती मूल न होवे जो करदा पछतांदा ए |
सतगुर पासो बंदा जो अविनाशी दी पहचान करे |
अवतार गुरु दी नज़र सवल्ली छिन अन्दर कल्याण करे |
इक तू ही निरंकार (७९)
सूरज चन्न सितारे सारे निस दिन आउंदे जांदे ने |
अगनी धरती पाणी वी पये हरदम चक्कर खांदे ने |
वायु जीव अकाश कोई वी अमर अचल अडोल नहीं |
निरंकार अविनाशी दे तुल इन्हां चों कोई तोल नहीं |
जिस दा रूप रंग नहिं कोई जिस दा पारावार नहीं |
कहे अवतार बिना गुर भेटे देंदा एह दीदार नहीं |
अगनी धरती पाणी वी पये हरदम चक्कर खांदे ने |
वायु जीव अकाश कोई वी अमर अचल अडोल नहीं |
निरंकार अविनाशी दे तुल इन्हां चों कोई तोल नहीं |
जिस दा रूप रंग नहिं कोई जिस दा पारावार नहीं |
कहे अवतार बिना गुर भेटे देंदा एह दीदार नहीं |
इक तू ही निरंकार(८०)
पूरा गुर न दस्से हरगिज़ गंगा जमना दे इशनान|
पूरा गुर न दस्से हरगिज़ तीरथ पूजा पुन ते दान |
पूरा गुर न पढना दस्से ग्रन्थ अंजीलां वेद कुरान |
पूरा गुर न दस्से हरगिज़ जंगल वास समाधी लाण |
पूरा सतगुर केवल दसदै इक्को एके दी पहचान |
पूरा सतगुर केवल दसदै इक्को एके दा ही ध्यान |
पूरे गुर दी नजरां अन्दर इक्को जेहे ने कुल इनसान |
ऐसा सतगुर जे कर लभे अपणा सीस झुका दईये |
अवतार एहो जेहे साधु उत्तों आपा घोल घुमा दईये |
पूरा गुर न दस्से हरगिज़ तीरथ पूजा पुन ते दान |
पूरा गुर न पढना दस्से ग्रन्थ अंजीलां वेद कुरान |
पूरा गुर न दस्से हरगिज़ जंगल वास समाधी लाण |
पूरा सतगुर केवल दसदै इक्को एके दी पहचान |
पूरा सतगुर केवल दसदै इक्को एके दा ही ध्यान |
पूरे गुर दी नजरां अन्दर इक्को जेहे ने कुल इनसान |
ऐसा सतगुर जे कर लभे अपणा सीस झुका दईये |
अवतार एहो जेहे साधु उत्तों आपा घोल घुमा दईये |
इक तू ही निरंकार (८१)
जिस दा अन्त न पारावार जो न दस्से सतगुर नहीं |
जर्रे जर्रे विच लिश्कार जो न दस्से सतगुर नहीं |
जग दा कर्ता पालनहार जो न दस्से सतगुर नहीं |
जीवन दाता एह दातार जो न दस्से सतगुर नहीं |
बेअन्त एह बेशुमार जो न दस्से सतगुर नहीं |
धरती अम्बर दे विचकार जो न दस्से सतगुर नहीं |
अन्नां ज्यों इक अन्ने तांई मारग ते नहीं पा सकदा |
अवतार कहे त्यों रहबर ऊरा भेद नहीं समझा सकदा |
जर्रे जर्रे विच लिश्कार जो न दस्से सतगुर नहीं |
जग दा कर्ता पालनहार जो न दस्से सतगुर नहीं |
जीवन दाता एह दातार जो न दस्से सतगुर नहीं |
बेअन्त एह बेशुमार जो न दस्से सतगुर नहीं |
धरती अम्बर दे विचकार जो न दस्से सतगुर नहीं |
अन्नां ज्यों इक अन्ने तांई मारग ते नहीं पा सकदा |
अवतार कहे त्यों रहबर ऊरा भेद नहीं समझा सकदा |
इक तू ही निरंकार (८२)
जीवन ख़ातिर प्राणी दे लई जिवें प्राण जरूरी ए |
तीर नूं चिल्ले चाढ़न दे लई जिवें कमान जरूरी ए |
धरती बाजों कम नहीं सरदा ज्यों असमान जरूरी ए |
प्रेमां भक्ति दे लई एदां गुर दा ज्ञान जरूरी ए |
एदां ही इनसानी जामे विच भगवान जरूरी ए |
जो अवतार गुरु तों मिलदे ऐसा दान जरूरी ए |
तीर नूं चिल्ले चाढ़न दे लई जिवें कमान जरूरी ए |
धरती बाजों कम नहीं सरदा ज्यों असमान जरूरी ए |
प्रेमां भक्ति दे लई एदां गुर दा ज्ञान जरूरी ए |
एदां ही इनसानी जामे विच भगवान जरूरी ए |
जो अवतार गुरु तों मिलदे ऐसा दान जरूरी ए |
इक तू ही निरंकार (८३)
मुहों साबण साबण कहन्दा कपड़ा इक वी धोंदा नहीं |
लक्खां साल हनेरा ढोयां कदे चानणा होंदा नहीं |
नुसखा पढिये बार बार जे रोग कदी नहीं हट सकदा |
सोना सोना कह के कोई कोडी इक नहीं खट सकदा |
रोटी रोटी कह के मिटदी कदी किसे दी भुख नहीं |
सुख दियां गल्लां बातां करके दूर हुन्दा कोई दुख नहीं |
मंजिल ते खड़ मंजिल मंजिल मंजिल तों अंजान करे |
छिन विच पुजदै मंजिल ते जो मंजिल दी पहचान करे |
रस्ता नहीं पहचान बिना मिलने दा सर्वव्यापी नूं |
ऐ पर इस नूं जानण वाला तार वी सकदै पापी नूं |
रब मिलने दे साधन दस्से जो पहचान करांदा नहीं |
ओह साधू या सन्त नहीं कोई उस तों मुक्ति पांदा नहीं |
जो परतख दिखावे रब नूं ओहो मुरशद पूरा ए |
कहे अवतार गुरु पूरे बिन जो तकया सो ऊरा ए |
लक्खां साल हनेरा ढोयां कदे चानणा होंदा नहीं |
नुसखा पढिये बार बार जे रोग कदी नहीं हट सकदा |
सोना सोना कह के कोई कोडी इक नहीं खट सकदा |
रोटी रोटी कह के मिटदी कदी किसे दी भुख नहीं |
सुख दियां गल्लां बातां करके दूर हुन्दा कोई दुख नहीं |
मंजिल ते खड़ मंजिल मंजिल मंजिल तों अंजान करे |
छिन विच पुजदै मंजिल ते जो मंजिल दी पहचान करे |
रस्ता नहीं पहचान बिना मिलने दा सर्वव्यापी नूं |
ऐ पर इस नूं जानण वाला तार वी सकदै पापी नूं |
रब मिलने दे साधन दस्से जो पहचान करांदा नहीं |
ओह साधू या सन्त नहीं कोई उस तों मुक्ति पांदा नहीं |
जो परतख दिखावे रब नूं ओहो मुरशद पूरा ए |
कहे अवतार गुरु पूरे बिन जो तकया सो ऊरा ए |
इक तू ही निरंकार (८४)
माया दे जो लोभी ने करमां धरमां विच पांदे ने |
माया दे जो लोभी ने लोकां नूं नाम रटांदे ने |
माया दे जो लोभी ने पत्थरां नूं सीस झुकांदे ने |
माया दे जो लोभी ने बुतां नूं भोग लगांदे ने |
माया दे जो लोभी ने तीरथ इश्नान करांदे ने |
माया दे जो लोभी ने हज काबे नूं वडियांदे ने |
जो जाणे माया दा स्वामी उस दी माया दासी ए |
कहे अवतार चरण गुर परसे छिन विच कटदी फासी ए |
माया दे जो लोभी ने लोकां नूं नाम रटांदे ने |
माया दे जो लोभी ने पत्थरां नूं सीस झुकांदे ने |
माया दे जो लोभी ने बुतां नूं भोग लगांदे ने |
माया दे जो लोभी ने तीरथ इश्नान करांदे ने |
माया दे जो लोभी ने हज काबे नूं वडियांदे ने |
जो जाणे माया दा स्वामी उस दी माया दासी ए |
कहे अवतार चरण गुर परसे छिन विच कटदी फासी ए |
इक तू ही निरंकार (८५)
बीते नूं ललचाईयां नज़रां नाल तकाणा माया ए |
आंदे समय दे सुपने लै लै वक़्त बिताणा माया ए |
निरंकार नूं भुल के धन ते आस लगाणा माया ए |
दिखलावे दी प्रीत जता के माण वधाणा माया ए |
मोह विच फस के संत सेवा तों जी चुराणा माया ए |
रिद्धी सिद्धि करामात लई धूनियां ताणा माया ए |
ब्रह्मज्ञान बिन जितना वी ए पीणा खाणा माया ए |
तिन्न गुणां दा जिन्ना वी ए ताणा बाणा माया ए |
इस माया तों मुक्त होण लई करम कमाणा माया ए |
वरत नेम सुच्च संजम पूजा दान कराणा माया ए |
आप मुहारे जो कुझ करिये बिन माया कुझ होर नहीं |
कहे अवतार जे सतगुर बख्शे माया दा कोई जोर नहीं |
आंदे समय दे सुपने लै लै वक़्त बिताणा माया ए |
निरंकार नूं भुल के धन ते आस लगाणा माया ए |
दिखलावे दी प्रीत जता के माण वधाणा माया ए |
मोह विच फस के संत सेवा तों जी चुराणा माया ए |
रिद्धी सिद्धि करामात लई धूनियां ताणा माया ए |
ब्रह्मज्ञान बिन जितना वी ए पीणा खाणा माया ए |
तिन्न गुणां दा जिन्ना वी ए ताणा बाणा माया ए |
इस माया तों मुक्त होण लई करम कमाणा माया ए |
वरत नेम सुच्च संजम पूजा दान कराणा माया ए |
आप मुहारे जो कुझ करिये बिन माया कुझ होर नहीं |
कहे अवतार जे सतगुर बख्शे माया दा कोई जोर नहीं |
इक तू ही निरंकार (८६)
मूरख ए पहचान बिना ऐवें हर हर करदा ए |
मूरख ए जो कोई आसरा करनी उत्ते धरदा ए |
मूरख ए जो रब पाण लई पेया दुखड़े जरदा ए |
सरदी गरमी भुख नींद नूं सह सह के पेया मरदा ए |
मूरख ए जो तारी नाल समुन्दर नूं पेया तरदा ए |
मूरख ए जो करम कांड गुण औगुण दा दम भरदा ए |
छङ स्याणप सारी जेह्ड़ा सन्त शरण आ जांदा ए |
कहे अवतार हरि दे दर्शन सहज सुभाए पांदा ए |
मूरख ए जो कोई आसरा करनी उत्ते धरदा ए |
मूरख ए जो रब पाण लई पेया दुखड़े जरदा ए |
सरदी गरमी भुख नींद नूं सह सह के पेया मरदा ए |
मूरख ए जो तारी नाल समुन्दर नूं पेया तरदा ए |
मूरख ए जो करम कांड गुण औगुण दा दम भरदा ए |
छङ स्याणप सारी जेह्ड़ा सन्त शरण आ जांदा ए |
कहे अवतार हरि दे दर्शन सहज सुभाए पांदा ए |
इक तू ही निरंकार (८७)
अन्नां बोला मूरख बेमुख मनदा नहीं नादानी नूं |
दुध समझ के रिड़की जांदे वेखो बैठा पाणी नूं |
बेह्दे निरंकार नूं जा जा संगम उत्ते भाल रहयै |
कबरां मढी मसाणां उत्ते जा जा दीवे बाल रहये |
रमे राम नूं ढूढन दे लई फोल रहये वीराने नूं |
ग्रंथां नूं कर सजदे थक्का पूज रहयै बुतखाने नूं |
भाल भाल के उमरां गाली पर एह नजरीं आया ना |
कहे अवतार गुरु दे बाजों राम किसे वी पाया ना |
दुध समझ के रिड़की जांदे वेखो बैठा पाणी नूं |
बेह्दे निरंकार नूं जा जा संगम उत्ते भाल रहयै |
कबरां मढी मसाणां उत्ते जा जा दीवे बाल रहये |
रमे राम नूं ढूढन दे लई फोल रहये वीराने नूं |
ग्रंथां नूं कर सजदे थक्का पूज रहयै बुतखाने नूं |
भाल भाल के उमरां गाली पर एह नजरीं आया ना |
कहे अवतार गुरु दे बाजों राम किसे वी पाया ना |
इक तू ही निरंकार (८८)
मत्त गुरु दी जे मन वस्से मन दा ह्न्नेरा दूर करे |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से दिल नूं नूरो नूर करे |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से अदना आहला हो जाए |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से चानण वाला हो जाए |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से पा देंदी ए सिधे राह |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से कंगला वी हो जावे शाह |
करमां मारी दुनियां ऐ पर समझी एह्दा तत्त नहीं |
कहे अवतार पये न पल्ले जे कर मस्तक नत्त नहीं |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से दिल नूं नूरो नूर करे |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से अदना आहला हो जाए |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से चानण वाला हो जाए |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से पा देंदी ए सिधे राह |
मत्त गुरु दी जे मन वस्से कंगला वी हो जावे शाह |
करमां मारी दुनियां ऐ पर समझी एह्दा तत्त नहीं |
कहे अवतार पये न पल्ले जे कर मस्तक नत्त नहीं |
इक तू ही निरंकार (८९)
फोल लवो इतिहास पुराणे हो गए वलियां पीरां दे |
रुख बदले ने सतगुर ते ही ओहनां दी तकदीरां दे |
जिन्नें वी हो गुज़रे अज तक अपणे आप न पा सक्के |
राम कृषण ते नानक तक वी खुद नहीं परदा लाह सक्के |
दुनियां नूं राह दसण लई सभ नूं रीत निभाणी पई |
वलियां नूं वी जा गुर दर ते अपणी धौण झुकाणी पई |
ज्ञान दी गड्डी दी अज तीकण सतगुर दे हथ डोर रही |
अवतार कहे पर अन्नहीं दुनियां ऐंवें पांदी शोर रही |
रुख बदले ने सतगुर ते ही ओहनां दी तकदीरां दे |
जिन्नें वी हो गुज़रे अज तक अपणे आप न पा सक्के |
राम कृषण ते नानक तक वी खुद नहीं परदा लाह सक्के |
दुनियां नूं राह दसण लई सभ नूं रीत निभाणी पई |
वलियां नूं वी जा गुर दर ते अपणी धौण झुकाणी पई |
ज्ञान दी गड्डी दी अज तीकण सतगुर दे हथ डोर रही |
अवतार कहे पर अन्नहीं दुनियां ऐंवें पांदी शोर रही |
इक तू ही निरंकार (९०)
इक न भुल्ला दो न भुल्ले भुल्या फिरदा कुल जहां |
नामी दी पह्चाण कोई नहीं मुहों रटटी जांदे नां |
मन दे आखे लग के बुद्धि पुट्ठी राह ते पा बैठे |
घड़ घड़ के बुत रंग बिरंगे सौ भगवान बणा बैठे |
जिस ने सूरज दीप बणाये दीप ओहनूं दिखलांदा ए |
खुशबूआं दे मालिक अग्गे जा जा धूप धुखांदा ए |
करम कांड दे नेहरे अंदर बिल्कुल अन्नहां खाता ए |
उस नूं भोग लगाणां चाहे जो हर जी दा दाता ए |
बेह्दे असगाहे नूं एह वलगन दे विच वल रहया ए |
रब मिलन दे चा अन्दर एह अपणे आप नूं छल रहया ए |
ख्याली महल बणाई जांदै एह सुपने दियां नीहां ते |
कहे अवतार तरस कर दाता कुल दुनियां दे जीयां ते |
नामी दी पह्चाण कोई नहीं मुहों रटटी जांदे नां |
मन दे आखे लग के बुद्धि पुट्ठी राह ते पा बैठे |
घड़ घड़ के बुत रंग बिरंगे सौ भगवान बणा बैठे |
जिस ने सूरज दीप बणाये दीप ओहनूं दिखलांदा ए |
खुशबूआं दे मालिक अग्गे जा जा धूप धुखांदा ए |
करम कांड दे नेहरे अंदर बिल्कुल अन्नहां खाता ए |
उस नूं भोग लगाणां चाहे जो हर जी दा दाता ए |
बेह्दे असगाहे नूं एह वलगन दे विच वल रहया ए |
रब मिलन दे चा अन्दर एह अपणे आप नूं छल रहया ए |
ख्याली महल बणाई जांदै एह सुपने दियां नीहां ते |
कहे अवतार तरस कर दाता कुल दुनियां दे जीयां ते |
इक तू ही निरंकार (९१)
पंज तत्ता दे पुतले वेखो वक्खो वख इनसान बणे |
कोई हिन्दू ते सिख ईसाई कोई ने मुसलमान बणे |
एहदी मत्त दे चानण उत्ते परदे पै गये रातां दे |
राग अवल्ले छेड़ी बैठे एह मजहबां ते जातां दे |
एन्नां भुलयै अज जमानां परतख नूं ना पेख सकन |
अन्नहे आगू अन्नहे पांधी टोया तक ना वेख सकन |
अन्नहे नूं जे दीवा दसिये करदा नहीं इतबार कदी |
कहे अवतार बिनां गुरु भेटे हुन्दा नहीं दीदार कदी |
कोई हिन्दू ते सिख ईसाई कोई ने मुसलमान बणे |
एहदी मत्त दे चानण उत्ते परदे पै गये रातां दे |
राग अवल्ले छेड़ी बैठे एह मजहबां ते जातां दे |
एन्नां भुलयै अज जमानां परतख नूं ना पेख सकन |
अन्नहे आगू अन्नहे पांधी टोया तक ना वेख सकन |
अन्नहे नूं जे दीवा दसिये करदा नहीं इतबार कदी |
कहे अवतार बिनां गुरु भेटे हुन्दा नहीं दीदार कदी |
इक तू ही निरंकार (९२)
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं जा ढीमां ते गारां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं टलियां दी टनकारां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं इट्टा ते दीवारां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं मजहबी ठेकेदारां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं गंगा जेहे दरयावां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं ढलदी चढ़दी छांवां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं पुस्तक वेद ग्रंथां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं फिरकेदारी पंथा तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं भेखी साधु संतां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं गद्दीदार महतां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं भुल्ले भटके रहियां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं आदमखोर कसाईयां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं कबरां मढी़ मसानां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं जंगल बियाबानां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं कागज़ दी तसवीरां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं झूठे पीर फकीरां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं कैदां दी मजबूरी तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं उस मंजिल दी दूरी तों |
थां थां धक्के धोड़े खा के भरदा जांदै चट्टी नूं |
अवतार गुरु दी शरणी आके नहीं खुलवांदे पट्टी नूं |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं टलियां दी टनकारां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं इट्टा ते दीवारां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं मजहबी ठेकेदारां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं गंगा जेहे दरयावां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं ढलदी चढ़दी छांवां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं पुस्तक वेद ग्रंथां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं फिरकेदारी पंथा तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं भेखी साधु संतां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं गद्दीदार महतां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं भुल्ले भटके रहियां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं आदमखोर कसाईयां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं कबरां मढी़ मसानां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं जंगल बियाबानां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं कागज़ दी तसवीरां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं झूठे पीर फकीरां तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं कैदां दी मजबूरी तों |
रब दा रास्ता पुच्छ रहया एं उस मंजिल दी दूरी तों |
थां थां धक्के धोड़े खा के भरदा जांदै चट्टी नूं |
अवतार गुरु दी शरणी आके नहीं खुलवांदे पट्टी नूं |
इक तू ही निरंकार (९३)
धरती विच समाया भांवें बेहिसाबा पाणी ए |
काठ दे तीले अन्दर लुक्की अग्ग दी चाहे कहाणी ए |
जे पाणी न परगट होवे प्यास कदी नहीं बुझ सकदी |
परगट होवे जे न अग्नी कर रत्ता नहीं कुझ सकदी |
जे सुपने दी बेड़ी होवे पार लगांदी पूर नहीं |
दीवा जे न जगदा होवे हनेरा हुन्दा दूर नहीं |
होवे न प्रतख जे भोजन भुख पेट दी लहंदी नहीं |
साक्षात अवतार न होवे रब दी सोझी पैंदी नहीं |
काठ दे तीले अन्दर लुक्की अग्ग दी चाहे कहाणी ए |
जे पाणी न परगट होवे प्यास कदी नहीं बुझ सकदी |
परगट होवे जे न अग्नी कर रत्ता नहीं कुझ सकदी |
जे सुपने दी बेड़ी होवे पार लगांदी पूर नहीं |
दीवा जे न जगदा होवे हनेरा हुन्दा दूर नहीं |
होवे न प्रतख जे भोजन भुख पेट दी लहंदी नहीं |
साक्षात अवतार न होवे रब दी सोझी पैंदी नहीं |
इक तू ही निरंकार (९४)
चरण गुरु दे सुच्चे ने जो जो एह चुम्मे सुच्चा ए |
उच्ची ए इक गुर दी पूजा जो पूजे सो उच्चा ए |
दर्शन वी एह्दा सच्चा ए दर्शक वी एह्दा सच्चा ए |
ध्यान वी एह्दा सच्चा ए ध्यानी वी एह्दा सच्चा ए |
सच्ची ए इक जात गुरु दी दुनियां दा रखवाला ए |
आप सच्चाई आपे नेकी नेकी देवण वाला ए |
ओहो सच्चे सुच्चे ओहो जो सचियाई कहन्दे ने |
अवतार उन्हां दी हर शै सच्ची जो सच अंदर रहन्दे ने |
उच्ची ए इक गुर दी पूजा जो पूजे सो उच्चा ए |
दर्शन वी एह्दा सच्चा ए दर्शक वी एह्दा सच्चा ए |
ध्यान वी एह्दा सच्चा ए ध्यानी वी एह्दा सच्चा ए |
सच्ची ए इक जात गुरु दी दुनियां दा रखवाला ए |
आप सच्चाई आपे नेकी नेकी देवण वाला ए |
ओहो सच्चे सुच्चे ओहो जो सचियाई कहन्दे ने |
अवतार उन्हां दी हर शै सच्ची जो सच अंदर रहन्दे ने |
इक तू ही निरंकार (९५)
निरंकार गुरु निज सेवक दा आप ही परदा ढकदा ए |
औकड़ दुख मुसीबत वेले हथ सिरां ते रखदा ए |
एह वडियाइयां वंडन वाला दास नूं इज्ज़त देंदा ए |
अपना नाम जपन दी एहो दास नूं हिम्मत देंदा ए |
मालिक सेवक दी ही हरदम इज्ज़त ते पत्त रखदा ए |
मालिक अपने सेवक ते ही पल पल रहमत करदा ए |
इस मालिक दे सेवक दा ही रुतबा सभ तों आहला ए |
इस मालिक दे सेवक हुन्दा सभ दुनियां तों बाला ए |
जिस सेवक नूं मालिक बख्शे महिमा ओहदी अपर अपार |
कहे अवतार हुकम मन ओहदा तर सकदा ए कुल संसार |
औकड़ दुख मुसीबत वेले हथ सिरां ते रखदा ए |
एह वडियाइयां वंडन वाला दास नूं इज्ज़त देंदा ए |
अपना नाम जपन दी एहो दास नूं हिम्मत देंदा ए |
मालिक सेवक दी ही हरदम इज्ज़त ते पत्त रखदा ए |
मालिक अपने सेवक ते ही पल पल रहमत करदा ए |
इस मालिक दे सेवक दा ही रुतबा सभ तों आहला ए |
इस मालिक दे सेवक हुन्दा सभ दुनियां तों बाला ए |
जिस सेवक नूं मालिक बख्शे महिमा ओहदी अपर अपार |
कहे अवतार हुकम मन ओहदा तर सकदा ए कुल संसार |
इक तू ही निरंकार (९६)
सेवक है जो मालिक दा हर हुकुम नूं पूरा करदा ए |
सेवक है जो मालिक दा खलकत दी सेवा करदा ए |
सेवक है जो मालिक दा ओह नेकी तों भरपूर रहे |
सेवक है जो मालिक दा कुल बद्दीयां तों दूर रहे |
सेवक है जो मालिक दा एह मालिक ओहदे संग रहे |
सेवक है जो मालिक दा ओह रंगया एहदे रंग रहे |
सेवक है जो मालिक दा ओह नां मालिक दा जपदा ए |
सेवक है जो मालिक दा एह पत्त ओस दी रखदा ए |
सेवक है जो मालिक दा न कूके ते फरयाद करे |
अवतार कहे उस सेवक तांई खुद मालिक वी याद करे |
सेवक है जो मालिक दा खलकत दी सेवा करदा ए |
सेवक है जो मालिक दा ओह नेकी तों भरपूर रहे |
सेवक है जो मालिक दा कुल बद्दीयां तों दूर रहे |
सेवक है जो मालिक दा एह मालिक ओहदे संग रहे |
सेवक है जो मालिक दा ओह रंगया एहदे रंग रहे |
सेवक है जो मालिक दा ओह नां मालिक दा जपदा ए |
सेवक है जो मालिक दा एह पत्त ओस दी रखदा ए |
सेवक है जो मालिक दा न कूके ते फरयाद करे |
अवतार कहे उस सेवक तांई खुद मालिक वी याद करे |
इक तू ही निरंकार (९७)
जिस दे उप्पर हत्थ एह रक्खे जो चाहे करवा सकदा ए |
इक निक्की जेही कीड़ी पासों हाथी नूं मरवा सकदा ए |
हत्थ गुरु दा जिस दे सर ते दुनियां पासों डरदा नहीं |
इसदे सेवक दा जो सेवक मौत दे कोलों मरदा नहीं |
जिन्नां चिर एह आप न चाहे मारे जग दी हिम्मत नहीं |
मारन रखण हत्थ एसे दे होर किसे दी ताक़त नहीं |
बेमुख झल्ला सोचीं डुब्बा सोचां एहनूं मार लेआ |
अवतार कहे नहीं मरदा जमदा जिन्ने नाम चितार लेआ |
इक निक्की जेही कीड़ी पासों हाथी नूं मरवा सकदा ए |
हत्थ गुरु दा जिस दे सर ते दुनियां पासों डरदा नहीं |
इसदे सेवक दा जो सेवक मौत दे कोलों मरदा नहीं |
जिन्नां चिर एह आप न चाहे मारे जग दी हिम्मत नहीं |
मारन रखण हत्थ एसे दे होर किसे दी ताक़त नहीं |
बेमुख झल्ला सोचीं डुब्बा सोचां एहनूं मार लेआ |
अवतार कहे नहीं मरदा जमदा जिन्ने नाम चितार लेआ |
इक तू ही निरंकार (९८)
तूंहीं तूंहीं निरंकार करो ते पल पल एहनूं याद करो |
इस अमृत नूं रज रज पीयो तन सौखा दिल शाद करो |
गुरु दे मुख तों सुण के जिस ने नाम हरि दा पाया ए |
उस बन्दे नूं इस दुनियां ते होर न नज़रीं आया ए |
नाम हरि दा दौलत ओहदी रूप जवानी माण रहया |
एसे विच ही मौजां माणे नाम नूं अंग संग जाण रहया |
नाम दा प्याला प्यार दे बुल्लीं जो खुशकिसमत पींदा ए |
नाम हरि दा लूं लूं वस्से नाम सहारे जींदा ए |
उठदे बेह्न्दे खांदे पींदे नाम ही मुंह ते रहन्दा ए |
अवतार गुरु दी शरणी ऐपर विरला विरला पैंदा ऐ |
इस अमृत नूं रज रज पीयो तन सौखा दिल शाद करो |
गुरु दे मुख तों सुण के जिस ने नाम हरि दा पाया ए |
उस बन्दे नूं इस दुनियां ते होर न नज़रीं आया ए |
नाम हरि दा दौलत ओहदी रूप जवानी माण रहया |
एसे विच ही मौजां माणे नाम नूं अंग संग जाण रहया |
नाम दा प्याला प्यार दे बुल्लीं जो खुशकिसमत पींदा ए |
नाम हरि दा लूं लूं वस्से नाम सहारे जींदा ए |
उठदे बेह्न्दे खांदे पींदे नाम ही मुंह ते रहन्दा ए |
अवतार गुरु दी शरणी ऐपर विरला विरला पैंदा ऐ |
इक तू ही निरंकार (९९)
जो बन्दे दिन रात जुबां तों तूं ही तूं हीं कहन्दे ने |
हर औकड़ ते दुख सुख अंदर एहो सहारा लैंदे ने |
सतगुर दी भरती करदा जो निरंकार दे सोहले गांदा ए |
रब ओहदे विच आ वसदै ओह रब दे विच समान्दा ए |
हर दम शुकर करे इस रब दा खुशहाली जां तंगी ए |
घडी सुहानी बीत रही जो आवेगी सो चंगी ए |
सिफ़त करां की उस बन्दे दी जो सिफ़तां तों बाला ए |
एह सिफ़तां दा मालिक सांई बेहद सिफ़तां वाला ए |
सतगुर दे चरनीं जिस दा हर दम लग्गा ध्यान रहे |
कहे अवतार उस जन अन्दर निरंकार भगवान रहे |
हर औकड़ ते दुख सुख अंदर एहो सहारा लैंदे ने |
सतगुर दी भरती करदा जो निरंकार दे सोहले गांदा ए |
रब ओहदे विच आ वसदै ओह रब दे विच समान्दा ए |
हर दम शुकर करे इस रब दा खुशहाली जां तंगी ए |
घडी सुहानी बीत रही जो आवेगी सो चंगी ए |
सिफ़त करां की उस बन्दे दी जो सिफ़तां तों बाला ए |
एह सिफ़तां दा मालिक सांई बेहद सिफ़तां वाला ए |
सतगुर दे चरनीं जिस दा हर दम लग्गा ध्यान रहे |
कहे अवतार उस जन अन्दर निरंकार भगवान रहे |
इक तू ही निरंकार (१००)
हे मेरे मन ओट लया कर रब्ब दे कामिल बन्दे दी |
तन मन धन सभ अर्पण कर दे सोहबत छड़ दे मंदे दी |
निरंकार नूं जान लया ते शान एहदी पहचानी ए |
त्रैलोकी दा मालिक बणदा जेह्ड़ा ब्रहमज्ञानी ए |
ऐसे जन दी संगत कर के चैन दिलां नूं आन्दा ए |
ऐसे जन दे दर्शन कर के पाप पुन मिट जान्दा ए |
ऐसे जन दी संगत कर लै चाहुन्दा जे भलयाई तूं |
चरण पकड़ लै ऐसे जन दे छड़ दे कुल चतुराई तूं |
मुक जायेगा जमणा मरना न आवें न जावेंगा |
अवतार गुरु दे चरण जे पूजें जीवन मुक्ति पावेंगा |
तन मन धन सभ अर्पण कर दे सोहबत छड़ दे मंदे दी |
निरंकार नूं जान लया ते शान एहदी पहचानी ए |
त्रैलोकी दा मालिक बणदा जेह्ड़ा ब्रहमज्ञानी ए |
ऐसे जन दी संगत कर के चैन दिलां नूं आन्दा ए |
ऐसे जन दे दर्शन कर के पाप पुन मिट जान्दा ए |
ऐसे जन दी संगत कर लै चाहुन्दा जे भलयाई तूं |
चरण पकड़ लै ऐसे जन दे छड़ दे कुल चतुराई तूं |
मुक जायेगा जमणा मरना न आवें न जावेंगा |
अवतार गुरु दे चरण जे पूजें जीवन मुक्ति पावेंगा |
इक तू ही निरंकार (१०१)
निरंकार जो परतख दस्से ओह सतगुर कहलांदा ए |
सतगुर पा के नाम दी बेड़ी भवजल पार लगांदा ए |
सतगुर अपने सिक्खां दी खुद आप हिफ़ाजत करदा ए |
सतगुर अपने सिक्खां उत्ते मेहर इनायत करदा ए |
सतगुर अपने सिक्खां दे दिल शीशे वांगूं साफ करे |
सतगुर अपने सिक्खां दे कुल भले बुरे नूं माफ़ करे |
सतगुर अपने सिक्खां दे सारे ही बन्धन तोड़ दये |
सतगुर अपने सिक्खां दे मन विषयां वल्लों मोड़ दये |
सतगुर नूं सिक्ख प्यारे कुल दुनियां दे जीआं तों |
सतगुर नूं सिक्ख प्यारे अपने पुत्तर धीआं तों |
सतगुर अपने सिक्खां नूं ही दीन ईमान समझदा ए |
कहे अवतार गुरु सिख तांई अपनी जान समझदा ए |
सतगुर पा के नाम दी बेड़ी भवजल पार लगांदा ए |
सतगुर अपने सिक्खां दी खुद आप हिफ़ाजत करदा ए |
सतगुर अपने सिक्खां उत्ते मेहर इनायत करदा ए |
सतगुर अपने सिक्खां दे दिल शीशे वांगूं साफ करे |
सतगुर अपने सिक्खां दे कुल भले बुरे नूं माफ़ करे |
सतगुर अपने सिक्खां दे सारे ही बन्धन तोड़ दये |
सतगुर अपने सिक्खां दे मन विषयां वल्लों मोड़ दये |
सतगुर नूं सिक्ख प्यारे कुल दुनियां दे जीआं तों |
सतगुर नूं सिक्ख प्यारे अपने पुत्तर धीआं तों |
सतगुर अपने सिक्खां नूं ही दीन ईमान समझदा ए |
कहे अवतार गुरु सिख तांई अपनी जान समझदा ए |
इक तू ही निरंकार (१०२)
सिक्ख गुरु दा दम दम पल पल दास ही बण के रहन्दा ए |
ओहो कर कमावे गुरसिक्ख जो कुझ सतगुर कहन्दा ए |
लख स्याणां होवे गुरसिक्ख पर आपे नूं मूढ़ गिणे |
लख होवे सिक्ख दौलत वाला गुर चरणां दी धूड़ गिणे |
गुर उत्ते आके गुरसिक्ख जाणों कि मुक जांदा ए |
भुल्ल भुलेखे वी जे भुल्ले साह इसदा सुक जांदा ए |
गुरसिख नूं नहीं इच्छा फल दी कर्म सदा निष्काम करे |
कहे अवतार एहो जेहे सिक्ख दा सत्त्गुर रोशन नाम करे |
ओहो कर कमावे गुरसिक्ख जो कुझ सतगुर कहन्दा ए |
लख स्याणां होवे गुरसिक्ख पर आपे नूं मूढ़ गिणे |
लख होवे सिक्ख दौलत वाला गुर चरणां दी धूड़ गिणे |
गुर उत्ते आके गुरसिक्ख जाणों कि मुक जांदा ए |
भुल्ल भुलेखे वी जे भुल्ले साह इसदा सुक जांदा ए |
गुरसिख नूं नहीं इच्छा फल दी कर्म सदा निष्काम करे |
कहे अवतार एहो जेहे सिक्ख दा सत्त्गुर रोशन नाम करे |
इक तू ही निरंकार (१०३)
दुनियां ते मशहूर मुहब्बत जिद्दां चन्न चकोर दी ए |
दुनियां ते मशहूर मुहब्बत जिद्दां चन्न फुल्ल ते भौर दी ए |
बलदे दीपक नाल प्रीति जिद्दां है परवाने दी |
गुर चरणां दे नाल प्रीति एद्दां सिक्ख दीवाने दी |
मछली जिद्दां पाणी नूं इक पल दे लई न छोड़ सके |
गुरसिकख एद्दां मन अपणे नूं गुर वल्लों न मोड़ सके |
रहे प्यासा जिवें पपीहा इक्को बूंद स्वांति लई |
गुरसिक्ख दी अख रहे तरसदी सतगुर दी इक झाती लई |
महिन्दी जिद्दां उमरां तीकर रंग न अपना छड़ सक्के |
कहे अवतार एह सिक्ख गुरु तों हो न एद्दां अड्ड सक्के |
दुनियां ते मशहूर मुहब्बत जिद्दां चन्न फुल्ल ते भौर दी ए |
बलदे दीपक नाल प्रीति जिद्दां है परवाने दी |
गुर चरणां दे नाल प्रीति एद्दां सिक्ख दीवाने दी |
मछली जिद्दां पाणी नूं इक पल दे लई न छोड़ सके |
गुरसिकख एद्दां मन अपणे नूं गुर वल्लों न मोड़ सके |
रहे प्यासा जिवें पपीहा इक्को बूंद स्वांति लई |
गुरसिक्ख दी अख रहे तरसदी सतगुर दी इक झाती लई |
महिन्दी जिद्दां उमरां तीकर रंग न अपना छड़ सक्के |
कहे अवतार एह सिक्ख गुरु तों हो न एद्दां अड्ड सक्के |
इक तू ही निरंकार (१०४)
घर दे मालिक बाझों हुन्दा जीकण सुन्ना डेरा ए |
गुर दस्से तां सिक्ख लई चानण न दिस्से तां हन्नेरा ए |
ज्यों प्यासे नूं पानी बाझों गल कोई होर सुखांदी नहीं |
ज्यों बिरहा दे मारे तांई गल किसे दी भांदी नहीं |
ज्यों फुल्लां ते वेख बहारां बंद कली मुसकांदी ए |
ज्यों सुहागन वेख पति नूं दिल दिल विच हरशांदी ए |
काले बद्दल वेख आकाशीं मोर ज्यों पैलां पांदा ए |
अवतार तिवें सिख वेख गुरु नूं फुल्या नहीं समांदा ए |
गुर दस्से तां सिक्ख लई चानण न दिस्से तां हन्नेरा ए |
ज्यों प्यासे नूं पानी बाझों गल कोई होर सुखांदी नहीं |
ज्यों बिरहा दे मारे तांई गल किसे दी भांदी नहीं |
ज्यों फुल्लां ते वेख बहारां बंद कली मुसकांदी ए |
ज्यों सुहागन वेख पति नूं दिल दिल विच हरशांदी ए |
काले बद्दल वेख आकाशीं मोर ज्यों पैलां पांदा ए |
अवतार तिवें सिख वेख गुरु नूं फुल्या नहीं समांदा ए |
इक तू ही निरंकार (१०५)
गुरसिख दे बुल्लां ते हर दम अपणे गुर दी कहाणी रहये |
प्यार दिलां विच नाम जुबां ते एहदी एह जिंदगानी रहये |
गुरसिख गुर दी अख नाल वेखे गुर दे कन नाल सुणदा ए |
गुरसिख ज्ञान सरोवर विच्चों हीरे मोती चुणदा ए |
गुर दी मूरत मन विच वस्से दिल विच परउपकार रहे |
हर वेले हर हाल दे अन्दर जुड़ी नाल तार रहे |
सिख गुरु दा तक माया नूं हरगिज़ टपला खाए ना |
कहे अवतार सिख सत्गुर बाझों किसे नूं लेखे लाये ना |
प्यार दिलां विच नाम जुबां ते एहदी एह जिंदगानी रहये |
गुरसिख गुर दी अख नाल वेखे गुर दे कन नाल सुणदा ए |
गुरसिख ज्ञान सरोवर विच्चों हीरे मोती चुणदा ए |
गुर दी मूरत मन विच वस्से दिल विच परउपकार रहे |
हर वेले हर हाल दे अन्दर जुड़ी नाल तार रहे |
सिख गुरु दा तक माया नूं हरगिज़ टपला खाए ना |
कहे अवतार सिख सत्गुर बाझों किसे नूं लेखे लाये ना |
इक तू ही निरंकार (१०६)
जेहड़े सतगुर किरपा कीती जिस तों जीवन दान लयै |
जेहड़े सतगुर किरपा कीती जिस तों रब नूं जाण लयै |
जिस सतगुर दी किरपा सेती रंग हरि दा माण लयै |
जिस सतगुर दी किरपा सेती रब नूं तूं पह्चाण लयै |
जिस ने अपणे कुल खज़ाने तेरे लेखे ला दित्ते |
जिस ने अपणे कुल खज़ाने तेरी झोली पा दित्ते |
ऐसा सतगुर पल पल सिमरो छिन छिन इस दा ध्यान धरो |
ऐसे सतगुर उत्तों अपणा तन मन धन कुर्बान करो |
सतगुर रब विच रब सतगुर विच इस दी वखरी जात नहीं |
नाम धन है सभ तों उच्चा इस तों उच्ची दात्त नहीं |
किसे चलाकी कम नहीं आउणा न आउणा चतुराईयां ने |
कहे अवतार बड़े वडभागी जिन्नां सूझां पाईयां ने |
जेहड़े सतगुर किरपा कीती जिस तों रब नूं जाण लयै |
जिस सतगुर दी किरपा सेती रंग हरि दा माण लयै |
जिस सतगुर दी किरपा सेती रब नूं तूं पह्चाण लयै |
जिस ने अपणे कुल खज़ाने तेरे लेखे ला दित्ते |
जिस ने अपणे कुल खज़ाने तेरी झोली पा दित्ते |
ऐसा सतगुर पल पल सिमरो छिन छिन इस दा ध्यान धरो |
ऐसे सतगुर उत्तों अपणा तन मन धन कुर्बान करो |
सतगुर रब विच रब सतगुर विच इस दी वखरी जात नहीं |
नाम धन है सभ तों उच्चा इस तों उच्ची दात्त नहीं |
किसे चलाकी कम नहीं आउणा न आउणा चतुराईयां ने |
कहे अवतार बड़े वडभागी जिन्नां सूझां पाईयां ने |
d nji sinto
ReplyDeleteNamazey haq Ada hogi Aye - mere Hamdam
ReplyDeleteHakiqat ko zaroorat hai na mandir ki na maszid ki......
Dhan Nirankar Ji,
ReplyDeleteI was looking for the Sampooran Avtar Bani in this format. However, it is up to Verse 106. Can you please let me know where can I find the remaining verses in this format i.e. Punjabi transliterated into Hindi.
Thanks ji.
ikrawal@hotmail.com
DHAN NIRANKAR G , AAP PLAY STORE SE APP DOWNLOAD KR LIJIYE USME ENGLISH AND HINDI DONO HAI G.☝🏿
Deleteजो बन्दे दिन रात जुबां तों तूं ही तूं हीं कहन्दे ने |
ReplyDeleteहर औकड़ ते दुख सुख अंदर एहो सहारा लैंदे ने |
Dhan Nirankar Ji
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